सूरज के बाद जीवन कैसा होगा इस रहस्य से पर्दा उठ गया
पांच अरब साल बाद सूरज की मौत हो जाएगी. फिर जीवन का क्या होगा जानते हैं? वैज्ञानिकों ने इस रहस्य से पर्दा उठा दिया है.
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कभी उस दिन के बारे में सोचा है जब सूरज नहीं होगा? इस विशाल तारे के मरने के बाद ब्रह्मांड का भविष्य क्या होगा? वैज्ञानिकों का ये तो मानना है कि सूर्य आज से लगभग पांच अरब वर्षों के बाद मर जाएगा. लेकिन अभी तक उन्हें ये पता नहीं था कि आखिर इसके बाद क्या होगा?
भूमण्डलीय नेबुला:
भौतिकी और खगोल विज्ञान स्कूल के प्रोफेसर अल्बर्ट जिज्लस्ट्रा समेत अंतरराष्ट्रीय खगोलविदों की एक टीम ने भविष्यवाणी की है कि सूरज एक चमकदार, अंतर्तारकीय गैस और धूल के एक गोले में बदल जाएगा. इसे ग्रह नेबुला के नाम से जाना जाता है. एक ग्रहीय नेबुला सभी सितारों के सक्रिय जीवन के 90 प्रतिशत अंत हो जाने को चिह्नित करता है. और सितारों के रेड जायंट से सफेद बौने स्टार तक के संक्रमण का पता लगाता है.
लेकिन सालों तक वैज्ञानिकों को यकीन नहीं था कि क्या हमारी आकाशगंगा में सूर्य की भी यही स्थिति होगी. ऐसा माना जा रहा था कि एक नेबुला बनने के लिए सूर्य का द्रव्यमान बहुत कम है. इसका पता लगाने के लिए टीम ने नए स्टेलर को विकसित किया जो सितारों के जीवनचक्र का पता लगाता है.
प्रोफेसर जिज्लस्ट्रा बताते हैं- जब एक सितारा मर जाता है तो अंतरिक्ष में यह गैस और धूल के द्रव्यमान को बाहर निकाल देता है. जिसे इसके लिफाफे के रूप में जाना जाता है. लिफाफा सितारे के द्रव्यमान के आधे से ज्यादा हो सकता है. यह तारे के कोर को बताता है. अब तक सितारे का ईंधन खत्म हो रहा होता है और धीरे धीरे वो बुझने लगता है. अंतत: मर जाता है. इसके बाद ये गर्म कोर ही उत्सर्जित लिफाफा को लगभग 10,000 वर्षों तक चमकाता रहता है. खगोल विज्ञान में इसे एक बहुत ही कम समय माना गया है. इसके द्वारा ही नेबुला दृश्यमान बनाते हैं. कुछ तो इतने चमकीले होते हैं कि उन्हें लाखों प्रकाश वर्ष की दूरी से भी देखा जा सकता है."
सूरज के मरने के बाद क्या होगा का पता लग गया
मॉडल के बारे में और जानकारी:
ये मॉडल एक और समस्या हल करता है जो पिछले 25 सालों से खगोलविदों को परेशान कर रहा है. लगभग 25 साल पहले, खगोलविदों ने पाया कि अगर किसी दूसरी आकाशगंगा में नेबुला को देखते हैं, तो सबसे चमकीले ग्रह की चमक हमेशा ही कायम रहेगी.
पाया गया कि अपने सबसे चमकीला नेबुला की स्थिति को देखकर ही आकाशगंगा से उसकी दूरी का अंदाजा लगाया जा सकता है. सैद्धांतिक रूप में तो यह किसी भी प्रकार के आकाशगंगा में काम करता है.
हालांकि, डेटा ने के हिसाब से तो ये सही था, लेकिन वैज्ञानिक मॉडल इससे अलग ही दावा कर रहे हैं. जिज्लस्ट्रा ने कहा, "पुराने, कम द्रव्यमान वाले सितारों को युवा, अधिक बड़े सितारों की तुलना में कम चमकदार नेबुला बनाना चाहिए. पिछले 25 सालों से यही विवाद का विषय बना हुआ है."
"डेटा बताता है कि सूर्य की तरह कम द्रव्यमान वाले सितारों से चमकीले नेबुला प्राप्त कर सकते हैं. मॉडल कहता है कि यह संभव नहीं है. सूर्य के द्रव्यमान से लगभग दोगुनी से कम कुछ भी नेबुला की चमक इतनी फीकी कर देगा कि उसे देखना मुश्किल हो जाएगा."
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