मोदी से सिद्धू की तुलना करने वाले 'पाकिस्तान हिमायती' ही हैं
पुलवामा हमले को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू के लचीले बयान से ट्विटर आगबबूला है. लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो सिद्धू का बचाव करते हुए मोदी के पाक दौरे का जिक्र कर रहे हैं.
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पुलवामा हमले को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू के लचीले बयान से ट्विटर आगबबूला है. लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो सिद्धू का बचाव करते हुए मोदी के पाक दौरे का जिक्र कर रहे हैं.
'आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता', इस बात को लेकर बहस होती है और होती रहेगी. लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू ने इससे एक कदम आगे बढ़कर बात कही है. ये कहते हैं कि 'आतंकवाद का कोई देश नहीं होता.'
इसमें दोमत नहीं है कि पूरी दुनिया में पाकिस्तान ही आतंकवाद एक्सपोर्ट करने वाला एकमात्र देश है. तो जब सिद्धू ये कहते हैं कि आतंकवाद का कोई देश नहीं होता तो इससे साफ पता चलता है कि वो पाकिस्तान का बचाव कर रहे हैं. और पूरे देश का मीडिया और सोशल मीडिया इसे इसी रूप में देख रहा है.
सोशल मीडिया पर जिस तरह #PulwamaTerroristAttack ट्रेंड कर रहा है उसी तरह #BoycottSidhu भी तब से ट्रेंड कर रहा है जब से सिद्धू के मुंह से ये बात निकली है. लोग उन्हें गद्दार कह रहे हैं. पाकिस्तान का हिमायती कह रहे हैं. लोगों में सिद्धू के प्रति इतना गुस्सा उस वक्त भी नहीं दिखा था जब सिद्धू पाकिस्तान जाकर पाकिस्तान के आर्मी चीफ के गले लगकर आए थे. लोग सिद्धू के बायकाट की बात कह रहे हैं. लोग ये कहकर अपना गु्स्सा निकाल रहे हैं कि - 'दुश्मनों ने तो चलो दुश्मनी की है, पर दोस्तों ने भी क्या कमी की है'. राष्ट्र के इस दुखद घड़ी में सिद्धू ने पाकिस्तान का 12th मैन होने का काम किया है जिसे देश माफ नहीं करेगा.
जब से सिद्धू ने कहा है कि आतंकवाद का कोई देश नहीं होता, बायकाट सिद्धू ट्रेड कर रहा है
और वो लोग जो कुछ कर नहीं सकते वो सिर्फ ये चाह रहे हैं कि सिद्धू जिस शो पर लोगों से तालियां ठुकवाते हैं यानी 'द कपिल शर्मा शो', कम से कम उस शो से सिद्धू को बाहर किया जाए. इसके लिए लोगों ने सोनी टीवी को अनसब्सक्राइब भी कर दिया है और औरों से भी सोनी टीवी को अनसब्सक्राइब करने की बात भी कर रहे हैं. सिद्धू के खिलाफ एक आम भारतीय जो कर सकता है वो सोशल मीडिया पर दिख रहा है.
सिद्धू का शो सोनी टीवी पर प्रसारित होता है इसलिए लोग सोनी टीवी को हटा रहे हैं
शहीदों की लाशें देखकर कोई शांत कैसे रह सकता है सिद्धू?
सिद्धू की बातें जब आप शांति से सुनते हैं तो लॉजिकली ठीक लगती हैं कि हिंसा नहीं होनी चाहिए. देशों में भाईचारा हो प्रेम हो. लेकिन जब पूरा देश अपने 44 शहीद सैनिकों की शहादत पर आंसू बहा रहा हो तो सिद्धू कह रहे हैं कि पाकिस्तान से शांति वार्ता करो. अहिंसा और प्रेम से काम लेने वाले सिद्धू की इन बातों को भला कितनी गंभीरता से लिया जाए, क्योंकि ये वही सिद्धू हैं जो 1988 में पार्किंग की जगह को लेकर एक व्यक्ति से बहस करने पर उतारू हो गए थे. और गुस्सा इतना था उस शख्स को पीट-पीटकर मार डाला था. ऐसे में जब देश के 44 जवानों को शव आते हैं तो आपका गुस्सा कैसे पानी बन जाता है. ये पाखंड नहीं तो और क्या है. जैसे उस वक्त जरा सी बात पर सिद्धू संयम नहीं रख सके, ऐसे ही आज देश शांत नहीं रह सकता क्योंकि देश ने तो अपने जवान खोए हैं.
