पाकिस्तानी सनक: सोन चिरइया का शिकार इसलिए होता है क्योंकि 'वो भारतीय है'
पाकिस्तान के लोगों के मन में एक चिडि़या के प्रति नफरत की कहानी वहां की मानसिकता का प्रदर्शन करती है. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐसे पड़ोसी के प्रति क्या भावना रखी जानी चाहिए...
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पुलवामा आतंकी हमले ने भारत-पाकिस्तान के कई साल से चले आ रहे राजनायिक रिश्तों की खाल उधेड़ दी है. व्यापार, खेल और राजनीति की छोड़िए पाकिस्तान और भारत में तो अब पानी को लेकर भी दोस्ती न रहने के संकेत मिल गए हैं. पाकिस्तान ने एक तरफ जहां न्यूक्लियर वॉर की धमकी दी है वहीं भारत ने भी एक के बाद एक कई कड़े फैसले पाकिस्तान के खिलाफ ले लिए हैं. सरहदों को और महफूज करने के लिए कड़े नियम बनाए जा रहे हैं, और सुरक्षा तैनात की जा रही है, लेकिन क्या पक्षी, नदी, हवा सरहदों को मानते हैं?
नहीं इन्हें इंसान की बनाई सरहदों से कोई लेना-देना नहीं है और इसलिए तो भोलेपन में ये नहीं समझते कि वो अपने घर से उड़कर किसी और देश में शिकार होने पहुंच रहे हैं. हमारा पड़ोसी पाकिस्तान सैनिक, आम जनता और इंसानियत का कत्ल कर खुश नहीं हुआ तो उसने पक्षियों को भी मारना शुरू कर दिया.
भारत की सोन चिरैया यानी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड या गोदावन पाकिस्तान की गोली का शिकार हो रही है. ये वो चिड़िया है जो आजादी के समय तक भारत में बहुतायत में पाई जाती थी, लेकिन अब पूरी दुनिया में 100 से भी कम संख्या में बची है. ये वो चिड़िया है जो एक समय भारत के रेगिस्तानी इलाकों में और गर्म राज्यों में बेखौफ होकर घूमती थी. अब इसे सिर्फ राजिस्थान के थार और गुजरात के कच्छ में देखा जा सकता है और वो भी बहुत ढूंढने पर मिलेगी.
एक बेचारी चिड़िया को इसलिए अपनी जान गंवानी पड़ रही है क्योंकि उसके नाम के आगे भारत जुड़ा हुआ है.
क्यों इस ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का जिंदा रहना जरूरी है?
ये प्रजाति विलुप्ति की कगार पर है. ये चिड़िया दुनिया की सबसे भारी चिड़िया है जो उड़ सकती है. शुतुरमुर्ग की तरह इसकी लंबी गर्दन और पैर होते हैं, वजन भी 15 किलो तक जा सकता है और लंबाई 1 मीटर. इसमें 20 से 100 मीटर तक उड़ने की क्षमता होती है. गोदावन का शिकार उसके मांस और अंडों के लिए भी किया जाता है. अंग्रेजों के समय में गोदावन का शिकार बहुत ज्यादा प्रचलित था, लेकिन उसके बाद इसे बैन कर दिया गया. गोदावन इतनी जल्दी खत्म की गईं कि अब उन्हें उंगलियों पर गिना जा सकता है और हो सकता है कि आधिकारिक आंकड़ों से बहुत कम उनकी संख्या हो.
IUCN (International Union for Conservation of Nature) की रेड लिस्ट में गोदावन शामिल है. रेड लिस्ट का मतलब है कि ये विलुप्तप्राय प्रजाति है और इसका खात्मा बहुत नजदीक है. भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में गोडावन को अनुसूची-I में रखा गया है. यानी भारत में इसका शिकार और इसका कारोबार दोनों ही मना है, लेकिन ये भारत की बात है पाकिस्तान की नहीं.
ऐसा नहीं है कि इसकी विलुप्ती के लिए सिर्फ शिकार जिम्मेदार है. इस प्रजाति का रहने का ठिकाना कम हो रहा है, कमजोर नजर के कारण ये हाई-टेंशन लाइन देख नहीं पाती और बिजली के तारों में सिमट कर रह जाती है. पर फिर भी शिकार एक बहुत बड़ा कारण है जिसे नकारा नहीं जा सकता.
