समलैंगिकों के यौन-संबंध को लेकर कानूनी जीत अधूरी है
भारत में सेम सेक्स रिश्ते को तो गैरकानूनी अब नहीं माना जाएगा, लेकिन शादी का क्या? समलैंगिक पार्टनर चुनना आसान है, लेकिन आप उससे शादी नहीं कर सकते. इसे कानूनी मान्यता नहीं प्राप्त है.
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भारत में 6 सितंबर 2018 को एक ऐतिहास फैसला लिया गया. इस फैसले में धारा 377 के एक हिस्से को हटा दिया गया. कोर्ट ने कहा कि किसी वयस्क की मर्जी से किया गया सेक्स (प्राइवेट जगह पर) जिससे किसी महिला या बच्चे को नुकसान नहीं पहुंचाया जा रहा है उसे कानूनी तौर पर अपराध नहीं माना जा सकता. यानी होमोसेक्शुअल सेक्स जिसे पहले अप्राकृतिक माना जाता था वो अब गैरकानूनी नहीं है और इसे लेकर पूरे भारत में खुशियां मनाई गईं, लेकिन इस जीत के आगे बहुत कुछ बाकी है.
होमोसेक्शुएलिटी को लेकर भारत का स्टेटस बदल गया है, लेकिन यहां अभी भी शादी को लेकर भेदभाव वाला कानून है
सबसे पहली बात कि कानून की ये कमजोरी कहें या फिर लोगों के मन का या फिर समाज का विरोध कि समलैंगिक का पार्टनर चुनना आसान है, लेकिन आप उससे शादी नहीं कर सकते. जी हां, धारा 377 के फैसले के बाद लोगों को (जिन्हें इसके बारे में ज्यादा नहीं पता) ये लग रहा है कि समलैंगिक लोगों की शादी भी हो सकती है पर ऐसा नहीं है. यानी LGBTQ समुदाय को प्यार करने की इजाजत तो मिल गई, लेकिन शादी की नहीं मिली.
भारत में सरकार, RSS और तमाम संगठन समलैंगिकों की शादी के विरोध में खड़े हैं.
Like the Supreme Court we too do not consider this a crime. However, same sex marriage and relationship are neither natural nor desirable which is why we do not support such relationships: Arun Kumar, Akhil Bharatiya Prachar Pramukh, RSS #Section377 pic.twitter.com/N7EDVqtXtj
— ANI (@ANI) September 6, 2018
इसका मतलब समलैंगिक समुदाय के लोगों को अभी भी अपनी पहचान के लिए बहुत लंबी लड़ाई लड़नी बाकी है. पर अगर देखा जाए तो उनकी शादी को अभी भी अप्राकृतिक ही माना जा रहा है.
कानून की नजर में 'गे मैरिज'..
भारत में समलैंगिक शादी को मान्यता नहीं प्राप्त है. मतलब अगर कोई ऐसी शादी कर भी लेता है तो इसे कानूनी रूप से वैध्य शादी नहीं माना जाएगा. हर भारतीय नागरिक को अपने समाज और धर्म के हिसाब से भारतीय संविधान का सिविल कोड चुनने की आजादी है. भारत में कई एक्ट हैं जो शादी को मान्यता देते हैं जैसे..
1. Indian Christian Marriage Act of 18722. Special Marriage Act, 19543. Hindu Marriage Act, 19554. Parsi Marriage Act, 19365. Anand Marriage Act, 19096. Muslim Personal Law (Shariat) Application Act, 1937
6 एक्ट और हज़ारों नियम होने के बाद भी इनमें से किसी में भी होमोसेक्शुअल शादी के बारे में बात नहीं की गई है और उसे मान्यता नहीं मिली है. हालांकि, इसमें से कोई भी समलैंगिक शादी के विरुद्ध भी नहीं है. यानी कुल मिलाकर ऐसा कहा जा सकता है कि उनकी शादी कानून की नजर में होती ही नहीं है. न तो शादी हो सकती है न तो तलाक लिया जा सकता है, न ही भारतीय नियमों के हिसाब से उन्हें कोई हक मिलेगा शादी के बाद जिस तरह एक जोड़े को मिलता है वैसा. हालांकि, कुछ नियमों में हेटेरोनॉर्मेटिव चीज़ों को बताया गया है और इसे ही माना लिया गया कि समलैंगिक शादियों के खिलाफ ये नियम है.
भारतीय राज्य गोवा ही एक ऐसा राज्य है जहां इनमें से कोई नियम नहीं चलता और यूनिफाइड मैरिज लॉ लगता है जहां हर नागरिक भले ही वो किसी भी धर्म का हो उसके लिए नियम एक जैसा ही है, लेकिन यहां भी शादी को अपोजिट सेक्स के लिए ही रखा गया है. यानी भारत में ऐसा कोई राज्य नहीं है जहां जाकर समलैंगिक शादियों को मान्यता मिल सके.
हालांकि, समलैंगिक शादियों को वैध्य करार देने के लिए एक ड्राफ्ट तो पेश किया जा चुका है, लेकिन ये अभी भी कानून नहीं बना है और ऐसी शादियां अभी भी कानूनी नहीं है.
