Nirbhaya case के दोषी अक्षय को फांसी से बचाने के लिए पत्नी ने खेला बड़ा दांव
निर्भया मामले (Nirbhaya case) में लगातार डिले हुआ है और अब जबकि 20 मार्च 2020 को फांसी (Hanging) की तारीख मुक़र्रर हुई है दोषी अक्षय (Akshay Singh) की पत्नी ने कोर्ट में तलाक की अर्जी (Divorce Application ) लगाकर ये बता दिया है कि अब भी उनका इरादा फांसी टालने का है.
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20 मार्च 2020 इस तारीख का इस देश की एक बड़ी आबादी को लंबे समय से इंतजार है. ये वो तारीख है जब निर्भया मामले (Nirbhaya Case) के प्रमुख आरोपियों मुकेश सिंह (Mukesh Singh), पवन गुप्ता (Pawan Gupta), विनय शर्मा (Vinay Sharma) और अक्षय कुमार सिंह (Akshay kumar Singh) को फांसी की सजा (Capital Pusnishment) होनी है. मामला लंबे समय से टाला जा रहा है इसलिए इस फांसी पर सारे देश की निगाहें हैं. अब तक जैसा हमने देखा है अपराधियों ने एक के बाद एक कई ऐसे पैंतरे आजमाए जिनके चलते ये फांसी टलती रही. अब जबकि सब कुछ निर्धारित हो चुका है और कोर्ट डेथ वारंट जारी कर चुकी है, एक बार फिर इस फांसी पर अड़ंगा डालने की कोशिश हुई है. इस बार ये प्रयास आरोपियों के वकील एपी सिंह (AP Singh) ने नहीं बल्कि दोषी अक्षय की पत्नी पुनीता ने किये हैं. अक्षय कुमार की पत्नी ने औरंगाबाद परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रामलाल शर्मा के न्यायालय में तलाक (Divorce) की अर्जी दी है. अक्षय की पत्नी ने कहा है कि मैं उसकी (अक्षय की) विधवा के रूप में अपना जीवन नहीं जी सकती.
निर्भया मामले में फांसी में अड़ंगा अब दोषी अक्षय की पत्नी ने लगाया है
कोर्ट में दी गई अपनी अर्जी में पुनीता सिंह ने कहा है कि उनके पति को निर्भया के साथ हुए बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया है और उन्हें कोर्ट के फैसले के बाद अब फांसी दी जानी है. अपने पति को बेगुनाह मानते हुए अक्षय ठाकुर की पत्नी का ये भी कहना है कि मेरे पति निर्दोष हैं, ऐसे में मैं उनकी विधवा बन कर नहीं रहना चाहती. इसलिए उसे अपने पति से तलाक चाहिए.
अब चूंकि देश का संविधान न्याय के लिहाज से सभी के लिए बराबर है इसलिए अदालत ने भी इस अर्जी पर ध्यान दिया है. मामले की सुनवाई के लिए 19 मार्च की तारीख मुक़र्रर की गई है. मामले पर अक्षय सिंह की पत्नी के वकील मुकेश कुमार सिंह ने कहा है कि पीड़ित महिला को विधिक अधिकार है कि वह हिंदू विवाह अधिनियम 13(2)(II) के तहत कुछ खास मामलों में वो तलाक का अधिकार पा सकती है. इसमें दुष्कर्म का मामला भी शामिल है. कानून के मुताबिक अगर दुष्कर्म के मामले में किसी महिला के पति को दोषी ठहरा दिया जाता है, तो वह तलाक के लिए अर्जी दे सकती है.
जैसे फांसी के कुछ घंटों पहले दोषी अक्षय की पत्नी ने उसे बचाने का प्रयास किया है कह सकते हैं कि फांसी के इस मामले में बचाव का नाटक ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है. चूंकि इस मामले पर देश दुनिया की नजर है. साथ ही ये मामला लगातार मीडिया की सुर्ख़ियों में है तो कहीं न कहीं अक्षय की पत्नी पुनीता भी इस बात को जानती है कि देश का संविधान उसे न्याय की पूरी छूट देता है. यानी जिस कानून और संविधान की निर्भया के बलात्कारी अक्षय ने धज्जियां उड़ाई अब उसका ही इस्तेमाल एक ऐसे हथियार की तरह किया जा रहा है जिससे अपराधी की जान बचाई जा सके.
गौरतलब है कि निर्भय मामले को एक लंबा वक़्त गुजर चुका है. जैसे समय समय पर दोषियों के वकील ने चालाकी का इस्तेमाल करते हुए फांसी में देरी की है ये भी साफ़ हो जाता है कि जो कानून आज दोषियों को सजा दे रहा है उसी में उनके बचाव के प्रावधान भी हैं जिनका दोषी और उनके वकील बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं.
जिस तरफ फांसी के करीब 60 घंटे पहले अक्षय की पत्नी द्वारा तलाक की अर्जी कोर्ट में डाली गई है. कहा जा सकता है कि एक बार फिर दोषियों की तरफ से खुद को बचाने के लिए एक सोची समझी रणनीति के तहत बड़ी चाल खेली गई हैं. ये चाल कितनी कामयाब होती है इसका पता हमें जल्द ही चल जाएगा. मगर जिस लिहाज से कानून और संविधान का सहारा लेकर अब पति को बचाने पत्नी आई है. कामना बस यही की जा सकती है कि इस मामले में देर न हो.
दोषियों की जगह फांसी का तख्ता है और वो वहीं पाए जाएं. हमें इस बात को ससमझना होगा कि यदि अब मामले में और देरी होती है तो इस देश की एक बहुत बड़ी आबादी का भरोसा न्याय प्रणाली से उठ जाएगा. कह सकते हैं कि अब अदालत के सामने दोहरी चुनौती है. जहां एक तरफ उसे लोगों के भरोसे पर खरा उतरना है तो वहीं दूसरी तरफ उसे दोषियों को उनके घिनौने गुनाह की सजा भी देनी है.
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