सिद्धू की बात को किस मुंह से लोग सपोर्ट कर रहे हैं?
सोशल मीडिया पर सिद्धू की बात को सपोर्ट करने वाले भी कम नहीं हैं. तहसीन पूनावाला कहते हैं कि 'मैंने सिद्धू की पूरा बात सुनी है. उन्होंने हमले की निंदा की है और कहा है कि हिंसा समस्या का हल नहीं है. उन्होंने कहा कि हमलावरों को सजा मिलनी चाहिए. ये भी कहा कि इसका करतारपुर से कोई लेना देना नहीं है फिर बीजेपी के सपोर्टर्स बायकाट सिद्धू क्यों ट्रेंड करा रहे हैं? उन्होंने देश के खिलाफ क्या कह दिया?'
तहसीन पूनावाला की तरह बहुत से लोगों को सिद्धू दोषी नहीं लग रहे हैं
तो तहसीन पूनावाला को ये समझना चाहिए ये बीजेपी नहीं बल्कि भारतीय हैं जो सिद्धू के खिलाफ एकजुट हए हैं. और दूसरा ये कि सिद्धू की सारी बातें भले ही सही हों, लेकिन एक बात कभी भी सही नहीं हो सकती कि आतंकवाद का कोई देश नहीं होता क्योंकि उस देश का नाम पाकिस्तान है. जिसे तहसीन अपने ट्वीट में मेंशन करना भूल गए.
क्यों अब शांति से काम नहीं चल सकता ?
शांति प्रिय देश ही है भारत और पाकिस्तान से हमेशा शांति की ही उम्मीद करता आया है. 72 साल से पाकिस्तान से बातचीत ही करता आया है भारत. अटल बिहारी वाजपेयी भी लाहौर बस लेकर शांति वार्ता करने गए थे लेकिन बदले में कारगिल मिला. प्रधानमंत्री मोदी भी नवाज शरीफ से मिलने पाकिस्तान गए थे लेकिन तब भी भारत को पठानकोट मिला, उरी मिला और अब पुलवामा. अब भी अगर कोई कहता है कि इस देश से बातचीत और शांतिवार्ता की जाए तो समझलो कि उसका खून पानी हो गया है.
पाकिस्तान जाने को लेकर नवजोत सिंह सिद्ध की तुलना प्रधानमंत्री मोदी से की जा रही है
मोदी से सिद्धू की तुलना बेमानी है
लोग यहां पर भी कह रहे हैं कि अगर सिद्धू की आलोचना इस बात के लिए की जा रही है कि वो पाकिस्तान आर्मी चीफ के गले लगकर आए हैं तो प्रधानमंत्री मोदी की भी की जानी चाहिए. क्योंकि मोदी जी भी नवाज शरीफ के जन्मदिन पर पाकिस्तान गए थे. तो उन लोगों को ये भी समझना चाहिए कि मोदी और सिद्धू दोनों के कद और पद में बहुत फर्क है. मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं, जो ये फैसला करेंगे कि किस देश के साथ कैसे संबंध रखने हैं और उन्हें किस तरह से बनाना है. इसके लिए पाकिस्तान जाना उनका प्रयास माना जा सकता है क्योंकि ये वही कर सकते हैं. लेकिन जैसे ही उन्हें पाकिस्तान की नियत में खोट लगा उन्होंने पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब भी दिया और अपना रुख साफ किया. लेकिन सिद्धू किस हैसियत से वहां जाते हैं और पाकिस्तानी सेना प्रमुख के गले लगकर आते हैं? यहां सिद्धू जिन हितों को साधने की कोशिश कर रहे हैं वो साफ तौर पर नजर आ रही हैं.
44 जवानों की लाशें टुकड़ों में आई हैं जिन्हें देखकर हर भारतीय गुस्से में है. दुख की इस घड़ी में हर भारतीय के दिल में पाकिस्तान के लिए सिर्फ नफरत है. और ऐसे में जो शख्स पाकिस्तान की तरफदारी करने की बात करता है उसे ये देश माफ तो नहीं कर सकता.
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