कड़ाके की सर्दी में शराब से गर्मी पाने का भ्रम समझना जरूरी है
खबर है कि दिल्ली में तापमान शिमला से भी कम हो गया है. चर्चा चल पड़ी है कि इस सर्दी को भगाने के लिए दिल्ली में शराब सबसे लोकप्रिय उपाय बन जाता है. लेकिन यही सबसे बड़ा मिथक है.
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दिल्ली की सर्दी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है. मौसम विभाग के अनुसार 19 दिसंबर की रात को दिल्ली में पारा गिरकर 5 डिग्री पर पहुंच गया. दिल्ली का तापमान शिमला से 1-2 डिग्री और कम हो गया है. यानी शिमला से ठंडी दिल्ली. अब अनुमान लगाया जा रहा है कि आज यानी 20 दिसंबर की रात में पारा 4 डिग्री तक गिर सकता है. जब भी सर्दी पड़ती है तो लोगों के मन में पहली बात यही आती है कि शराब पीने से ठंड भागती है, ऐसे में पारा जितना गिरेगा, शराब की बिक्री उतनी ही बढ़ेगी. हमें तो ये भी लगता है कि सियाचिन जैसे ग्लोशियर वाले इलाकों में तैनात सेना के जवान तो शराब से ही अपनी ठंड भगाते होंगे. लेकिन ये सच नहीं है. शराब से ठंड नहीं भागती. और सियाचिन में तो शराब पीने पर जवान का कोर्ट मार्शल तक हो जाता है. इस बेहद सर्दीले मौसम में शराब से जुड़े मिथक को जानना जरूरी है.
शराब की चुस्की लेने के कुछ देर बाद यूं लगने लगता है कि शरीर में गर्मी पैदा हो गई है. यही वजह है कि लोग शराब को ठंड भगाने का उपाय भी समझते हैं और इस मौसम में RUM और इस जैसी शराब की खपत बढ़ जाती है. लेकिन चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि शराब से सर्दी भगाने का भ्रम सिर्फ एक छलावा है, जो बाकी मौसम की तुलना में खतरनाक साबित हो सकता है. शराब पीने के बाद आपका शरीर गर्म नहीं होता, बल्कि आपके दिमाग को ये लगता है कि शरीर में गर्मी आ गई है. इन सबकी वजह है एल्कोहल के कारण शरीर में बढ़ने वाला खून का दबाव और उसकी वजह से शरीर में होने वाली प्रतिक्रिया.
ठंड में लोग सोचते हैं कि शराब पीने से सर्दी भागती है, लेकिन ऐसा नहीं है.
सर्दी में शराब पीने का शरीर पर असर
जब कोई शख्स शराब पीता है तो वह लिवर से होकर गुजरता है. लिवर में शराब का कुछ हिस्सा तो एंजाइम में टूट जाता है और वह मेटाबोलिज्म का हिस्सा बन जाता है. और इसी प्रक्रिया में जो गर्मी पैदा होती है वह शरीर के सामान्य तापमान 37 डिग्री सेल्सियस को बनाने में मदद करती है. लेकिन शराब (एल्कोहल) का बाकी हिस्सा खून में घूमने लगता है. न्यूरोलॉजिस्ट और टॉक्सिकोलॉजिस्ट Ted Simon के अनुसार जैसे ही शराब खून में पहुंचती है तो इसके दबाव से रक्त वाहिनियां चौड़ी हो जाती हैं. ये दबाव इतना अधिक होता है कि इंसान की त्वचा तक इसे महसूस करती है. कई बार इस दबाव के कारण ही पसीना भी आ जाता है. खून में शराब तब तक बहती रहती है, जब तक लिवर उसे एंजाइम्स में तोड़ नहीं देता. जब सारी शराब एंजाइम्स में टूट जाती है तो शरीर फिर से सामान्य तरह से काम करने लगता है. एक्सपर्ट ये साफ करते हैं कि शराब पीने से शरीर गर्म नहीं होता है. यानी ये सिर्फ एक मिथक है.
खतरनाक हो सकता है शराब से गर्मी लेने के बारे में सोचना
शराब पीने के दौरान गर्मी का एहसास क्यों होता है, ये तो आप समझ ही चुके हैं, लेकिन ऐसा सोचकर ठंड से बचाव नहीं करना हानिकारक हो सकता है. Ted Simon के अनुसार जब भी हमारी त्वचा ठंड को महसूस करती है तो हमारी रक्त वाहिनियां सिकुड़ जाती है. इससे उनमें खून का बहाव धीमा हो जाता है और बचा हुआ खून शरीर के सबसे अहम अंगों में पहुंचाया जाता है. लेकिन शराब पीने के बाद नसें सिकुड़ने के बजाय उल्टा चौड़ी हो जाती हैं, जिससे ठंड बढ़ने पर जरूरी अंगों को सही मात्रा में खून की सप्लाई नहीं हो पाती है. कुछ ऐसे मामले भी सामने आ चुके हैं, जिनमें नशे में धुत लोग सर्द रात में बिना गर्म कपड़ों के घूमने लगे और उन्हें हाइपोथर्मिया ने जकड़ लिया. और उनकी मौत हो गई. आपको बता दें कि हाइपोथर्मिया वह अवस्था है, जब आपके शरीर का तापमान, जो सामान्यतः 37 डिग्री रहता है, वह गिरने लगता है. तापमान गिरने की वजह से दिल, नर्वस सिस्टम और शरीर के जरूरी अंग काम करना बंद कर देते हैं.
आर्मी और शराब से जुड़े मिथक
यह आम धारणा है कि सेना में अफसर और जवान सर्दियों के दौरान जमकर शराब का सेवन करते हैं. जबकि हकीकत ये है कि सर्दियों में सैनिकों को शराब की सप्लाई पर बहुत ज्यादा नियंत्रण रखा जाता है. इसकी वजह वही है जो हम ऊपर चिकित्सा विशेषज्ञों के हवाले से बता चुके हैं. देश के सबसे सर्द और चुनौतीपूर्ण क्षेत्र सियाचिन में तो शराब पीने की सख्त मनाही है. यहां पर तो माना जाता है कि यदि किसी सैनिक ने शराब पी ली तो उसकी जान पर बन सकती है. यदि ऐसा ना भी हो तो इसे गंभीर अनुशासनहीनता तो माना ही जाता है.
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