Scrub typhus: यूपी में फैल रहे जानलेवा रहस्यमयी बुखार के बारे में जानिए सभी बातें
इस वायरल बीमारी के लक्षण संक्रमित चिगर यानी लार्वा माइट्स के द्वारा काटे जाने के 10 दिनों के भीतर सामने आने लगते हैं. पहले लक्षणों में बुखार और ठंड लगना, उसके बाद सिरदर्द, शरीर में दर्द और मांसपेशियों में दर्द होने लगता है. बीमारी के बढ़ने के साथ काटने वाली जगह का रंग गहरा होने लगता है और उस पर पपड़ी जम जाती है.
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भारत में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर जताई गई आशंका के बीच उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में एक रहस्यमयी बुखार तेजी से फैल रहा है. बीते एक हफ्ते में इस बुखार की वजह से 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें बच्चों की संख्या ज्यादा है. इस वायरल बुखार की पहचान पहचान 'स्क्रब टाइफस' यानी Scrub typhus के रूप में की गई है. खास तौर से उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद, आगरा, मैनपुरी, एटा और कासगंज में स्क्रब टाइफस फैलने की खबरें सामने आ रही हैं. इस संक्रमण के फैलने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया. सीएम योगी ने कहा कि लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों की एक टीम इसकी जांच करेगी. यह टीम विशेष रूप से स्क्रब टाइफस के कारण हुई बच्चों की मौत और प्रकोप के कारण का पता लगाएगी. स्क्रब टाइफस के प्रकोप के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने फिरोजाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी का तबादला कर दिया है. इसके साथ ही स्थिति का जायजा लेने के लिए आईसीएमआर की टीम को भी बुलाया गया था. इस इलाके में स्क्रब टाइफस (fever) के प्रसार से चिंताजनक हालात पैदा हो गए हैं. वहीं, जमीनी हकीकत जानने के लिए लखनऊ के 15 डॉक्टरों की एक और टीम ने प्रभावित इलाकों का दौरा किया.
स्क्रब टाइफस ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी (Orientia tsutsugamushi) नाम के बैक्टीरिया की वजह से होता है.
रहस्यमयी बुखार स्क्रब टाइफस क्या है?
स्क्रब टाइफस एक फिर से उभरता हुआ रिकेट्सियोसिस संक्रमण है, जो पहले भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में रिपोर्ट किया गया था. यह एक वेक्टर बॉर्न बीमारी है. इसकी शुरुआत बुखार और शरीर पर चकत्ते पड़ने से होती है और आगे चलकर यह शरीर के नर्वस सिस्टम, दिल, गुर्दे, श्वसन और पाचन प्रणाली को प्रभावित करता है. इस बुखार की वजह से निमोनिया, मेनिंगो-एन्सेफलाइटिस, ऑर्गन फेलियर और इंटर्नल ब्लीडिंग के साथ ही इस बीमारी में एक्यूट रेसपिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) का खतरा बना रहता है.
इसे स्क्रब टाइफस क्यों कहा जाता है?
यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, ग्रामीण और शहरी इलाकों में पाई जाने वाली झाड़ियों और छोटे पौधों में यह वेक्टर पाया जाता है. जिसकी वजह से इस बीमारी का नाम 'स्क्रब' पड़ा है. वहीं, 'टाइफस' एक ग्रीक शब्द है जिसका मतलब 'बेहोशी के साथ बुखार' या धूम्रपान होता है. दुनियाभर में 100 करोड़ से ज्यादा लोगों पर स्क्रब टाइफस का खतरा है और हर साल करीब 10 लाख मामले सामने आते हैं.
यह कैसे फैलता है?
स्क्रब टाइफस ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी (Orientia tsutsugamushi) नाम के बैक्टीरिया की वजह से होता है. बैक्टीरिया का नाम जापानी भाषा का है. जिसमें त्सुत्सुगा शब्द बीमारी और मुशी शब्द कीट (कीड़े) के लिए इस्तेमाल होता है. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) के अनुसार, स्क्रब टाइफस बीमारी संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) यानी घुन के काटने से फैलती है. दरअसल, घुन अपने विकास चक्र के दौरान केवल एक बार गर्म रक्त वाले जानवरों के सीरम पर फीड करता है. इस कीट के काटने के निशान अक्सर कमर, कांख, जननांग या गर्दन पर पाए जाते हैं. नेशनल हेल्थ पोर्टल ऑफ इंडिया के अनुसार, चिगर के काटने से अल्सर हो जाता है, जो एक काले रंग के एस्चार (त्वचा से निकलने वाले डेड टिश्यू का जमाव) के विकास के साथ ठीक हो जाता है.
क्या यह कोई नई बीमारी है?
