इस कातिल से ज्यादा ताकतवर बंदूक के सामने खड़ा शूटर था...
युद्ध के समय की फोटोज, वीडियो, बाढ़ के समय का ताकतवर इंटरव्यू या फिर किसी अन्य त्रासदी के समय की गई कवरेज जितनी दिखती है उससे कही ज्यादा कठिन होती है. उस समय सिर्फ वहां मौजूद लोग ही नहीं वो पत्रकार भी खतरे में होते हैं जो कवरेज के लिए भटकते हैं..
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रूसी डिप्लोमैट के कत्ल को अगर आप कोई आम खबर समझ रहे हैं तो एक बार और सोचने की जरूरत है. अगर आपने ये खबर नहीं सुनी तो बता दूं कि एक तुर्की पुलिसवाले ने अंकारा, तुर्की में रशियन अम्बैसेडर- आंद्रे जी कार्लोव को गोली मार दी. एक रूस और एक तुर्की... दो देश जिन्होंने सीरिया की हालिया हालत में बहुत अहम किरदार निभाया है, वो अब ऐसी स्थिती में पहुंच गए हैं कि एक पुलिस वाला गोली चलता है दूसरे देश के राजनीतिज्ञ पर. इस हादसे के बाद से ही सब इस विषय पर चर्चा में लगे हुए हैं, लेकिन इस पूरे मामले में एक ऐसा किरदार भी है जिसने उस कत्ल करने वाले पुलिस ऑफिसर से ज्यादा हिम्मत दिखाई.
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वो इंसान था असोसिएट प्रेस (AP) का फोटोग्राफर. जरा सोचिए आपके सामने कोई हथियारा बंदूक लेकर खड़ा हो. आपके सामने उसने थोड़ी देर पहले किसी की हत्या की हो, वो आपकी ओर बंदूक दिखा रहा हो, फिर आप उससे दूर भागेंगे या फिर उसकी तस्वीर खींचेंगे?
2016 को अगर आतंकवाद और दहशत का साल कहा जाए तो भी गलत नहीं होगा. चाहें एलेप्पो की तबाही ले लें या फिर तुर्की एयरपोर्ट में ब्लास्ट, अरब बेल्ट में इस साल कई बेगुनाहों की जान गई. ऐसे में जहां कत्लेआम इस हद तक पहुंच गया है कि एक आर्टगैलरी में पुलिस वाले भी एक एम्बैसिडर को गोली मार रहे हैं. ऐसे में खुद की जान बचाने से पहले उस फोटोग्राफर ने अपना काम किया. बुरहान ऑज्बलिकी (@BurhanOzbilici) ने ये साबित कर दिया कि उस कातिल से ज्यादा ताकतवर वो खुद थे जो अपना काम बखूबी कर रहे थे.
ना जाने कितने ही पत्रकार कवरेज करते समय मारे गए |
युद्ध के समय की फोटोज, वीडियो, बाढ़ के समय का ताकतवर इंटरव्यू या फिर किसी अन्य त्रासदी के समय की गई कवरेज जितनी दिखती है उससे कही ज्यादा कठिन होती है. ऐसा नहीं की उस फोटोग्राफर को अपनी जान का डर नहीं था, बल्कि उसे उसका काम ज्यादा जरूरी लगा.
इस पूरे घटनाक्रम में बुरहान का कहना है कि ऐसा नहीं है कि उन्हें डर नहीं लग रहा था. ना ही ऐसा है कि मुझे अपने सामने खतरे का अंदाजा नहीं था. मुझे पता था कि अगर वो बंदूक लिए मेरी तरफ मुड़ गया तो क्या हो सकता था. पर मैंने कदम उठाया और उस आदमी की फोटो खींची. मैं उस समय ये सोच रहा था कि मैं यहां हूं, अगर मुझे लगा जाती है या फिर मेरी मौत हो जाती है चो भी मैं एक पत्रकार हूं. मुझे मेरा काम करना होगा. मैं बिना फोटो लिए भाग सकता हूं, लेकिन मेरे पास कोई जवाब नहीं होगा जब मुझसे पूछा जाएगा कि मैंने तस्वीरें क्यों नहीं लीं.
मेरे मन में एक बार ये खयाल भी आया कि मेरे कितने दोस्तों की जान ऐसे ही युद्ध और हादसों के बीच तस्वीरें लेते समय हुई हैं. जैसे ही मेरा दिमाग रेस लगा रहा था, मैंने उस चिढ़े हुए इंसान को देखा, उसकी तस्वीरें खींची और फिर वहां से निकला.
AP के उस फोटोग्राफर की तारीफ करते हुए ट्विटर पर भी कई लोगों ने ट्वीट कीं-
This is courage. @BurhanOzbilici, AP photographer in Ankara: "I composed myself enough to shoot pictures." https://t.co/d6SJOwKNjJ pic.twitter.com/VoWK7Do0cm
— Don Van Natta Jr. (@DVNJr) December 19, 2016
Witness to an assassination-- amazing photos from AP photographer in Ankara. https://t.co/4AjZqLNGUJ pic.twitter.com/MQvR9NSXYK
— Barbara Demick (@BarbaraDemick) December 20, 2016
What bravery AP's @BurhanOzbilici showed to capture those photos. Wire staff very often unsung and very often the heroes of this trade. pic.twitter.com/JYpXbrxIUm
— Barry Malone (@malonebarry) December 19, 2016
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