Extra Marital Affair : धोखा करना तो हमारी Gene पर लिखा है
शैलजा द्विवेदी मर्डर के बाद मेजर हांडा केस से ये बहस शुरू हो गई है कि क्या Extra Marital Affair अपराध है? क्या धोखा देना गलत है? इसकी पड़ताल में जब हम ऐतिहासिक, सामाजिक और वैज्ञानिक कारणों में जाते हैं तो जवाब हैरान करने वाला मिलता है.
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आर्मी मेजर निखिल हांडा द्वारा विवाहेत्तर संबंध (Extra Marital Affair) के चलते अपने साथी आर्मी मेजर की पत्नी की हत्या कर देने की खबर का फॉलोअप आना बंद भी नहीं हुआ था कि एक वारदात नोएडा के दादरी से सामने आ गई. जहां रहने वाली एक प्रेमी ने एक विवाहित महिला से प्रेम संबंध में पड़कर पहले उसके स्वीपर पति की और उसके बाद देवर की हत्या कर दी. पहला मामला बेहद पढ़े लिखे और जिम्मेदार कहे जाने वाले तबके से आता है, तो दूसरा अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के संघर्ष में लगे समाज से. यानी ऐसे संबंधों की दास्तान किसी खास तबके, जाति, शिक्षा, संपन्नता या किसी और कारण से जुड़ी नहीं है. ऐसे मामले कहीं भी हो सकते हैं और उनकी परिणति कुछ भी हो सकती है.
जीवनसाथी को धोखा देना यानी Cheating (चीटिंग) कोई नई बात नहीं है. जब से दुनिया बनी है तभी से ये चलता आ रहा है. और ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ इंसानों में ही अपने साथी को धोखा देने की प्रवृति पाई जाती है. बल्कि ये जानवरों, पंक्षियों सभी में पाई जाती है. तो एक तरह से कह सकते हैं कि जीवित होने की कई शर्तों में धोखा देना भी शामिल है.
धोखा सिर्फ इंसान ही नहीं पशु पक्षी भी अपने साथी को देते हैं
ऐसा नहीं है कि चालाकी करने से हमेशा नुकसान ही होता है. नकल, बहुरूपिया, व्याभिचार, और ब्लफिंग से फायदे भी लिए गए हैं. आमतौर पर मनुष्य अपने फायदे के लिए ही कोई भी काम करता है. परिणाम जो भी हो. खैर जो भी हो सदियों से बदलते समय के साथ रिश्तों के मायने बदले. उनकी परिभाषा बदली और उसमें धोखे की अवधारणा भी बदली.
धोखे (Cheating) का इतिहास:
अंग्रेजी शब्दकोष में Cheating (धोखा) शब्द 700 से पहले आया. यह शब्द 14वीं शताब्दी के उत्तरार्ध और 15वीं शताब्दी के मध्य में फ्रांसीसी शब्द Escheat (एस्चीट) से आया है. इसका अर्थ है किरायेदार की संपत्ति को मकान मालिक को स्थानांतरित करना. और इसमें भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा आम तौर पर धोखाधड़ी की जाती थी. तो, 16वीं शताब्दी का मध्य आते आते तक, "एस्चीट" का एक संक्षिप्त संस्करण विकसित हुआ. 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से, ये शब्द चोरी या चोर के संदर्भ में इस्तेमाल होने लगा.
ये शब्द पहली बार 1930 में किसी ऐसे व्यक्ति के लिए इस्तेमाल किया गया जिसका भरोसा या विश्वास न किया जा सके.
धोखा, बेवफाई, व्यभिचार में फर्क :
जब कभी भी हम संबंधों की बात करते हैं तो धोखा, बेवफाई, व्यभिचार, इन तीनों ही शब्दों का इस्तेमाल एकसाथ कर लेते हैं. क्योंकि हमें लगता है कि ये तीनों ही शब्द का अर्थ एक ही है. लेकिन ऐसा नहीं है. ये तीनों ही बहुत अलग हो सकते हैं.
