दिल्ली पर मच्छरों का हमला मोदी और केजरीवाल दोनों के लिए शर्मनाक !
2017 के अभी 3 महीने ही बीते हैं और दिल्ली में चिकुनगुनिया, डेंगू और मलेरिया से हालात खराब हो रहे हैं. 8 अप्रैल तक के ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं, पर इन हालातों का जिम्मेदार असल में है कौन?
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दिल्ली में चिकुनगुनिया, डेंगू और मलेरिया से त्राहि त्राहि मची है. पिछले साल ही दिल्ली में डेंगू के 4431 केस दर्ज हुए. वहीं अगर चिकुनगुनिया की बात की जाए तो 7760 केस सामने आए. मगर इस साल जो आंकड़े सामने आए हैं वो चौंकाने वाले हैं. 2012 के बाद, ये आंकड़े अब तक के सबसे ज्यादा हैं. 1 जनवरी 2017 से लेकर 8 अप्रेल 2017 तक दिल्ली में चिकुनगुनिया के 79 मामले, डेंगू के 24 और मलेरिया के 13 मामले सामने आ चुके हैं. इन मामलों ने दिल्ली वालों को सोचने पर मजबुर कर दिया है. मगर इन सबका जिम्मेदार कौन है ?
आपको बता दें कि 2013 से लेकर 2015 तक दिल्ली सरकार चिकुनगुनिया और डेंगू के विज्ञापन पर करीब 10 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है.
मगर अब जो एमसीडी इलेक्शन हो रहे हैं इसमें दिल्ली सरकार और दिल्ली निगम दोनों ही एक दूसरे पर आरोप मढ़ रहे हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल कहते हैं कि साफ-सफाई का काम निगम का है, निगम ने दिल्ली में साफ-सफाई नहीं की जिसके कारण गंदगी से मच्छर पनपे और लोग बीमार हो रहे हैं. तो वहीं निगम कहता है कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने कोई काम नहीं किया. ये स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी है कि वो दिल्ली को इन सब से बचाएं.
अब आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हर वार्ड में कुछ इसी तरह का प्रचार प्रसार कर रहें है कि अगर आपको चिकुनगुनिया और डेंगू से दूर रहना है तो आपको आम आदमी पार्टी को जिताना होगा. मगर क्या केजरीवाल इस सवाल का जवाब देंगे कि उनके दिल्ली सरकार में आने से क्या हुआ ? जब भी कुछ इस तरह का मुद्दा सामने आता है वो तुरंत कह देतें हैं कि या तो इसकी जिम्मेदारी मोदी की केंद्र सरकार की है या फिर निगम की. मगर दिल्लीवासियों के तो 5 साल इसी बात का पता लगाने में गुजर जाते हैं कि ये जिम्मेदारी आखिर है किसकी ?
आपको याद होगा कि सितंबर 2016 में जब दिल्ली इन बिमारियों से जूझ रही थी तब दिल्ली में न तो मुख्यमंत्री मौजूद थे और न ही उप राज्यपाल.
उस समय दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने गले की सर्जरी के लिए बेंगलूरू गए थे, वो 10 दिन वहां रहें. डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया सरकारी दौरे पर यूरोपीय देश फिनलैंड गए हुए थे. श्रम मंत्री गोपाल राय छत्तीसगढ़ में थे. खाद्य मंत्री इमरान हुसैन हज पर मक्का गए हुए थे. तो वहीं दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन चुनाव प्रचार के लिए गोवा गए हुए थे. ये सब बाहर थे, सिर्फ जल मंत्री कपिल मिश्रा ही दिल्ली में थे. इसके अलावा दिल्ली का बॉस माने जाने वाले उपराज्यपाल नजीब जंग भी निजी विदेशी दौरे पर गए थे. ऐसे वक्त में दिल्ली में रहने वाले लोगों में बहुत गुस्सा देखने को मिला था. यहां लोगों का ठीक से इलाज नहीं हो पा रहा था और स्वास्थ्य मंत्री गोवा प्रचार प्रसार करने गए थे. खैर गोवा में प्रचार प्रसार करने के बाद भी पार्टी वहां अपना खाता भी नहीं खोल सकी.
मगर पिछले 10 सालों में दिल्ली के तीनों निगमों ने सफाई के मामले में कुछ काम नहीं किया. जब मैं दिल्ली के वार्डों में घूमता हूं और तस्वीर देखता हूं तो सोचता हूं कि क्या ये वाकई दिल्ली है ? यहां प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी रहते हैं. आज दिल्ली में कई इलाके ऐसे हैं जहां पर गंदगी ही गंदगी पसरी हुई है. लोगों को ये कहने में भी शर्म आती है कि हम लोग दिल्ली में रहते हैं.
अक्टूबर 2016 में जब दिल्ली सरकार और निगम एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का खेल खेल रहे थे तब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई और कहा कि ये बंद कीजिये और दिल्ली के लिये कुछ काम कीजिये. सुप्रीम कोर्ट की फटकार के एक दिन बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कैबिनेट मंत्री सत्येन्द्र जैन पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग से मिले थे. और उन्होंने डेंगू और चिकुनगुनिया का एकसाथ मिलकर मुकाबला करने पर सहमति जताई थी.
इस मुद्दे को लेकर अक्सर उपराज्यपाल पर निशाना साधने वाले केजरीवाल और जंग के बीच चार महीने बाद यह बैठक हुई. इस बैठक में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने उपराज्यपाल को सरकार के रुख से अवगत कराया था.
साल 2017 को अभी महज 4 महीने ही हुए हैं और हालात होश उड़ा देने वाले हैं तो सोचिये आगे क्या होगा. चुनाव अपनी जगह है मगर दिल्ली सरकार और निगम को लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने का कोई हक नहीं है. ये दोनों की जिम्मेदारी है कि दिल्ली को इन बीमारियों से दूर रखा जाए.
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