तो क्या ऐसी शादियां होती ही नहीं हैं भारत में?
ऐसा नहीं है कि ऐसी शादियां होती ही नहीं है. ऐसे कई किस्से सामने मिल जाएंगे जहां ऐसी शादियां भारत में हुई है. उदाहरण के तौर पर -
1. पिछले साल पंजाब पुलिस सब इंस्पेक्टर मंजीत कौर ने अपनी लेडी लव से शादी की थी. ये शादी बहुत चर्चा में आई थी. ये शादी पूरे रीति रिवाज से हुई थी जहां मंजीत दूल्हा बनकर आई थीं और अपनी दुल्हन ले गई थी.
मंजीत और उनकी दुल्हन और पुरानी सहेली शादी के जोड़े में
2. 2015 में संदीप और कार्तिक नाम के एक गे जोड़े ने कैलिफोर्निया में दक्षिण भारतीय तरीके से शादी की थी. उस समय संदीप और कार्तिक ने अपनी कहानी सबको बताई थी. ये जोड़ा सितंबर 2012 से डेटिंग कर रहा था. हालांकि, ये शादी भारत में नहीं हुई थी, लेकिन दोनों ही भारतीय थे.
संदीप और कार्तिक की शादी में सभी रिश्तेदार शामिल थे
3. ऐसे ही एक भारतीय-अमेरिकी जोड़े समीर समुद्रा और अमित गोखले ने महाराष्ट्रियन तरीके से पूरे रीति रिवाज का पालन करते हुए शादी की थी. इससे पहले शैनन शॉ और उनकी भारतीय पार्टनर सीमा ने शादी की थी. इनकी शादी ट्रेडिशनल नॉर्थ इंडियन तरीके से हुई थी.
4. दिसंबर 2015 में श्री मुखर्जी और सुचंद्रा दास ने कलकत्ता में शादी की थी. ये वो समय था जब धारा 377 को लेकर भारत में बहुत बवाल चल रहा था. उस समय टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में इस जोड़े ने कहा था कि धारा 377 LGBT मामलों के लिए नहीं ह्यूमन राइट्स के लिए है.
भारत में ऐसे किस्सों की कमी नहीं यहां तक कि इसके लिए www.arrangedgaymarriage.com नाम की गे मेट्रिमोनियल वेबसाइट भी है. भारत में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो इस तरह की शादी करना चाहते हैं, लेकिन उनके साथ कभी ये हो नहीं पाता.
कौन-कौन से देशों में लीगल है Same Sex Marriage-
ऐसा नहीं है कि दुनिया के सभी देशों में ये गैरकानूनी या अप्राकृतिक मानी जाती है. इनमें बेल्जियम, नीदरलैंड, कनाडा, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, नॉर्वे, स्वीडन, आइसलैंड, पुर्तगाल, अर्जेंटीना, डेनमार्क, उरुग्वे, न्यूजीलैंड, फ्रांस, ब्राजील, इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, लग्जमबर्ग, फिनलैंड, आयरलैंड, ग्रीनलैंड, कोलंबिया, जर्मनी और माल्टा देश शामिल हैं. अमेरिका के कुछ राज्यों में ये वैद्ध है और कुछ में इसे कानूनी मान्यता नहीं प्राप्त है.
प्यू रिसर्च के मुताबिक, 2017 में 62 फीसदी अमेरिकी इसका समर्थन करते हैं. वहीं, दुनिया के 26 देश ऐसे हैं जो समलैंगिकता को कानूनन सही करार दे चुके हैं.
सबसे पहले 26 अप्रैल 2000 में अमेरिका के वर्मान्ट स्टेट में सिविल यूनियन बिल साइन किया गया था जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सेम-सेक्स जोड़ों को एक जैसा अधिकार दिए थे जो अपोजिट सेक्स जोड़ों को थे. 1 जुलाई को इस अमेरिकी राज्य ने पूर्ण अधिकारों पर मंजूरी दे दी थी. हालांकि, अमेरिका के अधिकतर राज्यों में साल 2015 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक शादियों को वैध करार दिया था.
23 जून 2000 को स्पेन गणराज्य के नावार्रा (Navarra) ने समलैंगिक शादियों को मान्यता दी थी. इसलिए देश के हिसाब से ये पहला था. नवंबर में जर्मनी ने ये लीगल किया था और ये 1 अगस्त 2001 को कानून बना दिया गया था.
21 दिसंबर को नीदरलैंड्स की रानी बिट्रीक्स ने सबसे पहला समलैंगिक मैरिज बिल साइन किया था. इसपर कानून 1 अप्रैल 2001 को बनाया गया था.
तो कुल मिलाकर शादी को लेकर देखा जाए तो भारत में अभी भी इस तरह की शादियों के लिए अभी बहुत लंबी लड़ाई बाकी है. समलैंगिक जोड़ों के लिए भारत में अभी भी कई अधिकार किसी सपने की तरह ही हैं. अगर ये बिलकुल ही अप्राकृतिक होता तो अन्य जगहों पर कैसे इसे मान्यता मिल जाती?
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