बेवफाई: ये भावनात्मक होती है. इसका ताल्लुक शारीरिक, भावनात्मक या सामाजिक विश्वासघात से है. जिसमें आप किसी रिश्ते की सीमाओं को तोड़ देते हैं और वो सब कर जाते हैं जो आपने कभी सोचा भी नहीं था कि करेंगे. इसमें हमेशा सेक्स शामिल हो, ये कतई जरुरी नहीं होता. लेकिन विश्वास का टूटना अनिवार्य है. विश्वासघात होता है.
व्यभिचार (Adultry): व्यभिचार धोखा ही होता है. और बेवफाई की तरह ही है. लेकिन इसमें किसी के साथ सेक्स करने की चाहत के लिए प्यार, शादी, समाजिक बंधन तक तोड़ डालने की सनक शामिल होती है. इस रिश्ते में एक इंसान कमिटेड होता है. वो सच्चे मन से प्यार करता है. पूरी तरह समर्पित होता है. "व्यभिचार" एक कानूनी शब्द है जिसका इस्तेमाल कोर्ट में तलाक के समय किया जाता है. बेवफाई के ठीक उलट इसमें सेक्स ही प्राथमिकता होती है. भावनाओं की जगह नहीं होती.
चीटिंग का इतिहास कम से कम 700 साल से तो रहा ही है
धोखा: हालांकि धोखा सेक्स और भावनाओं से कहीं आगे की चीज है. इसमें हमेशा कोई अपने साथी को धोखा दे रहा हो, ऐसा नहीं है. बल्कि कई बार फायदा लेने के मकसद से भी सही, गलत या बुरा करने के लिए भी धोखा देते हैं.
आखिर लोग धोखा क्यों देते हैं?
हम सभी ने कभी न कभी, किसी न किसी को धोखा जरूर दिया होगा. हर कोई अपने जीवन में सफलता चाहता है. जीतना चाहता है. अच्छा महसूस करना चाहता है. लगभग हर इंसान किसी न किसी तरीके से धोखा देता ही है. ये सिर्फ फायदा उठाने की बात होती है. जिसे जब मौका मिलता है और जहां मिलता है. चीटिंग से लोगों को अपने लक्ष्य तक पहुंचने की हिम्मत मिलती है. फिर चाहे रास्ता सही हो या गलत. जीवन में, बिजनेस में, खेल में, रिश्तों में हर इंसान चीटिंग करता है.
जब हम दूसरों को ऐसा करते देखते हैं तो भी हम ऐसा करते हैं. ये कम कीमत पर ज्यादा पाने का तरीका है. इससे फिर हमारे व्यवहार में बदलाव आता है और धोखा देना सही लगने लगता है.
सेक्स और चीटिंग का इतिहास :
प्रागैतिहासिक काल में सेक्स:
प्रागैतिहासिक काल में इंसानों का आपस में रिश्ता जीवित रहने के संघर्ष से जुड़ा था. सब साथ मिलकर रहते, खाने का इंतजाम करते, बच्चे पालते. सेक्स के लिए कोई खास नियम नहीं था. एक महिला से सेक्स के लिए पुरुष अपनी बारी का कई समय तक इंतजार भी करते. जीवन बिल्कुल सरल था. पशुओं की तरह.
उपनिवेशवाद काल से पहले
यूरोपीय उपनिवेशीकरण से पहले, दुनिया भर में अलग-अलग जगहों पर मूल निवासियों के लिए सेक्स और प्यार के तौर-तरीके बेहद खुले हुए थे. अंतरंग संबंधों का आनंद लिया जाता था. विवाह पूर्व यौन संबंध और विवाहेतर संबंधों के बारे में कोई खास सामाजिक राय नहीं थी. और ऐसा समाज के सभी वर्ग के लिए था. साथ ही तब शादियां जन्म जन्मांतर के लिए होती हैं, ऐसा कोई कॉन्सेप्ट भी नहीं था. एक से ज्यादा शादियों का चलन निचले और ऊपरी वर्ग दोनों ही जगह समान रूप से प्रचलित था. हवाई में "उमे" और भारत में घाट कंचुकी जैसे "मुख्य खेल" इन संस्कृतियों का हिस्सा थे.
