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Updated: 24 जून, 2018 01:16 PM
पूर्वा ग्रोवर
पूर्वा ग्रोवर
  @purva.grover.7
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पहाड़ों पर एक सर्द वीकेंड मनाने लिए हमने दो दिनों की छुट्टी मार ली थी. ऊपर पहाड़ों की तरफ ये एक मजेदार ड्राइव थी. खिड़की नीचे कर अपने हाथों पर बारिश की नन्ही बूंदों को मैंने महसूस किया था. हम एक ढाबे पर रुके और घी से तर पराठे और दाल खाए. कार की तरफ आते हुए मेरे पति ने तेज़ डकार भी ली. हम हँसे, जोर से. तब मुझे उससे प्रेम था, उसके डकारने के बावजूद. करीब तीन बजे सुबह हम होटल पहुंचे. थके हुए थे और अपने कमरे में आराम करने जा पहुंचे. मेरा सामान मेरे पति ने ही उठाया. कमरे में, वह मुझे देखकर मुस्कुराया और अपनी तरफ खींच लिया. यह एक सर्द रात थी और सूरज निकलने ही वाला था. अगली सुबह, हमने ट्रैकिंग के लिए निकलने से पहले नाश्ते में पराठा मंगवाया. उसे पराठे पसंद थे. मैंने फिर से डकार सुनी लेकिन मैं हंस न पायी बल्कि मेरा दिमाग एक शोर से भर गया. उस रात मेरा बलात्कार हुआ था.

पत्नी से दुष्कर्म

पिछले महीने, मैंने अपने तलाक की औपचारिकताएं पूरी कीं. अब, मैं आधिकारिक रूप से एक सिंगल महिला हूँ. इसके लिए यह बताना आसान था कि हमारे बीच बनी नहीं, बजाय वैवाहिक संबंधो में होने वाले बलात्कार को. जज भी आपका यकीन करेंगे और पूरी प्रक्रिया आसान हो जाएगी. मुझे ऐसा ही बताया गया था. और मैंने ऐसे ही किया.

इन दिनों, जिनसे भी मैं मिलती हूँ वो ये जानना चाहते हैं कि असल में हम दोनों के बीच गलत क्या हुआ. असामंजस्य को समझाना कई तरीकों से आसान है. अच्छे दिनों में मैं मजाक किया करती थी, "मुझे पेप्सी पसंद थी और उसे कोक. हम हमेशा यही बहस करते रहते कि इन दोनों में से अधिक मीठी कौन है." बुरे दिनों मे, उलट कर जवाब दे दिया करती कि "हमारे शारीरिक सम्बन्ध उतने बेहतर नहीं थे. शादी के इन दो सालों में हमने केवल एक ही मौके पर सेक्स किया था."  और जैसे ही ये शब्द मेरे मुह से निकलते, मुझे ही अपनी शादी के टूटने का जिम्मेदार ठहरा दिया जाता. कहकर या बिना कहे ही. और हर किसी के पास मुझे देने के लिए सलाह होतीं. कुछ पत्रिकाओं से उधार ली हुईं, कुछ निजी तजुर्बों से, तो कुछ रीति रिवाजों से.

सेक्स हमारे यहाँ निजी मसला नहीं है. गुफाओं में इसके चित्र भरे पड़े हैं, अलमारियों में रखे ग्रंथ बताते हैं, या फिर जैसे दीवारें बढ़िया मसाज़ करवाने वाले विज्ञापनों से भरे होते हैं. जब मैं अविवाहित थी, तो इस बारे में फुसफुसाहट ही होती थी. लेकिन जैसे ही शादी हुई, मेरी सेक्स लाइफ कई रूपों में 'खुल गई' थी. अगर मैं कभी खुश होती, मेरे दोस्त इस ख़ुशी को एक 'अच्छी' पिछली रात से जोड़ते. काम के दौरान आई सुस्ती भी रातों में 'ज्यादा आनंद' लेने की पहचान हुआ करती. आंटिया भी 'गुड न्यूज' वाले सवाल करते हुए बच्चों को जन्म देने का सही समय सुझाया करतीं. सब मुझे खुश देखना चाहते थे. इनकी चुहलबाजियों के जवाब में मैं भी बस मुस्कुरा दिया करती. लेकिन जब शादी के बाद मैं पहली बार महिला डॉक्टर के पास रूटीन चेकअप के लिए गयी, उसने बताया कि बहुत जल्द ही मुझे अपने संबंधों में आई दरार का जिम्मेदार घोषित किया जाएगा.

