ऑनलाइन प्यार खोजने के साइड इफेक्ट
इस तरह की घटनाएं चाहें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हों या ऑफलाइन एक बड़ा सवाल छोड़ जाती हैं. आखिर कब किसी लड़की के ना को लोग ना ही समझेंगे.
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कुछ दिनों पहले जब चंडीगढ़ में एक आईएएस की बेटी वर्णिका कुंडु से हरियाणा के बीजेपी अध्यक्ष के बेटे विकास बराला के छेड़छाड़ और अपहरण की कोशिश का मामला सामने आया था. इस मामले में लोगों ने कहा कि पीड़िता वर्णिका 12 बजे रात को घर के बाहर सड़क पर घूम रही थी तो ऐसी वारदात तो होगी ही. लेकिन उन महान आत्माओं को ये कौन बताए कि सिर्फ बाहर घूमने पर ही महिलाओं का पीछा, छेड़छाड़ और शोषण नहीं किया जाता बल्कि लड़कियां तो ऑनलाइन भी सुरक्षित नहीं होतीं.
महिलाओं के लिए तो सोशल मीडिया भी सुरक्षित जगह नहीं है. अपने फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम या ऐसे किसी भी प्रोफाइल अपनी खुद की फोटो भी डालने के पहले लड़कियों को सौ बार सोचना पड़ता है. हमेशा उन्हें ये डर सताता रहता है कि कहीं कोई सनकी, पागल और विकृत सोच का आदमी मेरी टाइमलाइन पर कुछ पोस्ट न कर दे. या मेरी फोटो के साथ छेड़छाड़ करके उन्हें गलत इस्तेमाल न करने लगे, आदि आदि.
ऑनलाइन डेटिंग एप के हैं कई नुकसान
डिजिटल प्लेटफॉर्म में अपनी निजी जानकारियां चोरी होना भी महिलाओं के लिए एक बड़ा खतरा साबित होती है. हो सकता है महिला का कोई दुश्मन उसका ईमेल अकाउंट हैक कर ले और उसकी सारी जानकारियां निकाल कर गलत इस्तेमाल कर ले या फिर सोशल मीडिया पर उसे बदनाम कर दे.
आइए आपको मैं अपनी दोस्त निहारिका दत्ता (बदला हुआ नाम) के साथ ऑनलाइन स्टॉकिंग के बारे में बताऊं. निहारिका के साथ ये घटना एक ऑनलाइन डेटिंग एप के इस्तेमाल करने के बाद हुई.
अपने कई दोस्तों से ऑनलाइन डेटिंग एप के जरिए सच्चा प्यार पाने की बातें सुनने के बाद मैंने भी इस तरह के एप को आजमाने का फैसला किया. करीब दो साल पहले मेरी एक दोस्त ने मेरे फोन में टिंडर, आइल और ओके क्यूपिड (ओकेसी) नाम के डेटिंग एप डाउनलोड कर दिया. इन्ही डेटिंग एप के जरिए उसे अपना प्यार मिला था.
ओकेसी पर आए पहले प्रस्ताव वाला लड़का मुझे थोड़ा अच्छा लगा था. राहुल (बदला हुआ नाम) और मैं चैट करने लगे. हमारे बीच सामान्य बातचीत शुरु हो गई थी- मेरी हॉबी क्या है, मेरा पसंदीदा खाना, मुझे क्या-क्या पढ़ना पसंद है, संगीत और भी इसी तरह की बहुत सारी बातें. आज के समय में लोगों के बीच बातचीत का तरीका बहुत बदल चुका है और लोगों को एक से दुसरे के पास जाने में समय नहीं लगता.
लेकिन राहुल थोड़ा अलग था. एप पर बात करने में उसे बहुत दिलचस्पी थी. एक हफ्ते तक खाना, पसंद-नापसंद और म्यूजिक पर बात करने के बाद हमने मिलने का फैसला किया. मैंने अपनी मां को ये सारी बातें बता रखी थी तो उन्हें राहुल से मिलने के प्लान के बारे में भी बताया. मैं और राहुल खान मार्केट में मिले. लेकिन उससे मिलने के एक मिनट के अंदर ही मुझे ये समझ आ गया था कि ये वो राहुल नहीं है जिससे मैंने चैटिंग की थी.