जब यूरोपीय आए, तब उन्होंने अंतरंग रिश्तों में रूढ़िवादी नियम-कायदों को लागू किया.
19वीं-20वीं सदी में धोखाधड़ी
19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में, विवाह को खासकर उन महिलाओं के लिए प्रोत्साहित किया गया जिनके पास वास्तविक शक्ति नहीं थी.
घर संभालना, बच्चों की देखभाल करना, और उच्च वर्ग की महिलाओं के मामले में घर के नौकर नौकरानियों पर नजर रखने का काम युवा गृहिणियों के लिए बेहद उबाऊ रहा है. कई महिलाएं अपनी जिंदगी में और अधिक स्वतंत्रता की तलाश कर रही थीं. और इस आजादी के लिए किसी पराए पुरुष या फिर स्त्री से संबंध बनाना ही उनकी स्वतंत्रता थी. पति-पत्नियों का धोखा देना कोई 21वीं शताब्दी की घटना नहीं है.
शादीशुदा मर्द दूसरी औरतों से संबंध रखने को स्वतंत्र थे. वे ऐसा शादीशुदा रहते हुए भी करते आए हैं. क्योंकि उनकी पत्नियों को तलाक देने का हक नहीं था. लेकिन अगर औरतों ने किसी दूसरे संबंध बनाए तो पुरुष उसे तलाक देने, बच्चों के पिता के बारे में सवाल खड़ा करने और औरतों की इज्जत तार-तार करने के लिए स्वतंत्र थे.
वहीं अविवाहित और विवाहित पुरुषों का वेश्याओं के पास जाना सामान्य बात थी.
आज के समय में धोखा:
1970 के दशक में हुए सर्वे में 63% पुरुषों और 73% महिलाओं ने अफेयर को सही नहीं माना था. आज ऐसा कहने वालों में शामिल 78% पुरुष और 84% महिलाएं हैं.
लेकिन फिर भी लोग अभी भी ऐसा करते हैं. और अगर इतिहास पलटकर देखें तो महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में विवाहेत्तर संबंध बनाने की अधिक संभावना रही है. लेकिन आज महिलाएं अधिक मजबूत और स्वतंत्र हैं. उनके पास पैसा है. इसलिए विवाहेत्तर संबंधों के मामले में भी उनकी भूमिका पुरुषों के बराबर होती जा रही है. 1990 के दशक की तुलना में आज धोखा देने की संभावना 40% अधिक है. ऐसा ऑफिसों में महिलाओं-पुरुषों की मिश्रित संख्या बढ़ने के कारण है. क्योंकि वे साथ में ज्यादा ट्रैवल कर रहे हैं. ऐसे संबंध इसलिए भी आम हो गए हैं कि क्योंकि महिलाओं और पुरुषों में ऐसे रिश्तों को लेकर अपराधबोध नहीं रह गया है.
आखिर लोग अपने साथी को धोखा क्यों देते हैं?
धोखा या फिर चीटिंग के बारे में एक आश्चर्यजनक बात ये है कि ये हमेशा सेक्स के लिए नहीं होता है. एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 92% पुरुष जो अपने साथी को धोखा देते हैं उसके पीछे कारण सेक्स नहीं होता है. वो ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वे अपने साथी से जुड़ा हुआ महसूस नहीं करते हैं. रिश्ते में गर्माहट नहीं रही और स्नेह खत्म हो गया है.
लोग चीटिंग को बुरा भी मानते हैं लेकिन चीटिंग करते भी हैं!
