ब्रेस्टफीडिंग का मामला अश्लीलता या जागरुकता से कहीं आगे निकल गया है
जागरुकता के नाम पर अब तक लोग ब्रेस्टफीडिंग (स्तनपान) की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे थे, लेकिन एक मॉडल का अपनी बच्ची को रैंप वॉक के दौरान ब्रेस्टफीडिंग कराना इस मुद्दे की गंभीरता को खत्म करता है. बहस तो बनती है.
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ब्रेस्टफीडिंग पर अब तक बहुत कुछ कहा गया और बहुत सुना गया. इस मुद्दे को लेकर जितनी चर्चा आजकल हो रही है, उसे देखकर अनायास ही ये सवाल उठता है कि क्या वास्तव में ये ऐसा विषय है जिसपर इतना कुछ किया जाना आवश्यक है? जागरुकता के नाम पर अब तक लोग ब्रेस्टफीडिंग की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे थे, लेकिन अब लगता है कि जागरुकता के नाम पर लोग सिर्फ अपने हित साध रहे हैं.
इस वक्त मियामी में हुए Sports Illustrated मैगजीन के फैशन शो के बड़े जोर-शोर से चर्चे हो रहे हैं. वजह- मॉडल मारा मार्टिन का अपनी बच्ची को रैंप वाक के दौरान ब्रेस्टफीडिंग कराना. आप जिस सीन की कल्पना भी नहीं कर सकते वो इस मॉडल ने करके दिखाया है. बिकिनी पहने हुए मॉडल, गोद में 5 महीने की बच्ची, बच्ची के कानों में हेडफोन्स और रैंप के चारों तरफ पानी और ये सबकुछ हो रहा था कैटवॉक के दौरान.
आप खुद समझ सकते हैं कि रैंप पर बच्ची को ब्रेस्टफीड कराना क्या दिखा रहा है
वीडियो देखकर समझिए क्या ये जरूरी था?
#SportsIllustrated #Swimsuit #model Mara Martin walked the runway while nursing her one month old daughter. #NormalizeBreastfeeding pic.twitter.com/qsHWnmiugx
— LoVetta Jenkins (@ChattyPassenger) July 17, 2018
इन तस्वीरों के बाहर आते ही सोशल मीडिया पर बहस छिड़ना स्वाभाविक था, क्योंकि ये यकीनन बहस का मुद्दा था. हालांकि मॉडल के इस कदम की जमकर तारीफें भी हो रही हैं. कई महिलाएं कह रही हैं कि मॉडल के इस कदम से काम के दौरान ब्रेस्टफीडिंग को बढ़ावा मिलेगा, तो किसी ने कहा कि इस वीडियो को देखकर कई औरतें अपनी बॉडी को लेकर सहज महसूस करेंगी. लेकिन मुझे लगता है कि ये ऐसा मामला था जिसपर आलोचना होना भी उतना ही जरूरी था.
जरा सोचकर देखिए ये था क्या? जिस काम को बड़े इतमिनान से कराना चाहिए उसे इतने सारे लोगों के शोर के बीच जानबूझकर किया गया. शोर की वजह से ही शायद बच्ची के कान में हेडफोन्स लगाए गए थे. यानी बच्ची को हर तरीके से असहज कराया ही गया. इस सोचे-समझे एक्ट के जरिए ब्रेस्टफीडिंग को नॉर्मलाइज़ करने की बात कही जा रही है, इसे वूमन पॉवर का नाम दिया जा रहा है.
सब जानते हैं कि ये सामान्य प्रक्रीया है फिर इसे असामान्य क्यों बनाया जा रहा है-
मैं खुद एक मां हूं. अपने बच्चे को ब्रेस्फीड भी कराती हूं, लेकिन मां और बच्चे की इस प्राकृतिक क्रिया को इस तरह प्रचारित करना मुझे ढोंग के सिवा कुछ नहीं लगता. इसे ढोंग न कहें तो क्या कहें. हर मां जानती है कि उसका दूध बच्चे के लिए कितना जरूरी है. बच्चे को जब भूख लगती है तो मां न जगह देखती है न किसी की परवाह करती है, वो कहीं भी होगी तो बच्चे को अपना दूध पिलाएगी ही. मैंने आजतक कोई ऐसा मां नहीं देखी जो बच्चे को सिर्फ इसीलिए बिलखने देती हो कि वो बाहर ब्रेस्टफीड कराने में सहज महसूस नहीं करती. मैंने भी कई बार पब्लिक प्लेस में बच्चे को ब्रेस्टफीड कराया है और हर कोई करवाता है. No big deal !!
लेकिन अब ये मामला जागरुकता का नहीं रह गया है. हम आए दिन कई कैंपेन के बारे में पढ़ते हैं, वो तस्वीरें देखते हैं जो लोगों को जागरुक करने के लिए मैगजीन्स में छापी जाती हैं और सोशल मीडिया पर प्रचारित की जाती हैं. मुझे उसमें अश्लीलता तो नहीं दिखती लेकिन हां एक हद तक स्वार्थ जरूर दिखता है.
मुझे ये कहते हुए जरा भी बुरा नहीं लगता कि कुछ महिलाएं ऐसा करके सिर्फ लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करना चाहती हैं, जिससे उन्हें किसी न किसी तरह फायदा मिल सके. इस मॉडल ने ऐसा करके वो कर दिया जो वो अपने पूरे मॉडलिंग करियर में नहीं कर पाई होगी. आज वो इंटरनेशनल मीडिया में छाई हुई है. और वजह वो अहम मुद्दा बना जिसकी गंभीरता को रैंप पर लाकर इस मॉडल ने उसे बेहद हल्का बना दिया.
शर्म करो... हर चीज का बाजारीकरण बंद करो.
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