जब मैंने उससे अपने किताबों, म्यूजिक और ट्रेवलिंग के बारे में पूछा तो वो थोड़ा चौंक गया. क्योंकि ये सारी बातें हम चैटिंग में पहले कर चुके थे. कॉफी ऑर्डर करने के बाद हम दोनों के बीच एक गहरी खामोशी छा गई थी. फिर उसने मेरी तरफ देखते हुए एक ऐसा सवाल दागा जिसको सुनकर मैं स्तब्ध रह गई- 'तो, ये बताओ की तुम सेक्स के लिए करती क्या हो?' कॉफी मेरे हलक में अटक गई. एक मिनट के लिए मैं ये समझने की कोशिश कर रही थी कि क्या सचमुच इसने मुझसे ये सवाल पूछा है. मैं ठंडी पड़ गई थी. मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैंने इधर-उधर की बात करनी शुरु कर दी.
लेकिन उसने इस मुद्दे को नहीं छोड़ा. उसने मुझसे पूछा क्या मैं ऑनलाइन डेटिंग साइट पर नई हूं. मैंने हां में जवाब दिया. तो वो मुझे बताने लगा कि ऑनलाइन डेटिंग साइट्स पर 'होता क्या है'. उसने बताया कि ऐसे साइट्स पर उसने अपने कितने अकाउंट बना रखे हैं. और एक फिल्मी कहानी के तरह की घटना भी बताई कि कैसे अमेरिका की छात्रा एक हफ्ते के लिए भारत घूमने आई. इस एप के जरिए वो दोनों मिले और उन्होंने एक हफ्ते 'मौज-मस्ती' की. उसने ये भी बताया कि कैसे उसने एक दिन में चार-चार लड़कियों को 'मैनेज' किया है.
इस समय तक मैं बिल्कुल बेचैन हो गई थी और मैं वहां से उठकर घर चली गई. घर पहुंचने तक उस लड़के ने मुझे 55 बार कॉल कर दिया था, 30 व्हाट्स एप मैसेज और इसी तरह के 70 मैसेज एप पर कर रखे थे. ज्यादातर बार उसने यही पूछा था कि 'क्या हुआ मैं क्यों ऐसे चली आई?' उसका आखिरी मैसेज मुझे धमकी के रुप में मिला कि- 'अब तुम देखो मैं तुम्हारे साथ क्या करता हूं.'
मैंने तुरंत वो एप फोन से अनइंस्टॉल किया. उसे व्हाट्स एप पर ब्लॉक कर दिया. शायद मैंने उसके अहम को चोट पहुंचा दी थी. लेकिन उसके बाद वो मुझे पागलों की तरह फोन करने लगा. मैंने जब उसे फोन पर ब्लॉक किया तो वो मुझे भद्दे मैसेज करने लगा. फिर मैंने उसे वहां भी ब्लॉक कर दिया. उस दिन मैं डर से सो नहीं पाई. हर समय मुझे लगता रहता कि अब न जाने वो क्या करेगा. मुझे ये अभी भी भरोसा नहीं हो रहा था कि मैं उसके चंगुल भाग आई थी और सही सलामत अपने घर पहुंच गई थी.
ये उन लोगों में से ही एक था जो लड़कियों का पीछा करते हैं. उनको प्रताड़ित करते हैं. उनका शोषण करते हैं. रेप करते हैं. खैर एक हफ्ते बाद जब मुझे ये लगने लगा था कि उसका टॉपिक खत्म हो चुका है उसने दोबारा मुझे फोन करना शुरु कर दिया. अब वो नए नंबरों से कॉल करता और जैसे ही मैं फोन उठाती वो मुझे गंदी-गंदी गालियां देने लगता. यही नहीं, उसने सोशल मीडिया पर मेरा पीछा करना शुरु कर दिया. फेसबुक पर मुझे फेक प्रोफाइल बनाकर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता. मेरे ट्विटर टाइमलाइन पर लिखता.
अब मुझे एहसास हो रहा था कि ऑनलाइन डेटिंग साइट कितने खतरनाक हो सकते हैं. कम-से-कम मैं तो इस तरह के साइट्स के लिए नहीं बनी थी. इस घटना ने मुझे इतना डरा दिया है कि आज भी ऑनलाइन डेटिंग साइट्स के नाम तक से मैं सिहर जाती हूं. मैंने सारे एप अनइंस्टाल कर दिए हैं और जीवन में अब कभी भी इस तरह के एप का प्रयोग नहीं करने वाली.
भले ही निहारिका ने वो एप डिलीट कर दिए लेकिन उसकी डरावनी याद उसे आज भी पसीना-पसीना कर जाती है. इस तरह की घटनाएं चाहें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर हों या ऑफलाइन एक बड़ा सवाल छोड़ जाती हैं. आखिर कब किसी लड़की के ना को लोग ना ही समझेंगे.
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