चीटिंग को बड़ी आसानी से समझा डालते हैं. कि ये सिर्फ सेक्स के लिए किया जाता है. और इसमें एक व्यक्ति अपने पार्टनर को धोखा देता है. लेकिन ज्यादातर लोग किसी कारण से धोखेबाजी नहीं करते हैं. इसके पीछे कोई बड़ी कहानी होती है, जो उन्हें बिना सोचे-समझे नया रिश्ता बनाने के लिए प्रेरित करती है. जिसके अंजाम का उन्हें कोई अंदाजा नहीं होता है. या शायद उस रहस्यमय अंजाम का ही वे मजा लेना चाहते हैं.
ये बिलकुल वैसा ही है, जैसे ये दिल मांगे more.
सही जानकारी:
आखिर हम धोखा क्यों देते हैं? कुछ लोग मानते हैं कि यह हमारे डीएनए में होता है. पालन पोषण बनाम फितरत, जेंडर. एक साथी जो बहुत अधिक काम करता है, पारिवारिक जिम्मेदारी ढोता है. फिर मस्ती का मौका ढूंढता है. एक उबाऊ शादी, जिसमें सेक्स की कमी हो, अपमानजनक हो, भावनात्मक रूप से दर्दनाक हो. इस तरह के कई कारण धोखा देने के लिए पर्याप्त हैं.
पुरुष और महिलाएं विभिन्न कारणों से धोखा देते हैं. अशले मेडिसन ने इसे जानने के लिए 2017-2018 में कई सर्वे किए. कभी-कभी मदहोशी में ये सिर्फ मजे के लिए उठाया गया कदम होता है, लेकिन ज्यादातर समय में ये इससे कहीं ज्यादा होता है.
इसके बाद जो परिणाम आए उसमें ये बात साफ होती है कि धोखा देने वाला व्यक्ति उदासी से घिरा होता है. वो अपने जीवन में या फिर शादी में कुछ खो रहा होता है. शायद वो अपने साथी के साथ फिट नहीं हो पाता. आत्म-सम्मान कम हो सकता है और अपने साथी के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के साथ संबंध बनाकर अपना खोया हुआ आत्मविश्वास वापस पाना चाहता है.
55% पुरुषों ने धोखाधड़ी के बारे में सोचा, और 44% ने अफेयर किया है. 39% महिलाओं ने धोखा दिया है, और 35% ने इसके बारे में सोचा है.
लेकिन ऐसा लगता है कि एक दुखी शादी से भागने के अलावा भी कई कारण हैं जो धोखे को जन्म देते हैं. 54% पुरुष और 34% महिलाएं जिन्होंने अपने पार्टनर को धोखा दिया उनके विवाह में कोई समस्या नहीं थी. ज्यादातर लोग किसी एक रिश्ते की तलाश नहीं कर रहे थे, बल्कि बस वो मस्ती की तलाश में थे.
लोग अपने पार्टनर को धोखा क्यों देते हैं उसके ये मुख्य कारण हैं:
सेक्स के लिए :
सर्वे में शामिल 61% लोगों ने कहा कि उन्होंने सेक्स के लिए धोखा दिया. इसमें ले 76% ने कहा कि उनके विवाहेतर संबंध से उनकी यौन जरूरतें पूरी हुई. हम सेक्सुअल जीव हैं, और सेक्स हमेशा हमारे संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा.
किसी रिश्ते में रहने के लिए :
कुछ लोग खुश रहने के लिए धोखा देते हैं. और एक स्वस्थ, मजबूत वैवाहिक जीवन के लिए वो अपने वर्तमान रिश्ते को जारी रख सकते हैं. प्यार की डोर बहुत मजबूत होती है. लोग धोखा देने के लिए तैयार तो हो जाते हैं लेकिन वो अपने पार्टनर से प्यार करते हैं इसलिए शादी को तोड़ना नहीं चाहते. इसकी एक वजह बच्चे या फिर संपत्तियां भी हो सकती हैं. जिन्हें धोखा देने के बावजूद लोग खोना नहीं चाहते होंगे.