पाकिस्तान में हो रही गोली का शिकार-
भारत में तो वन्यजीव संरक्षण के नियमों का पालन होता है और इस पक्षी का शिकार बैन है, लेकिन पाकिस्तान में ऐसा नहीं है. ये पक्षी सर्दी के मौसम में पलायन कर सरहद पार कर जाते हैं औऱ वहां इन्हें शौख के लिए तो कभी मांस के लिए मार दिया जाता है. भारत में इस चिड़िया को बंगाल टाइगर और गिर के शेर की तरह का संरक्षण प्राप्त है, लेकिन पाकिस्तान में ऐसा कोई भी नियम नहीं है.
क्यों लगाया जा रहा है पाकिस्तान पर इल्जाम?
बात-बात पर सबूत मांगकर कुछ न करने वाला पाकिस्तान शायद इस मामले में भी सबूत मांगे. तो उसके लिए सबूत तैयार है. IUCN की 2017 की Red List रिपोर्ट में यही बात साफ की गई है. इस रिपोर्ट का एक हिस्सा कहता है कि पाकिस्तान में बस्टर्ड का शिकार जिस हालत में हो रहा है उससे भारत में मौजूद ये चिड़िया अगले कुछ सालों में ही विलुप्त हो जाएगी.
उस रिपोर्ट में किए गए खुलासे के अनुसार कच्छ के नालिया से पाकिस्तान उड़कर गई गोदावन की संख्या में बहुत कमी आई है. पिछले 4 साल में 63 चिड़िया इस इलाके में देखी गई है और रिपोर्ट कहती है कि उनमें से 49 का शिकार हो चुका है. ये अनुमानित आंकड़ा है, ये हो सकता है कि स्थिति इतनी गंभीर न हो या फिर ये भी हो सकता है कि स्थिति इससे ज्यादा भयावह हो.
एक और सबूत कि पाकिस्तान में होता है इस प्रजाति का शिकार-
भले ही पाकिस्तान अपनी बातों को कैसे भी नकारे, लेकिन सच्चाई कहीं न कहीं से बाहर आ ही जाती है. पाकिस्तान में काफी समय से गोदावन चिड़िया और उसकी प्रजाति की अन्य चिड़िया का शिकार किया जाता है. ये तब भी होता है जब वहां शिकार बैन है. अफ्रीका की Houbara Bustard चिड़िया जो ग्लोबल एंडेंजर्ड प्रजाति यानी विश्व की सबसे विलुप्तप्राय प्रताजि में शामिल है उसे भी पाकिस्तान आकर अपनी जान गंवानी पड़ती है.
दरअसल, इस चिड़िया का शिकार भले ही बैन हो, लेकिन पाकिस्तानी सरकार ने अभी इसी फरवरी में सऊदी के राजघराने को इसके शिकार की इजाजत दे दी. कारण? पाकिस्तान को प्रति पर्मिट 1 लाख डॉलर मिले हैं यानी विलुप्तप्राय प्रजाति को और भी ज्यादा खतरे में डालना पाकिस्तान के लिए बहुत मुश्किल नहीं है क्योंकि उसे पैसे से मतलब है.
Houbara bustard continues to remain the pillar of our foreign policy. 100,000 $ per family is the icing on the foreign policy cake.Saudi, Qatari royal families on houbara hunting visit - Pakistan - https://t.co/XPD9LbWGKj https://t.co/PnrZUymg9J
— Murtaza Solangi (@murtazasolangi) January 7, 2019
इस काम के लिए पहले नवाज शरीफ सरकार बदनाम थी और अब इमरान खान के नए पाकिस्तान में भी कुछ नहीं बदला है. हालात, वैसे के वैसे ही हैं. जो पाकिस्तान पैसे के लिए खतरे में पड़ी प्रजाति की विलुप्ति का भी डर नहीं रखता वो पाकिस्तान उस चिड़िया को कैसे छोड़ देगा जिसके नाम में ही इंडिया है.
कुछ लोगों का मानना है कि इसका शिकार मांस के लिए हो रहा है तो कुछ कहते हैं कि ये सिर्फ इसलिए हो रहा है क्योंकि इसके नाम में ही इंडिया जुड़ा हुआ है. बात जो भी हो ये अनोखा जीव पाकिस्तान में बेमौत मारा जा रहा है.
पाकिस्तान में इसका शिकार खेल समझा जा रहा है और भारत की चिड़िया मारना भी शायद उनका बदला लेने का एक तरीका हो. लेकिन चाहें जो भी हो इंसानियत तो शर्मसार है ही. एक जिद्दी देश अपने अड़ियलपन के लिए एक बेचारे जानवर की हत्या करने से भी बाज नहीं आ रहा और वो चिड़िया सिर्फ अपने नाम के कारण अपनी जान गंवा रही है.
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