बेटे बहू से पोता-पोती की मांग करना जायज है या नहीं?
बहुत से लोग माता-पिता की इस मांग से हैरान हैं और सहमत नहीं हैं. उन्हें ऐसा लग रहा है ये माता-पिता असमंजस में हैं कि इन्हें पोता-पोती चाहिए या बेटे की परवरिश पर खर्च किए गए पैसे?
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बच्चे के लिए महिलाओं का ताना मारना तो सुना था, लेकिन इस बार तो माता-पिता पोता-पोती की चाह में बेटे-बहू के खिलाफ अदालत ही पहुंच चुके हैं. इतना तो मान गए हैं कि इस जमाने में कुछ भी हो सकता है. भले बेटे-बहू में पटरी न खाती हो लेकिन पोता-पोती तो करना ही पड़ेगा. ई कैसी जबरदस्ती हुई भाई? ई कोई होली का रंग नहीं है जो आप बुरा ना मानो बोलकर लगाने चले आए, ई बच्चा पैदा करने का फैसला है. इसमें ई खेला ना बाबा ना...
शादी के बाद पैर छूते समय लोग बेटों को खुश रहने और बहू को दूधो नहाओ पूतो फलों का आशीर्वाद देते हैं. शादी के बाद ही उस लड़की को बच्चे की अहमियत को अच्छी तरह समझा दिया जाता है. महिलाएं नई बहू को कह देती हैं कि सबकुछ अच्छे से हो गया अब जल्दी से घर में किलकारी गूंज जाए बस इतना ही अरमान है.
वैसे इन बातों में कुछ नया है, यह बातें दुल्हनें सदियों से सुनती आ रही हैं. कोई यह नहीं कहता है कि तुम्हारी जिदंगी में इतना बड़ा परिवर्तन हुआ है पहले संभल तो जाओ. पहले अपना घर छोड़ने के दर्द से तो उभर जाओ. बच्चे को जन्म कब देना है यह पूरी तरह तुम पर निर्भर करता है.
क्या किसी पर बच्चे के लिए इस हद तक दबाव बनाना सही है?
वैसे बच्चे के लिए महिलाओं पर हमेशा से ही दबाव बनाया जाता रहा है, लेकिन इस तरह का केस पहली बार देखने में सामने आया है जब किसी माता-पिता ने पोता-पोती के लिए अपने बेटे बहू पर मुकदमा दर्ज कर कोर्ट में घसीट दिया है. यह मामला उत्तराखंड के हरिद्वार का है. जहां एक बुजुर्ग माता-पिता ने अपने बेटे-बहू से कहा है कि, हमें पोते-पोती की दो या फिर हर्जाने के तौर पर 5 करोड़ रूपए दो.
सुनने में हम भावुक होकर भले ही माता-पिता का पक्ष ले सकते हैं, लेकिन क्या इस मांग को सही कहा जा सकता हैं? बुजुर्ग दंपत्ति को दादा-दादी बनने का सुख चाहिए, लेकिन बहू-बेटे का भी तो अपना एक पक्ष हो सकता है.
वैसे इस खबर ने यह तो साबित कर ही दिया है कि बच्चा पैदा करने के लिए किस तरह से दबाव बनाया जाता है. बहुत से लोग माता-पिता की इस मांग से हैरान हैं और सहमत नहीं हैं. कई का कहना है कि इंसान अपनी बात को एक अच्छे रूप में भी रख सकता है. इसके लिए कोर्ट जाकर 5 करोड़ रूपए मांगने की जरूरत नहीं है. ऐसा लग रहा है ये माता-पिता असमंजस में हैं कि इन्हें पोता-पोती चाहिए या बेटे की परवरिश पर खर्च किए गए पैसे?
दरअसल, मुकदमा करने वाले पिता का नाम संजीव रंजन प्रसाद है जो BHELसे रिटायर हो चुके हैं. वे अपनी पत्नी साधना प्रसाद के साथ रहते हैं. इनका एकलौता बेटा पायलट पायलट है और बहू शुभांगी सिन्हा भी नौकरी करती है. इन्होंने बेटे की शादी 2016 में की थी. संजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि 'अपने बेटे पर मैंने पूरा पैसा खर्च कर दिया. मैंने उसे अमेरिका में ट्रेनिंग दिलवाई. मेरे पास अब पैसे नहीं है. मैंने घर बनाने के लिए बैंक से लोन लिया और अब हम आर्थिक और व्यक्तिगत रूप से काफी परेशान हैं.
शादी के 6 साल बाद भी बेटे-बहू बच्चे पैदा नहीं कर रहे हैं जिस कारण हम मानसिक तैर पर परेशान हैं. बेटे पर अपना सबकुछ लुटाने के बाद भी हम अकेले रहना पड़ रहा है. अब या तो वे हमें पोते-पोती की शक्ल दिखाएं या फिर हमारे पैसे दें.
