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Updated: 14 जून, 2015 12:29 PM
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पाकिस्तान हमारा पड़ोसी मुल्क. लगभग हर हमेशा तनावपूर्ण रिश्ते. कभी सीमा विवाद तो कभी आतंकवाद बनता है कारण. कभी मछुआरों की धर-पकड़. पिछले 67 सालों में हम पड़ोसी बनकर कम, दुश्मन बनकर ज्यादा रहे हैं. शांति की कभी कोई कोशिश हुई भी तो वो क्षणभंगुर ही साबित हुई. कुछ मौकों पर कुछ कमियां हमारी ओर से भी रहीं. लेकिन दोनों मुल्कों के तनावपूर्ण रिश्ते के लिए पाकिस्तानी आर्मी हमेशा से सबसे बड़ा कारण रहा है.

दो खबरें आई हैं. एक वह जिसमें पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ ने कहा कि कश्मीर के लिए वो कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं. दूसरी खबर वह है, जिसमें गलती से भारत में प्रवेश कर गए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के एक नागरिक को इंडियन आर्मी ने मिठाईयों के साथ सकुशल घर वापसी करा दी.

सेना किसी भी देश की हो, अगर आपमें अनुशासन और मानवता की कमी है तो फिर आप आतंकवादियों से अलग नहीं हैं. युद्ध हो या न हो, आपसे दूसरे देश की सेना या आम नागरिक के भी साथ वैसे व्यवहार की उम्मीद नहीं की जाती, जैसा सौरभ कालिया और उनके साथियों के साथ किया गया.

मामला मेरे मुल्क से जुड़ा है और उसके साथ पाकिस्तान का नाम है, सिर्फ इस कारण यह लिखा जा रहा है, ऐसा नहीं है. सेना कहीं की भी हो, उसकी ट्रेनिंग कभी भी उसे सिर्फ और सिर्फ 'गोली मार, बम फेंक, अकूत ताकत' मानव दरिंदा नहीं बनाती. ट्रेनिंग में मानवता, अनुशासन के गुर भी सिखाए जाते हैं. तभी एक कैडेट, जेंटलमैन कैडेट की राह पर चलता हुआ जेंटलमैन ऑफिसर बनता है.

पाकिस्तान और भारत की सेना बहुत अलग नहीं है. दोनों की शुरुआत ब्रिटिश ऑफिसरों की ट्रेनिंग से ही हुई है. हां कुछ समय बाद दोनों मुल्कों की सेना में बदलाव देखने को मिला. इसका भी एक कारण था -  पाकिस्तान की राजनीति में वहां की सेना की दखलंदाजी. यही कारण आज भी जारी है और जारी है पाकिस्तानी सेना का गिरता हुआ स्तर.

जनरल राहील शरीफ साहब! कुछ तो शराफत आप भी दिखाएं. बयानबाजी नेताओं को करने दीजिए. आप किसी देश के सेना चीफ हैं. आपका व्यवहार और आपकी वाणी सेना के निचले स्तर के अधिकारी और रिक्रूट तक को प्रभावित करता है. कुछ ऐसा कीजिए, जिससे आपकी सेना में भी मानवता और अनुशासन की मजबूत नींव पड़े. शुरुआत करके तो देखिए, यकीन मानिए बड़ा सुकून मिलेगा.

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लेखक

चंदन कुमार चंदन कुमार @chandank.journalist

लेखक iChowk.in में पत्रकार हैं.

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