CRPF काफिले पर जैश-ऐ-मोहम्मद का आतंकी हमला: 6 बड़े सवाल
पुलवामा हमला पिछले दो दशकों में कश्मीर में सबसे बड़े आतंकवादी हमलों में से एक है. हमले में सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गये. इस हमले से सुरक्षा से जुड़े कई बड़े सवाल खड़े होते हैं, जिनके जवाब हर भारतीय को जानने चाहिए.
-
Total Shares
जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गये. जिस समय यह हमला हुआ उस समय वहां से केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के 2500 से अधिक कर्मी 78 वाहनों के काफिले में जा रहे थे. इनमें से अधिकतर अपनी छुट्टियां बिताने के बाद अपने काम पर वापस लौट रहे थे. यह हमला जम्मू कश्मीर राजमार्ग पर अवंतिपोरा इलाके में लाटूमोड पर घात लगाकर किया गया.
अधिकारियों के अनुसार जैश के आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों को ले जा रही बस को टक्कर मार दी, जिसमें 44 जवान शहीद हो गये. पुलिस ने आत्मघाती हमला करने वाले वाहन को चलाने वाले आतंकवादी की पहचान पुलवामा के काकापोरा के रहने वाले आदिल अहमद के तौर पर की है. उन्होंने बताया कि अहमद 2018 में जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हुआ था. जैश-ए-मोहम्मद ने भी एक वीडियो के द्वारा इस घटना की जिम्मेदारी ली है.
जैश-ए-मुहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है
पुलवामा हमला पिछले दो दशकों में कश्मीर में सबसे बड़े आतंकवादी हमलों में से एक है. पिछली बार इस तरह का भीषण आतंकवादी हमला 2001 में हुआ था जब जम्मू कश्मीर विधान सभा के निकट जैश-ऐ-मोहम्मद ने आत्मघाती कार बम हमला किया था 2001 जिसमें 38 लोग मारे गए थे और 40 अन्य घायल हो गए थ. उसके बाद 2016 में भी उरी में एक भीषण आतंकवादी हमला हुआ था.
आइये अब जानें कि पुलवामा हमले से सुरक्षा से जुड़े क्या-क्या बड़े सवाल खड़े होते हैं-
1. क्या ये इंटेलिजेंस फेलियर थी?
सीआरपीएफ का इतना बड़ा काफिला जिसमें 2500 से अधिक कर्मी 78 वाहनों के में जा रहे थे, उनके पास कोई इंटेलिजेंस एजेंसी की कोई चेतावनी क्यों नहीं थी? जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मालिक ने कहा है कि सुरक्षा बालों की चूक थी कि वे विस्फोटक से भरी (200 किलो) स्कॉर्पियो की लोडिंग और मूवमेंट का पता नहीं लगा सके.
2. क्या अहम अलर्ट की अनदेखी हुई है?
कश्मीर पुलिस ने 8 फरवरी को सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सेना और वायु सेना को संभावित आतंकी हमले की चेतावनी के लिए एक खुफिया इनपुट भेजा था जिसमें साफ तौर पर लिखा था कि इलाकों की जांच किए बिना सुरक्षा काफिले आगे न बढ़ें. इस बेहद अहम अलर्ट की अनदेखी कैसे और क्यों हुई?
3. सीआरपीएफ के मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में दोष?
2500 जवानों से युक्त एक बड़े काफिले को एक दिन में स्थानांतरित क्यों किया गया? विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं कि 78 वाहनों का इतना लंबा काफिला एक साथ क्यों चल रहा था?
हमले के बारे में चेतावनी के बावजूद इतना बड़ा काफिला ले जाना हैरान करता है
4. क्या कोई अंदरूनी इनफॉर्मेशन का लीकेज था?
जिस शुद्धता से हमला हुआ, इससे जाहिर होता है की सीआरपीएफ काफिले का मार्ग और उसके मूवमेंट का समय, दोनों के ही बारे में जैश को पहले से पता था.
5. सीआरपीएफ का रूट सुरक्षित क्यों नहीं था?
कश्मीर में पुलवामा हमले की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि आत्मघाती कार हमलावर ने उस हाईवे पर आने के लिए स्लिप रोड का इस्तेमाल किया, जहां से सीआरपीएफ काफिला गुजर रहा था. तो महत्वपूर्ण सवाल खड़ा होता है कि 200 किलो RDX से लदी हुई आतंकी गाडी को अंदर की सड़कों पर यात्रा करने की अनुमति क्यों दी गई, फिर सड़क पर, और फिर हाईवे पर.
6. सीआरपीएफ रूट पर असैनिक वाहनों को क्यों इजाजत दी गई?
विशेषज्ञों का मानना है कि रूट पर असैनिक वाहनों का चलना विनाशकारी साबित हुआ. आत्मघाती हमलावर ने नागरिकों को इस रूट पर गाड़ी ले जाने की अनुमति का फायदा उठाया और उसने विस्फोटक से भरे वाहन को स्थानीय गांवों को राजमार्ग से जोड़ने वाले सर्विस रोड का इस्तेमाल कर काफिले पर हमला किया.
ये भी पढ़ें-
पुलवामा हमला करने वाले आतंकी आदिल अहमद डार ने भारत की मदद ही की है!
उरी से बड़ा Pulwama attack, देश मांगे और बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक!
पुलवामा हमला करने वाले आतंकी आदिल अहमद डार ने भारत की मदद ही की है!
आपकी राय