जापानियों के दीर्घायु होने का रहस्य समझिए...
गिनीज़ बुक ने इस साल सबसे ज्यादा उम्र के व्यक्ति का वर्ल्ड रिकॉर्ड जापान के मसाजो नोनाका को दिया है जिनकी उम्र 112 साल है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि यहां के लोग पूरी दुनिया की तुलना में सबसे ज्यादा कैसे जी पाते हैं. क्या हैं वो कारण जो इन्हें दीर्घायु बना रहे हैं?
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अगर ये कहा जाए कि एक व्यक्ति ने 112 बसंत देखे हैं, तो शायद आप यकीन न कर पाएं. क्योंकि आज के जमाने में लोग इतनी जी जाएं, कम ही होता है. जापान के मसाजो नोनाका दुनिया के सबसे ज्यादा जीने वाले पुरुष हैं जिनकी उम्र 112 साल और 259 दिन है. ये एक रिकॉर्ड है और इसलिए गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने इन्हें हाल ही में इस अवार्ड से नवाजा है. मसाजो से पहले स्पेन के फ्रांसिसको ओलिवेरा के पास ये रिकॉर्ड था, जो इसी साल जनवरी में 113 साल की उम्र में चल बसे थे.
जापान के मसाजो नोनाका की उम्र 112 साल और 259 दिन है
25 जुलाई 1905 को जन्मे मसाजो नोनाका होकाइडो आइलैंड के एशहोरो में रहते हैं. इतने बूढ़े होने के बावजूद भी मसाजो अपनी व्हील चेयर पर बैठकर खुद ही आते-जाते हैं. इतने लंबे जीवन जीने का राज क्या है, इसपर मसाजो का कहना है कि वो हॉट बाथ लेते हैं और खूब मिठाई खाते हैं. लेकिन इसपर उनकी बेटी का कहना है कि मसाजो इस तरह का जीवन जीते हैं जहां उन्हें तनाव नहीं होता. स्ट्रेसफ्री रहना ही उनकी लंबी उम्र का सबसे बड़ा कारण है.
जापान के 67,800 शतायु लोगों में से एक हैं मसाजो नोनाका
मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ लेबर एंड वेलफेयर के मुताबिक, वह जापान के 67,800 शतायु लोगों में से एक हैं. जापान दुनिया में सबसे ज्यादा बूढ़े लोगों वाला देश है, जहां की औसत उच्च लाइफ एक्सपेक्टेंसी पुरुषों के लिए 80.98 और महिलाओं के लिए 87.14 है.
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि यहां के लोग पूरी दुनिया की तुलना में सबसे ज्यादा कैसे जी पाते हैं. क्या हैं वो कारण जो इन्हें दीर्घायु बना रहे हैं?
भारत से जापानियों का लाइफस्टाइल किस तरह अलग है?
खानपान-
- सबसे बड़ी वजह तो जापानियों का खानपान ही है. जापानी चावल, सब्जियां और मछली अच्छी तरह खाते हैं, साथ ही फर्मेंट किया हुआ सोया और सीवीड(समुद्री शैवाल) का खाने में होना ये बताता है कि उन्हें विटामिन, मिनिरल्स और फायदेमंद फाइटोकेमिकल्स की कोई कमी नहीं है. भारतीय खान पान में फर्मेंटिड सोया का इस्तेमाल नहीं किया जाता और न ही समुद्री शैवाल का.
जापानी छोटी प्लोट्स में छोटे-छोटे मील्स खाते हैं
- उनके खाना पकाने का तरीका भारत की तुलना में बहुत अलग है. जापानी खाने को मुख्यतः स्टीम किया जाता है, इसके अलावा फर्मेंनटेशन के साथ-साथ पैन में ग्रिलिंग, भूनना, हल्का फ्राइ करना और धीरे-धीरे पकाया जाना जापानी कुकिंग का हिस्सा है. साथ ही खाने में कम से कम एक प्याला सूप का होना भी जरूरी है. जबकि भारत का खान पान काफी अलग है. यहां तो सब्जियां जितने ज्यादा तेल में बनती हैं उसे उतना स्वादिष्ट माना जाता है.