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दुनिया के कुछ हिस्सों में स्क्रब टाइफस ने महामारी का रूप ले लिया था. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, सुदूर पूर्व के सैनिकों के बीच स्क्रब टाइफस सबसे भयानक बीमारी के रूप में उभरा. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत के असम और पश्चिम बंगाल में महामारी के रूप में स्क्रब टाइफस फैल गया. धीरे-धीरे, यह बीमारी भारत के कई हिस्सों में फैल गई. इस वायरल बीमारी का जन्म फारस की खाड़ी, उत्तरी जापान और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के बीच एक काल्पनिक त्सुत्सुगामुशी त्रिकोण में हुआ था. यह बीमारी करीब 13 मिलियन वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है. पूर्व में जापान, चीन, फिलीपींस, दक्षिण में ऑस्ट्रेलिया और पश्चिम में भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाकों तक इसका प्रभाव क्षेत्र है.
स्क्रब टाइफस के लक्षण क्या हैं?
इस वायरल बीमारी के लक्षण संक्रमित चिगर यानी लार्वा माइट्स के द्वारा काटे जाने के 10 दिनों के भीतर सामने आने लगते हैं. पहले लक्षणों में बुखार और ठंड लगना, उसके बाद सिरदर्द, शरीर में दर्द और मांसपेशियों में दर्द होने लगता है. बीमारी के बढ़ने के साथ काटने वाली जगह का रंग गहरा होने लगता है और उस पर पपड़ी जम जाती है. बीमारी बढ़ने पर संक्रमित मरीज को भ्रम से लेकर कोमा तक की समस्या हो सकती है. सीडीसी के अनुसार, गंभीर रूप से बीमार मरीजों में ऑर्गन फेलियर और ब्लीडिंग हो सकती है, जो घातक साबित हो सकती है.
स्क्रब टाइफस की पहचान कैसे होती है?
सीडीसी के अनुसार, स्क्रब टाइफस के लक्षण कई अन्य बीमारियों की तरह ही होते हैं, जिसकी वजह से इसकी पहचान मुश्किल हो जाती है. बैक्टीरिया की मौजूदगी का पता लगाने के लिए खून की जांच के साथ अन्य जांचें की जाती हैं. वहीं, गंभीर मामलों में मरीज को अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है. साथ ही डॉक्टर के द्वारा उपचार की जरूरत होती है. जबकि, सामान्य मामलों में बीमारी के लक्षण आमतौर पर बिना इलाज के ही दो हफ्तों में गायब हो जाते हैं.
स्क्रब टाइफस से संक्रमित मरीज के इलाज में सामान्य तौर पर एंटीबायोटिक डॉक्सीसाइक्लिन दी जाती हैं.
क्या स्क्रब टाइफस की वैक्सीन है?
इसका जवाब है नहीं. किसी वयस्क या बच्चे को इस बीमारी से बचाने के लिए कोई टीका नहीं है.
स्क्रब टाइफस का इलाज क्या है?
स्क्रब टाइफस से संक्रमित मरीज के इलाज में सामान्य तौर पर एंटीबायोटिक डॉक्सीसाइक्लिन दी जाती हैं. सीडीसा के अनुसार, डॉक्सीसाइक्लिन का इस्तेमाल किसी भी उम्र के व्यक्ति पर किया जा सकता है. लक्षणों के सामने आने के तुरंत बाद दिए जाने पर एंटीबायोटिक्स सबसे प्रभावी होते हैं. शुरूआत में ही डॉक्सीसाइक्लिन से इलाज कराने वाले मरीज आमतौर पर जल्दी ठीक हो जाते हैं.
क्या स्क्रब टाइफस की रोकथाम के लिए कोई प्रोटोकॉल है?
हेल्थ एजेंसियों और विशेषज्ञों का मानना है कि जहां चिगर्स के पाए जाने की संभावना हो, लोगों को ऐसी झाड़ियों और छोटे पौधों वाली जगह पर जाने से बचना चाहिए. ऐसी जगहों पर बैक्टीरिया जनित इस बीमारी से संक्रमित कीट आपको काट सकते हैं. अगर आप बच्चों के साथ हैं, तो उन्हें ऐसे कपड़े पहनाएं, जो उनके हाथ-पैरों को पूरी तरह से ढकें. छोटे बच्चों के पालने आदि को मच्छरदानी से ढका रखें. बच्चों के चेहरे पर कीड़े भगाने वाली क्रीम लगाएं.
क्या स्क्रब टाइफस किसी खास क्षेत्रीय और मौसम में होता है?
इसका जवाब हां है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के अनुसार, भारत के कई हिस्सों में स्क्रब टाइफस फैल चुका है. इस बीमारी का प्रकोप जम्मू से लेकर नागालैंड तक, उप-हिमालयी बेल्ट के इलाकों में भी फैला है. राजस्थान से भी इसके कई मामले सामने आए हैं. 2003-2004 और 2007 के दौरान हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में स्क्रब टाइफस फैलने की खबरें आई थीं. बारिश के मौसम में ये सबसे ज्यादा फैलता है. हालांकि, दक्षिणी भारत में ठंड के महीनों में इसके फैलने की खबरें सामने आई थीं. स्क्रब टाइफस भारत में फिर से उभरने वाला संक्रामक रोग है.
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