Maulana Saad के संदेश पर अक्षरशः अमल कर रहे हैं डॉक्टरों पर हमला करने वाले
इंदौर सहित देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) की जांच करने आए डॉक्टर्स (Doctors) की टीम पर जिस तरह मुस्लिम (Muslim) बस्ती के लोगों ने हमला किया साफ़ है कि उन्होंने तब्लीग़ी जमात (Tablighi Jamaat) प्रमुख मौलाना साद (Maulana Saad) की बातों पर अक्षरशः अमल किया है.
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दिल्ली के निज़ामुद्दीन (Nizauddin) में धर्म के नाम पर जिस तरह तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat) ने लाखों करोड़ों लोगों की जान को खतरे में डाला, उसपर अभी चर्चा हो ही रही थी. ऐसे में इंदौर (Indore) से समुदाय विशेष के लोगों की भीड़ का जांच करने आई डॉक्टर्स (Doctors) की टीम पर हमला करना न सिर्फ पूरे मुस्लिम समुदाय पर सवाल खड़े करता है. बल्कि ये भी बताता है कि इस हमले के जरिये इंदौर के मुसलमानों (Muslims) ने मौलाना साद (Maulana Saad) के संदेश पर अक्षरशः अमल किया है. घटना का वीडियो इंटरनेट (Indore Viral Video) पर जंगल की आग की तरह फैल रहा है और इसे लेकर तमाम तरह की बातें होनी शुरू हो गईं है. लोग इसके लिए जहां एक तरफ मुस्लिम समुदाय की शिक्षा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं तो एक वर्ग वो भी सामने आया है जिसने इस हरकत का जिम्मेदार कट्टरपंथी सोच और रूढ़िवादिता को माना है.
इंदौर की एक बस्ती में कोरोना वायरस की जांच करने डॉक्टर्स पर हमला करते बस्ती के लोग
इंटरनेट पर सुर्खियां बटोरता ये वायरल वीडियो दहला कर रख देने वाला है. वीडियो देखने के बाद तमाम सवालों के जवाब खुद ब खुद मिल जाते हैं. ये मारपीट और पत्थरबाजी देखने के बाद इस बात का अंदाजा लग जाता है कि आजादी के 70 सालों बाद भी मुस्लिम समाज की स्थिति जस की तस है जिसे सुधरने में शायद एक लंबा वक्त लगे.
Indore in India where people from a particular community attacked and threw stones at doctors & health workers who were there in a locality for medical examination in the wake of #COVID19. This is madness! Suicidal madness! Army should be deployed! pic.twitter.com/Wy0vas7ZLx
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) April 1, 2020
हो सकता है कि इन बातों को पढ़कर खुद मुस्लिम समाज आहत हो जाए और कह दे कि देश दुनिया में उसके खिलाफ साजिश की जा रही है. तो बता दें कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. मुस्लिम समाज के अंतर्गत भोगा वही जा रहा है जो कर्म पूर्व में किये गए हैं. आज जैसी स्थिति देश में मुसलमानों की है सबसे ज्यादा हैरत जिस बात को लेकर होती है वो ये कि मुस्लिम समाज आज आजादी के इतने लंबे वक्त बाद भी अपनी गलतियों से सबक नहीं ले रहा है और उन्हें लगातार दोहरा रहा है.
World would see lot about india during #COVID19Pandemic - What’s inside india and how intolerant society is , hardly people know - But we wish India and every country to pass through this hard time
— Qamar Cheema (@Qamarcheema) April 1, 2020
पहले निजामुददीन अब इंदौर.मुस्लिम समाज के अंतर्गत कट्टरपंथ और रूढ़िवादिता के दो ताजे उदाहरण हमारे सामने हैं. इंदौर की घटना को देखें तो क्या दोष था डॉक्टर्स का? क्या डॉक्टर्स सिर्फ इसलिए मारे गए क्यों कि देश का नागरिक होने के नाते शासन और प्रशासन को इनकी फिक्र थी? सरकार नहीं चाहती थी कि ये लोग मौत के मुंह में जाएं और इसलिए ही शायद उसने डॉक्टर्स की टीम को भेजा और उसके बाद जो हुआ उसे पूरे देश ने देखा. हम देख चुके हैं कि कैसे हाथों में पत्थर लिए ये भीड़ इनपर टूट पड़ी.
