नीरव मोदी जैसों से निपटने के लिए चीन का ये तरीका अपनाना पड़ेगा !
चीन ने ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए उन्हें हवाई यात्रा करने, क्रेडिट कार्ड सुविधा लेने और बुलेट ट्रेन से यात्रा करने जैसी सुविधाओं से बेदखल कर दिया है. इतना ही नहीं, चीन के कोर्ट ने ऐसे लोगों के प्रमोशन पर भी रोक लगा दी है.
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पहले विजय माल्या बैंकों का पैसा लेकर विदेश फरार हो गए और अब हीरा कारोबारी नीरव मोदी भी उन्हीं के नक्शे कदम पर चल पड़े हैं. ये बड़े कारोबारी बैंकों के पैसे हजम करके फरार हो जाते हैं और देश के बैंक और सरकार तमाशबीन बनी रह जाती है. लेकिन चीन के साथ ऐसा नहीं है. बैंक डिफॉल्टर्स से कैसा निपटा जाए, इसका सबक पड़ोसी देश चीन से सीखा जा सकता है. चीन ने ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए उन्हें हवाई यात्रा करने, क्रेडिट कार्ड सुविधा लेने, लोन लेने और हाई स्पीड (बुलेट) ट्रेन से यात्रा करने जैसी सुविधाओं से प्रतिबंधित कर दिया है. इतना ही नहीं, चीन के कोर्ट ने ऐसे लोगों के प्रमोशन पर भी रोक लगा दी है.
चीन ने बैंक डिफॉल्टर्स को बुलेट ट्रेन से यात्रा करने से बेदखल कर दिया है.
67.3 लाख के खिलाफ हुई कार्रवाई
चीन ने ये सख्त कदम कुल 67.3 लाख लोगों के खिलाफ उठाया है. इन सभी बैंक डिफॉल्टर्स को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन की सरकार ने करीब 61.5 लाख लोगों को हवाई टिकट खरीदने से रोका है और 22.2 लाख लोगों को हाई स्पीड ट्रेन से यात्रा करने से प्रतिबंधित किया है. चीन के सबसे बड़े कमर्शियल बैंक 'द इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना' ने तो लोन और क्रेडिट कार्ड के कई सारे आवेदन खारिज कर दिए हैं.
कैसे किया ये सब?
चीन के सुप्रीम पीपल्स कोर्ट ने बैंक डिफॉल्टर्स के आईडी कार्ड और पासपोर्ट की जानकारी एयरलाइन और रेलवे कंपनियों के साथ साझा की. सभी को आदेश दिए गए कि डिफॉल्टर्स को सेवाएं न दी जाएं. शुरुआत में तो बैंक डिफॉल्टर्स के सिर्फ आईडी कार्ड को ब्लैक लिस्ट किया गया था, लेकिन लोग टिकट आदि के लिए अपने पासपोर्ट का भी इस्तेमाल करने लगे, जिसके बाद पासपोर्ट को भी ब्लैक लिस्ट कर दिया गया. रोजमर्रा में इस्तेमाल की जाने वाली सेवाओं पर रोक लगने की वजह से निश्चित ही बैंक डिफॉल्टर्स को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.
ट्विटर पर भी छाया ये फैसला
इसे लेकर फिल्म अभिनेता परेश रावल ने एक ट्वीट भी किया है, जिसमें चीन के इस तरह के फैसले की खबर का एक प्रिंट शॉट उन्होंने शेयर किया है. उनके इस ट्वीट पर लोग भी प्रतिक्रिया देते हुए सवाल कर रहे हैं कि क्या भारत सरकार ऐसा कर सकती है? कुछ लोग तो यह भी कह रहे हैं कि अगर ऐसा भारत में हो गया तो अधिकतर सांसद और विधायक ट्रेन या हवाई जहाज से यात्रा नहीं कर सकेंगे. कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के जजों द्वारा की गई कॉन्फ्रेंस की ओर इशारा करते हुए एक यूजर ने यह भी कहा है कि हमारा सुप्रीम कोर्ट तो सरकार द्वारा चलाया जाता है. कुछ तो परेश रावल पर ही निशाना साधते हुए कह रहे हैं कि अपनी पार्टी वालों को भी ये सब दिखाओ.
Point to be noted ... my lord ! pic.twitter.com/MdsuRrZ2rk
— Paresh Rawal (@SirPareshRawal) February 19, 2018
भारत में क्यों जरूरी है ऐसा कोई फैसला?
अगर नीरव मोदी के 11,300 करोड़ रुपए के पीएनबी घोटाले पर नजर डाली जाए तो पहली नजर में यह कहना सही है कि यह बैंक का पैसा था, ना कि देश के लोगों का. अब देखते हैं इसका दूसरा पहलू. हाल में ही सरकार ने पंजाब नेशनल बैंक को रीकैपिटलाइजेशन में 5,500 करोड़ रुपए दिए थे. यानी अगर बैंक के 11,300 करोड़ उसे वापस मिल जाते तो सरकार को रीकैपिटलाइजेशन के लिए बैंक को पैसे देने की जरूरत नहीं पड़ती. सरकार की कमाई टैक्स से होती है और उसी पैसे से बैंक का रीकैपिटलाइजेशन किया गया. अगर ये पैसे बैंक को नहीं देने पड़ते तो उससे समाज कल्याण के कुछ काम हो सकते थे. आरबीआई की 30 जून 2017 को जारी की गई रिपोर्ट (Financial Stability Report) के मुताबिक देश में कुल 5,064 बैंक फ्रॉड के मामले हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में करीब 10 लाख करोड़ रुपए बैड लोन या एनपीए में हैं. ऐसे में अगर भारत में भी ऐसा कोई सख्त कदम उठाया जाएगा तो सरकार को बार-बार बैंकों को रीकैपिटलाइजेशन के लिए जनता की गाढ़ी कमाई से चुकाए गए टैक्स का पैसा देने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
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