कश्मीर के खूनखराबे के बीच से दो कमाल की खबरें सामने आई हैं
कश्मीर से आने वाली खबरों में हमेशा आतंक की झलक दिखती थी, लेकिन हाल ही में आई दो खबरों ने कश्मीर की ओर से आई नई उम्मीद को दिखाया है.
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जब भी जम्मू-कश्मीर की खबरें आती हैं तब ऐसा लगता है कि फिर किसी आतंकी घटना या खूनी एनकाउंटर की खबर है. या फिर पत्थरबाजी और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लग रहे हैं. पिछले कई सालों से कश्मीर को जन्नत की जगह डर और अमन की जगह आतंक का घर माना जा रहा है. कश्मीर की खबरों को लेकर चिंता होना जायज है, लेकिन ऐसा नहीं है कि कश्मीर में सब कुछ गलत ही हो रहा है. हाल ही में कश्मीर से दो ऐसी खबरें आई हैं जिनके बारे में सोचकर लगता है कि आखिर वो समय आ गया है जब घाटी के हालात बदलने शुरू हो गए हैं.
1. जिला बारमुल्ला: अब जहां एक भी आतंकी नहीं
कश्मीर से पहली पॉजिटिव खबर है जिला बारमुल्ला से. बारमुल्ला का नाम अक्सर ऐसी खबरों में आता है जहां आतंकी हमले की बात हो. एक समय पर Baramulla Encounter की खबरें आम हो गई थीं. लगभग हर हफ्ते उस इलाके में किसी न किसी आतंकी के मारे जाने की खबर आती थी. पर इस कड़ी में सबसे बड़ी जीत अब मिली है. बुधवार 23 जनवरी को हुए एक एनकाउंटर में तीन आतंकी मारे गए.
आखिरकार जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ये ऐलान कर ही दिया कि बारमुल्ला पहला ऐसा जिला बन गया है जहां उस दिन तक एक भी आतंकी नहीं बचा था. पुलिस ने इसके लिए स्थानीय लोगों का शुक्रिया अदा किया जो आतंकियों को हटाने में पुलिस की मदद कर रहे थे.
कश्मीर के बारमुल्ला में आखिरी एनकाउंटर बुधवार 23 जनवरी को हुआ था.
कश्मीर को अब अमन और शांति की जरूरत है और इस वक्त जैसे हालात हैं ये सोच अनोखी सी लगती है कि कश्मीर में सब कुछ ठीक ही हो जाएगा. लेकिन बारमुल्ला की इस पहल को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि हां एक कल ऐसा भी आएगा जब सब कुछ ठीक हो सकता है. एनकाउंटर से पहले सिक्योरिटी फोर्स ने एक लंबा ऑपरेशन चलाया जहां जिले के बिन्नेर गांव में आतंकियों को मार गिराने की प्लानिंग की गई. मारे हुए आतंकियों का नाम है सुहैब फारुख अख्तून, मोहसिन मुश्ताक, नासिर अहमद दर्जी और ये तीनों ही आतंकी लश्कर-ए-तैयबा संगठन से जुड़े हुए थे. इन तीनों आतंकियों ने बारमुल्ला में पिछले साल तीन जवान लड़कों की बेरहमी से हत्या कर दी थी.
एनकाउंटर साइट पर काफी मात्रा में असला बारूद बरामद हुआ है. जिसमें 3 AK 47 राइफल भी शामिल हैं. इन आतंकियों को सरेंडर का मौका दिया गया था लेकिन इन्होंने नहीं किया.
2. आतंक का रास्ता छोड़ देश भक्त बने वीर जवान को अशोक चक्र
कश्मीर से दूसरी पॉजिटिव खबर है लांस नायक नजीर अहमद वानी के बारे में. ये शहीद जवान पहले आतंकी हुआ करता था, लेकिन उसके बाद सेना से जुड़कर अपनी आखिरी सांस तक देश के लिए लड़ा. लांस नायक वानी को पहले दो सेना मेडल मिल चुके हैं और अब उन्हें अशोक चक्र मिलने वाला है.
पिछले नवंबर कश्मीर के बटागुंड गांव में हुई एक आतंकी मुठभेड़ में लांस नाक नजीर अहमद वानी शहीद हो गए थे. लांस नायक वानी 2004 से ही सेना का हिस्सा थे. वो एक के बाद एक कई ऑपरेशन का हिस्सा रहे थे जिसमें कई आतंकियों को मार गिराया गया था. जिस ऑपरेशन में वो शहीद हुए उसमें भी 6 आतंकी मारे गए थे. उनकी पत्नी को अशोक चक्र 26 जनवरी को मिलेगा.
लांस नायक वानी को अशोक चक्र 26 जनवरी को दिया जाएगा.
लांस नायक वानी कुलगाम के रहने वाले थे. दक्षिणी कश्मीर का कुलगाम आतंक का गढ़ माना जाता है. जिस ऑपरेशन में वो शहीद हुए थे उसमें लश्कर और हिज्बुल मुजाहिद्दीन के 6 आतंकी मारे गए थे. उन आतंकियों के पास भारी मात्रा में असला-बारूद था.
वानी और उनकी टीम को आतंकियों को फरार होने से रोकना था. जब आतंकी भागने लगे तो जख्मी होने के बावजूद वानी एक आतंकी से भिड़ गए और उसे भागने नहीं दिया. जब तक हर एक आतंकी मारा नहीं गया तब तक वानी ने मिशन नहीं छोड़ा. आखिर में आर्मी अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया. अपने करियर की शुरुआत में वानी 162 टेरिटोरियल आर्मी का हिस्सा बने.
क्योंकि वो कश्मीरी थे इसलिए वो आसानी से ऐसे ऑपरेशन का हिस्सा बन सकते थे जहां आतंकियों को खदेड़ दिया जाए. उनके पार्थिव शरीर को दफ्नाते वक्त 21 तोपों की सलामी दी गई थी.
ये दोनों खबरें बताती हैं कि कश्मीर में हर कोई बुरा नहीं है, हर तरफ अशांति ही नहीं है और पृथ्वी की ये जन्नत अभी भी अपना खिताब वापस ले सकती है, बशर्ते इस जन्नत को नई नजर से देखा जाए. कश्मीर की ये दोनों खबरें अमन की याद दिलाती हैं. कश्मीर में हर कोई पत्थरबाज़ ही नहीं है, वहां कई नौजवान ऐसे हैं जो अपनी जान देकर भी देश की रक्षा करना चाहते हैं. कश्मीर पुलिसा का और फौज का हिस्सा कई कश्मीरी हैं जो भारत के लिए वफादार हैं. हर किसी को एक ही तराजू में नहीं तोला जा सकता. सिक्के के दो पहलू होते हैं. अब वक्त आ गया है कि कश्मीर की हिफाजत में जी-जान लगा दी जाए.
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