शादी और रिलेशनशीप बहुत कठिन होता है. और कभी-कभी जब हम जो चाहते हैं वो नहीं मिल पाता तो घर के बाहर इसकी तलाश करते हैं. रिश्ते को ठीक करने में समय खर्च करना चाहिए, लेकिन कभी-कभी चीजें ठीक नहीं होती हैं. और कई ऐसे कारणों से जो किसी को बाहर से भले दिखाई न दे, लेकिन लोग भटक जाते हैं.
ज्यादातर धोखा देने वाले अपने जीवन में बहुत उदास, दुखी होते हैं
सर्वे में 54% लोगों ने कहा कि वो अपने साथी को छोड़ना नहीं चाहते हैं. लेकिन वो जीवन में कुछ अस्थायी और मजेदार भी चाहते हैं. उनमें से लगभग आधे, 51%, लोगों ने कहा कि विवाहेत्तर संबंध उनमें नया उत्साह भरते हैं. जबकि 50% कहते हैं कि वे सिर्फ सेक्स चाहते हैं.
रिश्ते से बाहर निकलने के लिए धोखाधड़ी :
जब आप एक बुरे रिश्ते में होते हैं, तो कभी-कभी आपको ये पता नहीं होता कि उससे कैसे बाहर निकलें. आप अटक जाते हैं, और आपको लगता है कि यह सबसे अच्छा है जो आप कर सकते हैं. एक और रिश्ते को खोजने के लिए किसी और के साथ डेट करना कोई असामान्य बात नहीं है. और उसके बाद अपने नासूर बन चुके रिश्ते को छोड़ने की हिम्मत जुटा पाते हैं. आप बेहतर, मजबूत और शक्तिशाली महसूस कर सकते हैं. आप ये भूल जाते हैं कि आप किसी और के साथ हैं, आपकी जिंदगी की असलियत क्या है, आपका रिश्ते कितना भयानक है, और बस खुश रहते हैं.
और, कभी-कभी आपके साथी को इसका पता लगने का इंतजार करते हैं फिर यही संघर्ष आपको रिश्ते से बाहर निकलने में सक्षम बनाता है. यह आपके साथी के लिए संकेत होता है कि वो बाहर निकल जाए. धोखा देना बहुत आसान है. बुरा इंसान बन जाएं. और उस चीज़ से बाहर निकलें जिसमें आप अब और नहीं रहना चाहते.
यही कारण है कि अगर हम किसी नासूर बन चुके रिश्ते से बाहर निकलना चाहते हैं तो धोखा देने का रास्ता चुनते हैं. चीटिंग ऐसी चीज हो सकती है जो हमें ऐसा करने की ताकत देती है. अपने पार्टनर को धोखा देना अपना भाग्य खुद अपने हाथों लिखने की ताकत का चुनाव करना भी हो सकता है. ये आप खुद तय करते हैं कि आपको क्या चाहिए और आपको खुश रहने के लिए किस चीज की जरुरत है. लेकिन महिलाएं अपने संबंधों को रिश्ते में बदलने में ज्यादा रुचि रखती हैं. वे सिर्फ एक दर्दनाक रिश्ते से निकलकर सुखी जीवन बिताना चाहती हैं.
प्यार, दोस्ती के लिए धोखा देना :
सर्वे में कई उत्तरदाताओं ने कहा कि धोखा उनकी भावनात्मक जरूरतों को पूरा करती है. 48% ने कहा कि उन्हें अपने पति या जीवन के दूसरे महत्वपूर्ण इंसान की तुलना में अफेयर से ज्यादा प्यार मिला.
महिलाएं खुश रहने के लिए अपने साथी को धोखा देती हैं
42% इसमें दोस्ती के लिए थे. अपने पति या किसी अन्य महत्वपूर्ण इंसान के साथ नहीं बल्कि किसी और के साथ. और भावनात्मक आवश्यकताओं के लिए 37% थे.
