Navratri से पहले बेटियों के लिए प्रतिज्ञा लेनी होगी
आपकी बेटियां (Daughters) इतनी नादान क्यों है कि कोई भी उन्हें बहला-फुसलाकर, मूर्ख बनाकर उनका बलात्कार (Rape) कर दे या लव-जिहाद (Love Jihad) कर दे. इस बदलते वक़्त में उन्हें मां दुर्गा, रानी लक्ष्मी, रानी दुर्गावती या सैनिक की तरह पालिए जो हर समय ख़ुद पर होने वाले हमले के लिए चौकन्ना रहे और उस हमले को ध्वस्त कर दे.
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जब किसी उद्दंडी, आपराधिक प्रवृृृृृत्ति के मनुष्य को पता चलता है कि उसके पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति के घर की एक दीवार कमज़ोर है तो मौकापरस्त व्यक्ति उसी दीवार में सेंध लगाकर पड़ोस के घर पर हमला करता है. आपकी बेटियां (Daughters) इतनी नादान क्यों है कि कोई भी उन्हें बहला-फुसलाकर, मूर्ख बनाकर उनका बलात्कार (Rape) कर दे या लव-जिहाद कर दे. आपकी बेटियां कठपुतलियां नहीं हैं कि कोई भी उन्हें अपनी उंगलियों पर नचा ले. इस बदलते वक़्त में उन्हें मां दुर्गा (Maa Durga), रानी लक्ष्मी (Rani Laxmi), रानी दुर्गावती या सैनिक की तरह पालिए जो हर समय ख़ुद पर होने वाले हमले के लिए चौकन्ना रहे और उस हमले को ध्वस्त कर दे. तनिष्क का विवाद (Tanishq Controversy) जिस मुद्दे को लेकर उठा उस पर मैंने पिछले तीन दिनों में एक ही बात लिखी है, 'अपनी बेटियों को मजबूत बनाइए'. यही बात आए दिन इस तरह से होने वाले बलात्कर की ख़बरों पर भी लागू होती है. (यह स्पष्ट कर दूं कि ये बातें सिर्फ उन अपराधों के लिए हैं जिनमें अपराधी बेटियों को बहला-फुसलाकर अपराध को अंजाम देते हैं. इसके अलावा बेटों के संस्कार और सामाजिक चेतना को बढ़ाने के लिए पहले भी कह चुकी हूं.) इसे और स्पष्ट रूप से कहती हूं.
अब वो वक़्त आ गया है जब समाज को बेटियों को सशक्त बनाना है
आपकी बड़ी होती बेटियों की परवरिश में यह शामिल होना चाहिए कि लड़का कोई भी हो तुम्हारी पहली प्राथमिकता प्रेम नहीं बल्कि शिक्षा, और आर्थिक निर्भरता होनी चाहिए, यह चाहे अपने किसी शौक़ को व्यवसाय में बदलकर आए, चाहे कोई नौकरी करके या चाहे घर बैठे चार बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर.
आपकी बेटियों की मानसिकता में यह शामिल होना चाहिए कि उनका साथी जिसे वे चुन रही हैं वह किसी भी जाति/वर्ग/धर्म का हो वह उस पर अपनी धार्मिक आस्था थोपने या परिवर्तित करने का अधिकार 'रिश्ते के किसी भी पड़ाव पर' नहीं रखता.
आपकी बेटियों को यह पता होना चाहिए कि सुंदर सा दिखने वाला कोई भी एड क्या कहता है उससे फ़र्क नहीं पड़ता, फ़र्क इससे पड़ता है कि यदि हिंदू महिलाएं अपनी धार्मिक आस्था को बदलना नहीं चाहती हैं और 'विवाह अधिनियम' के तहत एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी करती हैं, तो एक अदालत का ही ऐसा फैसला है जो कहता है कि ऐसी शादी न तो वैध है और न ही अवैध है. और ऐसी शादी में पत्नी का पति की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं है.और यदि कोई महिला शादी के लिए धर्मांतरण करती है तो मुस्लिम तलाक और रखरखाव कानून, 'विशेष विवाह अधिनियम' की तुलना में बहुत प्रतिगामी (रिग्रेसिव) हैं. हमारा यह कानून महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने में सक्षम नहीं है.
उन्हें यह पता होना चाहिए कि वे जिस पर्दा प्रथा, स्वेच्छा से पहनने-खाने-घूमने-पढ़ने-नौकरी करने आदि जैसे मसलों पर स्त्रियों के अधिकारों की मांग अपने घर में करती हैं, उसी की मांग उन्हें बुरखा प्रथा और अन्य अधिकारों के लिए दूसरे धर्म में भी करनी होंगी. क्या वे ऐसा करने में सक्षम रहेंगी?
आपके और आपकी बेटी के बीच के संबंध इतने पारदर्शी होने चाहिए कि वह किसके साथ संबंध में है, घुल-मिल रही है, घूम रही है, इंटरनेट पर क्या खेल रही है यह आपको पता हो ताकि उसकी जान पर होने वाले किसी भी हमले से पहले आप उसे बचा सकें, उसे चेता सकें. आपकी बेटी में आपके प्रति यह विश्वास होना चाहिए.
सबसे ज़रूरी, यदि किसी भी वजह से आपकी बेटी किसी दूसरी जाति/वर्ग के पुरुष से विवाह कर भी लेती है तो उसे यह पता होना चाहिए कि उस पर आने वाली विपत्ति में वह अपने घर वापस लौट सकती है. उसे यह कहकर भगा देना कि अब जो किया है सो भुगतो, के बाद यदि उसकी हत्या हो रही है तो आपका रोना-गाना और अन्य लोगों पर इल्ज़ाम लगाना किसी काम का नहीं.
आपकी बेटी को यह पता होना चाहिए कि उसके जीवन के अधिकार उसके अपने हैं, वह किसी भी परिवार में ब्याह के जाए ये अधिकार उससे कोई नहीं छीन सकता. फिर भी यदि उसके साथ किसी भी प्रकार का उत्पीड़न हो रहा है तो वह मानसिक और शारीरिक रूप से इतनी सक्षम हो कि हमलावर की टांगों के बीच हमला कर ख़ुद को बचाना जानती हो.
रोने से, शोर मचाने से, और हाय हाय चिल्लाने से बेटियों की सुरक्षा नहीं हो सकती, ना बलात्कार से, न ही लव-जिहाद से. उन्हें ट्रेनिंग देने से ही होगी.अब यह आप पर निर्भर है कि आपको क्या चुनना है. नवरात्रों की शुभकामनाएं.
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