- जापानी कॉफी कम और चाय ज्यादा पीते हैं. जापानी चाय में कॉफी की तुलना में एंटीऑक्सिडेंट्स ज्यादा होते हैं. चाय भारतीय भी खूब पीते हैं लेकिन जापानियों की चाय हम भारतीयों की चाय से एकदम अलग होती है, बिना दूध की और वो चाय की हरी पत्तियों का ही इस्तेमाल करते हैं जिससे उसमें क्लोरोफिल और एंटीऑक्सिडेंट बरकरार रह सकें.
चाय का इस्तेमाल ज्यादा
- जापानी हमेशा ताजा खाना खाते हैं, बहुत ज्यादा ताजा. जितनी ताजा सब्जियां उतनी ही ताजा मछली और अनाज भी. जबकि भारत में तो विदेशों की तर्ज पर फ्रोजन फूड काफी प्रचलन में आ गया है. हम सप्ताह भर की सब्जियां फ्रिज में स्टोर करके खाते हैं. यही नहीं बहुत से लोग एक ही खाना दो-तीन दिन तक चला लेते हैं.
- जापानी लोग खाने के लिए छोटी प्लेट्स का इस्तेमाल करते हैं. जिसमें खाने की मात्रा बहुत सीमित होती है. खाने में बहुत कुछ हो सकता है लेकिन सब कुछ कम पोर्शन में.
जीवनशैली
जापानी लोगों आने जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं यानी पैदल ज्यादा चलते हैं. कार वहां लग्जरी समझी जाती है. लोग घंटो बैठकर काम करने की जगह खड़े होकर काम करते हैं. इसके साथ-साथ वहां दिन की शुरुआत rajio taiso (एक तरह का व्यायाम) से होती है. और भारत में देखिए इंसान 9 से 5 की नौकरी बैठे-बैठे निकाल देता है. इसके अलावा पैदल चलने का प्रचलन यहां कम ही होता जा रहा है.
जितनी मेहनत उतना फायदा
यूनिवर्सल हेल्थकेयर
1960 से जापान में एक अनिवार्य हेल्थकेयर सिस्टम है, जो जीडीपी का केवल 8% है, लोग इससे स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. एक जापानी एक साल में करीब एक दर्जन से भी ज्यादा बार चैकअप कराने अपने डॉक्टर के पास जाता है. यानी तनाव तो लेना ही नहीं, सीधे डॉक्टर को दिखाओ. और जाहिर है जब तनाव नहीं होगा तो इंसान ज्यादा जिएगा ही. और यहां चिकित्सा संबंधी ऐसी कोई सुविधाएं लोगों को नहीं मिलतीं. यहां लोग तब तक डॉक्टर के पास नहीं जाते जब तक मामला गंभीर न हो.
स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा जागरुक हैं जापानी
स्वच्छता-
जापानी स्वच्छता को लेकर बहुत ऑब्सेस्ड हैं. उनकी संस्कृति में शिंटोइज्म की परंपरा है है, जिसका उद्देश्य पवित्र करना होता है. वहां रोजाना दो बार नहाना आम बात है. घर के अलावा बाहर भी साफ-सफाई उतनी ही महत्वपूर्ण है. और भारत में लोग भले ही घर को साफ कर लें, लेकिन सड़कों को कूड़ाघर समझते हैं. भारत के लोग स्वच्छा पर इतना ध्यान देते तो मोदी जी को स्वच्छता अभियान न चलाना पड़ता.
स्वच्छता जरूरी है
ऐसा नहीं है कि जापानी जो कर रहे हैं वो कुछ अनोखा है. हम सभी जानते है कि अच्छी जीवन शैली अपनाकर लंबी उम्र पाई जाती है. बहुत से लोग एक्सरसाइज भी करते हैं और कम तला खाना भी खाते हैं. लेकिन जो चीज सबसे ज्यादा जरूरी है वो है मजबूत इच्छा शक्ति और अनुशासन. जीवन में अगर ये सब भी आ जाए तो कुछ भी नामुमकिन नहीं. भारतीय महिलाएं तो व्रत रख रखकर अपने पति और बच्चों की उम्र बढ़ा रही हैं, उसे उम्र बढ़ती है या नहीं ये तो बहस का विषय है लेकिन हां, अगर जीवनशैली बदल लेंगे तो निश्चित तौर पर दीर्घायु हो सकते हैं.
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