आत्म संतुष्टि के लिए धोखा-
एक समय में हम और अधिक चाहते हैं, हम और अधिक महसूस करना चाहते हैं. सर्वे में लोगों ने कहा कि अफेयर के बाद वो "खुश" रहने लगे. वे अपने साथी को तो धोखा दे रहे हैं, लेकिन खुद को नहीं. यह हमेशा किसी एक बुरे रिश्ते के बारे में नहीं होता है. बल्कि ये खुद को पाने की जद्दोजहद ज्यादा होती है. यह साथी के बारे में नहीं है; यह उस व्यक्ति के बारे में है जो धोखा दे रहा है.
कुछ दिलचस्प आंकड़े :
हमेशा ये माना जाता है कि धोखा देने वाली महिलाएं भावनात्मक सपोर्ट की तलाश करती हैं. लेकिन सच्चाई ये देखिए:
- 43% महिलाओं ने कहा कि वो शारीरिक सुख चाहती थी.
- 5% उस व्यक्ति के दिमाग की वजह से आकर्षित थी. जिससे अफेयर किया. वो अपने पार्टनर की तुलना में अधिक शिक्षित था.
- 54% महिलाओं ने पहला अफेयर बच्चा होने के बाद किया था. क्योंकि महिलाएं घरेलू भूमिका ज्यादा निभाती हैं तो वो ऊब जाती हैं. और अपने परिवारों की देखभाल करने में खुद को भूल जाती हैं.
और, यह अनुमान लगाया गया है कि लगभग 10% पुरुष जो पिता बनने वाले हैं अपनी गर्भवती पार्टनर को धोखा देते हैं. क्योंकि ये समय होता है जब उन्हें कम सेक्स मिलता है.
वो किसके साथ धोखा करते हैं :
सर्वे में महिलाओं और पुरुषों से पूछा गया कि वो किसे धोखा देते हैं.
- 27% पुरुष किसी दोस्त या सहकर्मी के साथ जाते हैं.
- 28% महिलाएं, अगर दुखी हों, तो एक दोस्त में प्यार तलाश करेंगी.
साथी को धोखा देकर लोग अपना खोया आत्मसम्मान भी वापस पाते हैं
- 15% महिलाएं सहकर्मी के साथ जाएंगी.
- 17% महिलाएं अपने बॉस के साथ धोखा देगी.
- 35% (महिला और पुरुष दोनों) जब बिजनेस के लिए घर से दूर रहेंगे तो धोखा देंगे.
एक अन्य सर्वे में पाया गया कि 88% पुरुषों ने कहा कि उनकी प्रेमिका दिखने में कैसी है इससे फर्क नहीं पड़ता. ये फिर से साबित करता है कि सिर्फ सेक्स के लिए चीटिंग नहीं की जाती.
क्या धोखा देना गलत है? तो इसका जवाब होगा हर बार नहीं. क्या ऐसा करने के लिए हमें शर्मिंदा होना चाहिए? निश्चित रूप से नहीं. धोखा देने के पीछे कई कारण होते हैं, और जब हम बंद दरवाजों के पीछे क्या हो रहा है ये देख नहीं सकते हैं तो फिर हम यह तय भी नहीं कर सकते कि क्या सही है क्या गलत. अफेयर बहुत ही ज्यादा जटिल होते हैं. ज्यादातर लोग कहते हैं कि वे धोखा देने को लेकर सहमत नहीं हैं, लेकिन धोखा देने वाले लोगों की संख्या एक अलग ही कहानी कहती है.
निदा फाजली का एक शेर है न-
हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी,
जिसे भी देखना बड़े गौर से देखना...
तो इसलिए किसी भी इंसान के बात, व्यवहार से हम ये कतई अंदाजा नहीं लगा सकते कि वो अपने साथी को धोखा दे सकता/सकती है या नहीं. समाज के बीच हम सभी मुखौटे लगाए घूमते हैं जिसके पीछे हमारा असली चेहरा छुपा होता है. दस लोगों की भीड़ में हम वो नहीं होते जो हम असल में होते हैं. अपनी असली सच्चाई तो अकेले में खुलती है.
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