इस बात में कुछ तो लोचा है बॉस
इनकी कहानी जानने के बाद हमें यह समझ नहीं आया कि इन्हें सच में पोता-पोती चाहिए या रूपए? ऐसा लग रहा है कि बुजुर्द दंपत्ति खुद उलझन में हैं. अगर उन्होंने अपने बेटे पर पैसे खर्च कर दिए और अब वे आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं तब तो उन्हें भरण-पोषण की मांग करनी चाहिए और यह जायज भी है. फिलहाल इनकी बातों से तो यही लग रहा है इन्होंने बेटे-बहू से बदला लेने के लिए बेतुका सी मांग कर दी है कि पोता-पोती लाकर दो वरना भुगतो. अगर बच्चा हुआ तो इनकी आर्थिक तंगी कैसे दूर होगी? और अगर पैसा ले लिया तो इनका पोते-पोती के साथ खेलने का सपना कैसे पूरा होगा?
यह बुर्जग माता-पिता इस बात को समझ सकते हैं कि एक बेटे को पालने में कितना खर्च आता है. ये खुद कह रहे हैं कि हमने अपने बेटे पर 5 करोड़ रूपए खर्च कर दिए. तब तो इन्हें अच्छी तरह पता होगा कि सिर्फ बच्चा पैदा करना ही बड़ा काम नहीं होता है. असली जिम्मेदारी तो उसके आने के बाद शुरु होती है. उसका पालन-पोषण, पढ़ाई-लिखाई में लाखों खर्च होते हैं. तो जब कोई कपल इन सारे खर्चे के लिए तैयार हो जाएगा तभी तो बच्चे के बारे में सोचेगा.
वैसे भी यह जरूरी तो नहीं कि हर किसी को बच्चे की चाहत होती है. ऐसे कई लोग हैं जो बच्चे नहीं चाहते हैं और वे इस बात को लेकर क्लीयर हैं. उन पर घरवालों से लेकर बाहर वाले तक दबाव बनाते हैं. लोग उन्हें तरह-तरह के ताने मारते हैं. कोई कहता है कि महिला बांझ हैं तो कोई कहता है कि पति को मर्दाना कमजोरी है. कई कारगार इलाज के दावे करते हैं. बच्चा क्या कोई खिलौना है जिसे अकेलापन दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाए? वैसे भी एक बच्चा 3 साल का होते ही दूसरे बच्चो की फरमाइश शुरु हो जाती है.
बच्चे के लिए कोई दबाव बनाए तो क्या करना चाहिए?
बच्चा कब करना है यह आपका बेहद निजी मसला है, किसी और को इस बारे में बोलने का कोई अधिकार नहीं है. तो अगर कोई बच्चे के नाम पर आपको ताना मारे या दबाव बनाए तो उसे उसी के लहजे में जवाब देना जरूरी है.
फिल इस मामले में तो जोड़े को अपने माता-पिता को 5 करोड़ रूपए दे ही देने चाहिए, ताकि उनका मुंह बंद हो जाए. मां-बाप की संपत्ति के वारिश तो बेटा ही होगा.
जिन लोगों को पोते-पोती की चाह होती है उन्हें सिर्फ एक ही बेटा नहीं करना चाहिए. एक ने बच्चा पैदा करने से मना कर दिया तो वे दूसरे से उम्मीद रख सकते हैं.
अगर कोई आपसे कहे कि अब तो एक बच्चा कर ही लो तो आप उनसे कहें कि ठीक है, उसके खर्चे के लिए आप 10 लाख नहीं तो कम से कम 5 लाख तो जमा कर ही दें.
अगर आपकी जिंदगी बच्चा नहीं है और कोई आप पर जबाव बनाए तो आप यह कह सकते हैं कि हमें मेडिकल परेशानी है, बात खत्म.
अगर कोई कहे कि बच्चे के बिना आपकी जिंदगी अधूरी है तो उसे कहें लाइफ पार्टनर ऐसा है कि बच्चे की कमी महसूस ही नहीं होती.
अगर कोई दूसरों से आपकी तुलना करें तो आप अपने खराब रिश्तों की दुहाई भी दे सकते हैं. माने जैसे को तैसा...
कहने का मतलब यह है कि जिस तरह बच्चे माता-पिता की जिम्मेदारी होते हैं उसी तरह अपने बुढ़ापे में माता-पिता भी बच्चे की जिम्मेदारी होते हैं. वे अपने खर्चे और भरण-पोषण के लिए बेटे-बहू से मांग कर सकते हैं लेकिन पोते-पोती के लिए उन पर जुर्माना नहीं लगा सकते. वैसे इस बारे में आपकी क्या राय है? क्या माता-पिता इस तरह पोता-पोती पैदा न करने पर सजा दे सकते हैं? क्या किसी पर बच्चे के लिए इस हद तक दबाव बनाना सही है?
Haridwar, Uttarakhand | Parents move court against son&daughter-in-law, demand grandchildren/Rs 5 cr compensation. They were wedded in 2016 in hopes of having grandchildren. We didn't care about gender, just wanted a grandchild: SR Prasad, Father pic.twitter.com/mVhk024RG3
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 11, 2022
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