बता दें कि इंदौर के टाटपट्टी बाखल इलाके में स्वास्थ्य महकमे की टीम कोविड स्क्रीनिंग के लिये पहुंची थी.
इसी बात पर स्थानीय लोग भड़क गये कथित तौर पर उन्होंने पुलिस के बैरिकेड को तोड़ा और स्वास्थ्यकर्मियों पर पथराव कर दिया, बाद में पुलिसवालों ने मौके पर पहुंचकर मामला शांत करवाया. इससे पहले भी इंदौर के ही रानीपुरा इलाके में कोविड की जांच में जुटी टीम ने आरोप लगाया था कि मोहल्ले के लोगों ने उनके साथ गाली-गलौच की और उनपर थूका.
धर्म विशेष सरकार और स्वास्थ्य विभाग के साथ आने के बजाए ये सब क्यों कर रहा है इसकी ये बड़ी वजह उन व्हस्ट्स एप मैसेजों को माना जा सकता है जिनमें समुदाय से जुड़े धर्मगुरुयों की स्पीच फारवर्ड की गई हैं और जिसमें मौलाना और मौलवी यही कहते पाए जा रहे हैं कि कोरोना वायरस से कोई खतरा नहीं है और इसका हव्वा बनाकर इसके जारोये देश के आम मुसलमान के बीच डर पैदा किया जा रहा है.
जिक्र मौलवियों का हुआ है तो बता दें कि अभी बीते दिनों ही तब्लीग जमात के मुखिया मौलाना साद की स्पीच वायरल हुई है जिसमें उन्होंने कहा था कि मौलाना साद का कहना है कि कोरोना वायरस एक साजिश के तहत लाया गया है. इस वायरस का उद्देश्य मुसलमानों को मुसलमानों से अलग करना है. साथ ही उस स्पीच में तब्लीगी जमात के मुखिया ने ये भी कहा था कि अगर मौत आती है तो मरने के लिए मस्जिद से पवित्र कोई स्थान हो ही नहीं सकता.
अपने आलिमों की जाहिलियत का खामियाजा मुस्लिम समाज को कैसे भुगतना पड़ रहा है इसे उस खबर से भी समझा जा सकता है जो निजामुददीन से निकाले गए हैं और जिनकी जांच और इलाज चल रहा है. बताया जा रहा है कि ये लोग स्वास्थ्य विभाग का बिल्कुल भी सहयोग नहीं कर रहे हैं.
उत्तर रेलवे के सीपीआरओ दीपक कुमार की बातों पर यदि यकीन करें तो तुकलकाबाद में रखे गए कुछ तबलीगी जमात के लोग मेडिकल स्टाफ से लगातार बदसकूली कर रहे हैं. जमात के लोगों पर आरोप ये तक लगे हैं कि उन्होंने मेडिकल स्टाफ पर थूका तक है और ये लोग लगातार गैर जरूरी चीजों की डिमांड कर रहे हैं.
बता दें कि मरकज खाली करवाने के बाद तबलीगी जमात के 167 लोगों को रेलवे ने तुकलकाबाद में बने आइसोलेशन सेंटर्स में रखा है. जिनमें 97 को डीजल शेड ट्रेनिंग सेंटर में और 70 को आरपीएफ बैरक में रखा गया है.
बहरहाल जिस तरह एक के बाद एक नए नए कारनामे हमारे सामने आ रहे हैं. कोरोना के मद्देनजर जैसे सुरक्षा प्रबंध किये जा रहे हैं बड़ा सवाल ये है कि जैसी स्थिति है इस तरह तो शायद ही बीमारी कभी दूर हो. अंत में हम बस ये कहकर अपनी बात को विराम देंगे कि कोरोना वायरस से जूझ रहे देश को जहां अपनी स्वास्थ्य सेवाओं पर फोकस करना चाहिए था, अब वो अपना कीमती वक्त तब्लीगी जमात के निज़ामुद्दीन मरकज़ में शामिल हुए लोगों को ढूंढने पर खर्च कर रही है जिसका नतीजा हमारे सामने है.
जैसी गफलत मची है इतना तो साफ़ है कि अभी आगे हम ऐसे और भी नज़ारे देखेंगे. जो हमें इस बात का एहसास कराएंगे कि एक देश के रूप में संगठित होने में हमें लम्बा वक़्त लगेगा.
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