हालाँकि हमारी शादी को छः महीने हो गए थे और हम लिपटकर सोने के आदी थे और कभी कभी सुबह में एक दुसरे को चूम भी लिया करते लेकिन अभी तक हमने सेक्स नहीं किया था. उस महिला डॉक्टर ने आश्चर्य जताया, जब मैंने उसे ये सब बताया. डॉक्टर ने कहा कि "एक अच्छा सेक्स जीवन ही एक खुशहाल जीवन की पहचान है". उसने मेरे पति के बारे में पूछा "क्या उसके साथ सब कुछ ठीक है? क्या तुम्हे लगता है कि उसका किसी और से भी सम्बन्ध हैं? तुम्हे ये ये तो नहीं लगता कि उसे पुरुष पसंद हैं? या कहीं ये तो नहीं कि तुम्हे ही महिलायें अच्छी लगती हैं?" उसके सवाल मुझे बोझ लग रहे थे. मैंने मजाक में कहा कि मैं एक खुशहाल शादीशुदा जिंदगी में हूँ और ये मेरा निजी चुनाव है. मैंने मजाक भी किया कि आप मनोचिकित्सक की तरह बात कर रही हैं.      ये ठीक नहीं था. वह नाराज हो गईं. मेरे पास उसके लिए जवाब नहीं थे. फिर उसने खुद ही समझने का निश्चय किया. उसने मेरे कपड़ों की तरफ देखा जो दरवाजे पर टंगे थे. "तुम एक अच्छी पत्नी नहीं बन पा रही हो. बच्चे को जन्म को लेकर कब प्लान करोगी? तुम्हारा वक़्त बीत रहा है". मैं चुप रही.   

मेरे रूटीन चेक अप से यही पता लगा कि मैं स्वस्थ थी. बिना किसी बीमारी के संकेत के. लेकिन इन परिणामों से मेरी डॉक्टर को कोई मतलब न था.  उसने मेरे सेक्सविहीन जीवन पर नाराजगी जताई.   "एक औरत को वो सब करना ही चाहिए जो उसे करना है" "इस तरह से तो वो तुम्हे छोड़ देगा" तुम तलाक और सेक्स में से किसे तरजीह देती हो?

आज जब मैं पीछे देखती हूँ, मुझे आश्चर्य होता है कि क्यों कोई सेक्स के स्याह पक्ष की ओर नहीं देखता है. न कोई डॉक्टर, न कोई दोस्त और न ही कोई सहकर्मी. क्या वो सब यकीन करेंगे अगर मैं अपनी शादी की सच्चाई उन्हें बताऊँ?"  

अब फिर से मेरे रूटीन चेकअप का समय हो गया है और मुझे मेरे पुराने डॉक्टर के पास जाने से डर लग रहा है. खासकर इसलिए कि मैं "मैंने कहा था तुम्हें" जैसी बातों का जवाब देने में सहज नहीं हूं. शायद इसलिए पहले मैंने अपने दाँतो के डॉक्टर के पास जाने का फैसला लिया है. जहाँ मैं तीन बार ब्रश करूँ या दिन में दो बार, या एक बार, ये मेरा निजी मामला है. वैसा नहीं कि मैंने अपने पार्टनर का "उतना" साथ नहीं दिया.

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लेखक

पूर्वा ग्रोवर पूर्वा ग्रोवर @purva.grover.7

लेखिका ई-मैगजीन 'द इंडियन ट्रंपेट' की संस्थापक और संपादक हैं.

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