200 उइगुर मुसलमानों की बीवियां गायब कर चीन ने अमेरिका तक की नींद उड़ा दी है
चीन में 200 से ज्यादा उइगुर मुसलमानों की बीवियों के गायब होने से लोग डरे हैं और उनका मानना है कि ऐसा करके चीन अपने देश से मुसलमानों की आबादी को बिल्कुल खत्म करना चाहता है.
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चीन के शिंजियांग प्रांत में मुस्लिम व्यापारी एक अजीब सी स्थिति का सामना कर रहे हैं. खबर है कि यहां पर 200 से अधिक मुस्लिम व्यापारियों की पत्नियां लापता हो गई हैं. मुस्लिम व्यापारियों की पत्नियां कहां हैं इसके विषय में किसी के पास कोई ठीक-ठीक जानकारी नहीं है. जब इस गंभीर मामले की शिकायत चीनी अधिकारियों से की गयी तो उन्हें बस इतना कहकर रवाना कर दिया गया कि उनकी पत्नियों को 'शैक्षणिक केंद्र' ले जाया गया है. पत्नियों के यूं अचानक गायब होने से शिंजियांग प्रांत के उइगुर मुसलामानों के मन में डर घर कर गया है.
लम्बे समय से खबर आ रही है कि चीन उइगुर मुसलमानों को प्रताड़ित कर रहा है.
खबर टाइम्स ऑफ इंडिया के हवाले से है. टीओआई ने अपनी रिपोर्ट में चौधरी जावेद अट्टा का जिक्र किया है. बताया जा रहा है कि चीन से अपना वीजा रिन्यू कराने पाकिस्तान आए अट्टा की पत्नी को गायब हुए 1 साल हुआ है. अट्टा के अनुसार जब वो पाकिस्तान से चीन जा रहे थे तब उनकी पत्नी ने कहा था कि, जैसे ही आप जाएंगे, वे मुझे कैंप में ले जाएंगे और फिर मैं कभी वापस नहीं आऊंगी.' जब अट्टा ने इस मामले की शिकायत चीनी अधिकारियों से की तो उन्होंने ये कहकर अपना पल्ला झाड़ दिया है कि उन लोगों की पत्नियों को शिक्षा देने के लिए एजुकेशन सेंटर ले जाया गया है.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले भी चीन पर आरोप लगते रहे हैं कि उसने उइगरों को न सिर्फ प्रताड़ना दी है. बताया जा रहा है कि चीन ने उइगुर मुसलमाओं को न सिर्फ नजरबंद किया बल्कि उनकी धार्मिक मान्यताओं को नष्ट कर दिया है. साथ ही खबर ये भी है कि अब चीन द्वारा बंदियों को एक बिल्कुल अलग तरह की शिक्षा दी जा रही है.
अपनी आपबीती पर अट्टा का कहना है कि उनके बच्चों का पासपोर्ट चीनी अधिकारियों ने जब्त कर लिया है इसलिए उन्हें अपने बच्चों को भी छोड़ना पड़ा. अट्टा बताते हैं कि बीते 9 महीनों से उन्होंने अपने बच्चों को नहीं देखा है. माना जा रहा है कि चीन की सरकार ने यह कदम हिंसा और दंगों की वजह से उठाया है.
अपनी गायब हुई पत्नी की तस्वीर दिखाता एक नागरिक
गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन ने संसदीय सुनवाई के दौरान अपने देश के सांसदों को बताया था कि चीन के नजरबंदी शिविरों में करीब 8 से 20 लाख धार्मिक अल्पसंख्यक बंद हैं. संसदीय सुनवाई के दौरान 'ब्यूरो ऑफ ह्यूमन राइट डेमोक्रेसी एंड लेबर' में उप सहायक विदेश मंत्री स्कॉट बुस्बी ने चीन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि चीन दुनिया के अन्य तानाशाह शासनों के ऐसे दमनात्मक कदमों का समर्थन कर रहा है.
बुस्बी के अनुसार, 'अमेरिकी सरकार का आकलन है कि अप्रैल, 2017 से चीनी अधिकारियों ने उइगुर, जातीय कजाक और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के कम से कम आठ लाख से बीस लाख सदस्यों को नजरबंदी शिविरों में अनिश्चितकाल के लिए बंद कर रखा है.' सीनेट की विदेश मामलों की उपसमिति के समक्ष बुस्बी ने बताया था कि सूचनाओं के अनुसार हिरासत में रखे गए ज्यादातर लोगों के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया गया है और उनके परिजनों को उनके ठिकानों के बारे में बेहद कम या कोई जानकारी नहीं है.
आपको बताते चलें कि शुरू - शुरू में चीन ने इस तरह की किसी भी हरकत से इंकार किया था मगर जब उसपर अंतर्राष्ट्रीय दबाव पड़ा तो उसने माना कि उसने ऐसे कैम्प बना रखे हैं जहां लोगों को रखा गया है. चीन के अनुसार ये 'व्यावसायिक शिक्षा केन्द्र' हैं जहां लोगों को रखा गया है.
चीन द्वारा निर्मित ये केंद्र कैसे हैं यदि इसे समझना हो तो हमें उन लोगों की बताएं जरूर सुननी चाहिए जो इन कैम्पों ससे सुरक्षित बाहर निकले हैं. यहां से सुरक्षित बाहर आए लोगों के अनुसार कैम्प के हालात बहुत खराब हैं. उन शिविरों में नमाज सहित अन्य धार्मिक रीतियों पर प्रतिबंध है. साथ ही कैम्पों में रहने वाले लोगों को बाध्य किया जाता है कि वो ऐसा कोई भी कम न करें जो कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा के विपरीत हो.
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