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Updated: 20 अप्रिल, 2017 06:31 PM
सरवत फातिमा
सरवत फातिमा
  @ashi.fatima.75
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हिजाब दुनिया में अब सिर्फ एक कपड़ा भर नहीं है जिससे सिर को ढंका जाता है, बल्कि हिजाब पहचान है. एक धर्म विशेष का, उसके अनुयायियों का और उसमें श्रद्धा रखने वालों का. हिजाबी होना उतना भी आसान नहीं है. इस एक कपड़े के टुकड़े से किसी को नुकसान तो नहीं है लेकिन इससे लड़कियां अक्सर नस्लीय भेदभाव का शिकार हो जाती हैं.

जब से ट्रम्प ने अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभाला है यहां मुस्लिम महिलाओं के लिए हालात बदतर हो गए हैं. ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से हिजाब पहनी हुई मुस्लिम महिलाओं के शोषण की खबरें इंटरनेट पर छाई हुई हैं. और ऐसा ही कुछ 17 साल की लाम्या के साथ भी हुआ था.

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लाम्या एक चैट ग्रुप से जुड़ी थी जहां 'राष्ट्रपति ट्रम्प और तनावपूर्ण राजनीतिक माहौल' विषय पर हाल ही में चर्चा हो रही थी. लाम्या को ट्रंप की विदेशी पॉलिसी पसंद नहीं थी. ट्रंप और देश के मुस्लिम नागरिकों से जुड़े उनकी राजनीतिक नीतियों पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए अपने विचार उसने व्यक्त किए.

बजफीड नाम की वेबसाइट को दिए गए इंटरव्यू में लाम्या ने कहा, 'राष्ट्रपति के कामों और बयानों ने मुझे प्रभावित किया है और इसी कारण से उनके खिलाफ मैं पर्सनली बहुत फील करती हूं. मैं एक अरब मुस्लिम हूं.' लेकिन जब लाम्या ने अपना विचार चैट ग्रुप में रखा तो, ग्रुप में कुछ लोगों को उसके कमेंट पसंद नहीं आए. और एक ने तो उसे गालियां भी दी.

उस लड़के ने लिखा- 'इस्लाम के पक्ष में बोलना बंद कर कुतिया. तुम अपना स्कार्फ तो हटा नहीं सकती. तेरे पापा तुझे बहुत मारेंगे.'

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हालांकि लाम्या ने इस मामले को यहीं ठंडा पड़ने नहीं दिया. इसके बाद उसने जो किया उससे वो सोशल मीडिया स्टार बन गई. 17 साल की लाम्या ने सऊदी अरब में रहने वाले अपने पापा को मैसेज किया. वो ये जानना चाहती थी कि अगर उसने हिजाब हटाने का फैसला किया तो क्या सच में उसके पापा उसकी पिटाई करेंगे. लेकिन लाम्या के पिता का रिप्लाई अब इंटरनेट पर लोगों का दिल जीत रहा है.

महिला, मुस्लिम, हिजाब, अमेरिकापापा पर मु्झे नाज है

उन्होंने कहा, 'स्वीटहार्ट इसका फैसला मुझे नहीं लेना है. बल्कि इसका फैसला कोई भी पुरुष नहीं कर सकता. अगर तुम ऐसा करना चाहती हो तो शौक से करो. मैं हर फैसले में तुम्हारे साथ हूं.' ये सच में बड़ा भावुक करने वाला जवाब है. रोजाना हम कई खबरें पढ़ते हैं जहां पुरुष, महिलाओं को खुद के लिए सोचने या कोई भी काम करने की अनुमति नहीं देते हैं? लेकिन उनके इस जवाब ने हमें उनका कायल कर दिया.

जब लाम्या ने सोशल मीडिया पर पिता के साथ हुई अपनी इस बातचीत का स्क्रीनशॉट पोस्ट किया तो लोगों ने खुले शब्दों में उन्हें सराहा. यही नहीं लाम्या के इस ट्वीट को अब तक लगभग 1,50,000 बार रीट्वीट भी किया जा चुका है.

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लेखक

सरवत फातिमा सरवत फातिमा @ashi.fatima.75

लेखक इंडिया टुडे में पत्रकार हैं

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