और फिर साबित ही हो गया, सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता...
सफलता क्षणिक नहीं होती और व्यक्ति तभी सफल होता है जब वो उसे हासिल करने के लिए जी तोड़ मेहनत करता है. लेकिन इन बातों के विपरीत हमारे आस पास ऐसे लोगों की भी कोई कमी नहीं है जिनका मानना है कि शार्ट कट के जरिये सफलता का आनंद लिया जा सकता है.
-
Total Shares
दिल्ली की सर्दी और ऊपर से नाईट शिफ्ट. मैं नाईट शिफ्ट करके कंपनी से रूम आ रहा था. मुझे बहुत तेज नींद भी आ रही थी. मैं बस से उतरा और नींद में ही अपने रूम की तरफ बढ़ा.अचानक, मेरा पैर किसी चीज से टकराया. मैंने रुक के देखा तो एक कट्टा (बोरा) था जो पूरी तरह से भरा हुआ था. मैं चारों तरफ देखा तो कंपनी के ही कर्मचारी अपने रूम को लौट रहे थे. मैंने कुछ समय रुक कर उनके जाने का इंतजार किया. जब सभी चले गए तो मैने कट्टा थोड़ा सा खोला तो कट्टा पूरी तरह से नोटों से भरा हुआ था. यह देख मेरी आंखें खुली की खुली रह गई और मेरी आंखों से नींद भी गायब हो गई थी. यह सब देखकर मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया. मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि अब मैं क्या करूं. मैंने कट्टा उठाकर रूम ले जाने के लिए सोचा लेकिन कट्टा इतना भारी था कि मुझसे नहीं उठ पाया. मेरा शरीर कांप रहा था और मैं पसीने से लथपथ था.
मुझे अब कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं. कट्टे को बगल में कर मैं कुछ देर वहां बैठा रहा. अचानक एक आइडिया दिमाग में कौंधा. मैंने अपना फोन निकाला और अपने रूम तक के लिए एक कैब बुक कर ली. पांच मिनट में कैब भी आ गई. ड्राइवर की मदद से उस कट्टे को कार के अंदर रखवाया और मैं भी कार में बैठ गया. मेरे हाथ पैर अभी भी कांप रहे थे. हम अब रूम के पास आ गए थे जो बस स्टॉप के नजदीक ही था. मैने ड्राइवर की सहायता से कट्टा नीचे उतरवाया. आखिरकार ड्राइवर से भी नहीं रहा गया और उसने पूछ भी लिया कि सर इस कट्टे में क्या है. मैं तो पहले से डरा हुआ था ही, और उसका प्रश्न पूछना मुझे और डरा दिया मानो कोई पुलिस वाला पूछ रहा हो.
कम समय में सफल होने के लिए कई लोग तरह तरह के हथकंडे अपनाते हैं
मैंने अपने को संभालते हुए डांटते हुए उसे अपने काम से काम रखने को कहा. वह कट्टा उतरवाकर मुझे शक की निगाहों से देखता हुआ कार स्टार्ट करके चला गया. अब दूसरी समस्या मेरे सामने थी कि मैं भारी कट्टे को चौथी मंजिल पे कैसे ले जाऊं, जो अकेले टस से मस नहीं हो रहा थी. अचानक सिक्योरिटी गार्ड को देखते ही मेरे चेहरे पर एक मुस्कान छा गई. मैने गार्ड को जगाया जो अपनी कुर्सी पर ही ऊंघ रहा था. मैने उससे कट्टे को ऊपर अपने रूम में ले जाने में मदद करने को कहा.
उसने आंख मसलते हुए कहा - सोने दो साहब, क्या सुबह सुबह परेशान करते हो. फिर वो जाकर सो गया. मैने विनम्रता से कहा कि ताऊ अगर मेरा काम कर दोगे तो मैं आपको शाम में एक क्वार्टर दूंगा. अब भला शराब को कौन मना कर सकता है. वो मेरा काम करने को तैयार हो गया.उसने वो कट्टा मेरे कमरे में बहुत परिश्रम से पहुंचा दिया. मैंने झटके से रूम बंद किया और कट्टे की ओर देखने लगा.
मुझे अंदर ही अंदर एक खुशी थी जिसे छुपा नहीं पा रहा था. मेरी भूख, प्यास और नींद तीनों गायब थी. सारी थकान भी गायब हो चुकी थी. अब पसीने भी नहीं आ रहे थे. आंखों में बस खुशी की चमक थी. अपने को करोड़पति बनता देख अपनी आंखें बंद करके कांपते हाथों से जैसे ही कट्टे को खोला, मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं . पूरा कट्टा पांच सौ और हज़ार रुपए के नोटों के बंडल से भरा हुआ था.
जी हां, पांच सौ और हज़ार रुपए के पुराने नोट. मेरे सारे सपने क्षणभर में ही चकनाचूर हो गए . जितनी तेजी से मैं करोड़पति बना था उससे ही कम समय में सारे अरमान पर पानी फिर गया. वहीं फर्श पर अपना सिर पकड़ कर बैठ गया. नींद तो गायब थी पर सिर चकरा रहा था. आंख से आंसू निकल गए, और चीख भी. चीख भी इतनी तेज कि अचानक मेरी नींद खुल गई. नींद खुलते ही एक हल्की सी मुस्कान होठों पे तैर गई. मैं उठा, पानी पिया और यही सोचा की सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है.
आपकी राय