इस 4 साल के मासूम से क्या खतरा हो सकता है आईएसआईएस के इस्लाम को
अगर मासूमों को मारने से धर्म महफूज होता है तो फिर आईएसआईएस जैसे संगठन को समझ लेना चाहिए कि जितने घिनौने ये आतंकी है उतना ही घिनौना इनका इस्लाम है, वो इस्लाम जो खतरे में हैं और बचने के लिए मासूमों के प्राणों की आहुति मांगता है.
-
Total Shares
इस्लाम और जिहाद के नाम पर पूरी दुनिया में आतंक के जरिये, खून बहाने वाले आईएस को भला कौन नहीं जानता. शायद ही कोई ऐसा दिन बीते जब हम इस मानसिक तौर पर दीवालिया हो चुके कट्टरपंथी संगठन से जुड़ी खबरें न सुनें. पूरी दुनिया के अमन पसंद लोगों के सामने एक चुनौती बन चुका आईएसआईएस एक बार फिर चर्चा में है. जाहिर है जब आईएसआईएस चर्चा में हो तो दिल अपने आप दहल जाता है. ऐसे वक्त व्यक्ति अपने आप से सवाल करता है और खुद को ही जवाब भी दे देता है कि इस्लाम के ये स्वघोषित जिहादी फिर जिहाद के नाम पर खूनी खेल खेलने वाले हैं.
जयादा भूमिका न बांधते हुए सीधे मुद्दे पर आया जाए. खबर है कि राजपरिवार से सम्बन्ध रखने वाले प्रिंस विलियम और केट मिडलटन के चार साल के बेटे प्रिंस जॉर्ज आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट की हिट लिस्ट में हैं. आईएसआईएस जिहाद के नाम पर किसी भी क्षण प्रिंस जॉर्ज की हत्या कर सकता है.
जिःद के नाम पर मासूमों की हत्या इस्लामिक स्टेट जैसे संगठन की मानसिकता दर्शाती है
गौरतलब है कि आतंकवादी संगठन आईएसआईएस ने सोशल नेटवर्किंग साईट टेलीग्राम पर एक तस्वीर डाली है और कैप्शन दिया है कि 'स्कूल जल्द ही शुरु हो गया'. आपको बताते चलें कि तस्वीर में प्रिंस जॉर्ज अपने स्कूल के बगल में खड़े हैं. तस्वीर में एक अरबी वॉर सॉन्ग की कुछ पंक्तियों का भी इस्तेमाल किया गया है जिसमें कहा गया है कि 'जब लड़ाई गोलियों की ध्वनि के साथ आती है तब हमें यकीन नहीं होता और फिर बदले की भावना जगती है.' ज्ञात हो कि प्रिंस विलियम और केट मिडलटन के बेटे प्रिंस जॉर्ज ने केनसिंगटन महल के पास स्थित एक प्राइमरी स्कूल में अभी हाल ही में एडमिशन लिया है. सोशल नेटवर्किंग साईट टेलीग्राम पर आईएसआईएस के चैनल से प्रसारित हो रही इस तस्वीर को पुलिस ने संज्ञान में लिया है और ये निष्कर्ष निकाला है कि अब चार साल के प्रिंस जॉर्ज आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के अगले शिकार हैं.
इस खबर को देखकर यही कहा जा सकता है कि क्या वाकई इस्लाम इतना कमजोर है कि उसे इस 4 साल के मासूम बच्चे से खतरा हो गया. और उस खतरे से पार पाने के लिए उसके जिहादी लड़ाके इस मासूम बच्चे का खून बहाकर खतरे में पड़े इस्लाम को बचाना चाहते हैं. हालांकि इस्लाम के नाम पर मासूमों का खून बहाने वाले आईएसआईएस या इससे मिलते जुलते कट्टरपंथी संगठनों को इस बात से कोई खास फर्क पड़ेगा नहीं कि जिहाद मासूमों के खून से नहीं होता. ये बस लाशों के ढेर पर चढ़कर अपना उद्देश्य पूरा करना जानते हैं और वर्तमान परिपेक्ष में इनका उद्देश बस बंदूक और बमों के बल पर दुनिया को खौफजदा करना है.
अंत में बस इतना ही कि यदि आईएसआईएस जैसे संगठन को लगता है कि ये एक 4 साल के मासूम को जिहाद के नाम पर मारकर इस्लाम बचा पाएगा तो सच में जितने घिनौने ये आतंकी है उतना ही घिनौना इनका इस्लाम भी है. हां वही इस्लाम जो खतरे में हैं और बचने के लिए मासूमों के प्राणों की आहुति मांगता है.
ये भी पढ़ें -
अरे कुछ सुना बगदादी फिर मर गया
अब आइने में अपनी शक्ल देखे इस्लाम, डरावनी लगने लगी है!
आपकी राय