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Updated: 22 जनवरी, 2018 07:35 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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पहले गुड़गांव के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में 7 साल के प्रद्युम्न की चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई और फिर उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्थित ब्राइट लैंड कॉलेज में 6 साल के एक बच्चे पर चाकू से हमला किया गया. कक्षाओं में छात्र-छात्राओं से टीचर द्वारा ज्‍यादती किए जाने के किस्‍से आते ही रहते हैं. इन घटनाओं के बाद से मां-बाप के मन में अपने बच्चों को लेकर चिंता हो गई है कि आखिर उनके बच्चे स्कूलों में कितने सुरक्षित हैं. इसी बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह घोषणा की है कि दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. केजरीवाल की इस घोषणा के बाद से ही बहुत से लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं, तो बहुत से लोगों ने विरोध के स्वर बुलंद करने शुरू कर दिए हैं. आइए जानते हैं क्‍यों इस फैसले का समर्थन या विरोध हो रहा है...

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विरोध: जेल जैसी जगह बन जाएगा क्लासरूम

- कुछ लोगों को मानना है कि अगर स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगा दिए जाएंगे तो इससे बच्चों को लगेगा कि उनकी जासूसी हो रही है, स्कूल का वह कमरा उनके लिए जेल बन जाएगा, बच्चे हर वक्त आतंकित रहेंगे.

- उनका मानना है कि क्लासरूम में कैमरा लगा देने से बच्चों के साथ होने वाली दुर्घटनाओं को रोका नहीं जा सकता है.

- लोग यह भी कह रहे हैं कि ऐसी स्थिति में बच्चे पूरी तरह से पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा सकेंगे.

- कुछ तो यह भी कहते हैं कि जरा से फायदे के लिए इतना खर्चा करना बेकार है. इससे सिर्फ बच्चों पर दबाव बढ़ेगा, सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती.

समर्थन: एजुकेशन सिस्टम सुधरेगा

- अमेरिका के टेक्सस के एक अध्यापक ने अपना सुझाव देते हुए कहा है कि इस फैसले को तुरंत लागू करना चाहिए. उनका मानना है कि इससे एजुकेशन सिस्टम को बड़ी ही आसानी से सही किया जा सकता है. सभी अभिभावकों को रीयल टाइम में स्कूल में हो रही गतिविधियां देखने का कोड दिया जाना चाहिए. इससे बड़ी ही आसानी से यह देखा जा सकेगा कि कोई अध्यापक सही से पढ़ा रहा है या नहीं.

- सीसीटीवी कैमरों की मदद से रैगिंग जैसी समस्या से आसानी से निपटा जा सकेगा. कोई भी छात्र कभी रैगिंग का शिकार नहीं होगा. अगर कभी ऐसा कुछ हुआ तो आरोपी तुरंत पकड़ में आ जाएगा.

- कई लोगों का मानना है कि इससे स्कूलों में बच्चों से की जाने वाली मारपीट पर भी अंकुश लगेगा. साथ ही, उन बच्चों को भी आसानी से पहचाना जा सकेगा जो गलत आदतों के शिकार हो गए हैं. इन बच्चों को सुधारने के लिए अहम कदम उठाए जा सकेंगे.

- कई बार बच्चे चोरी जैसी गलत आदतों का शिकार हो जाते हैं, स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगाकर इससे भी निजात पाई जा सकती है. इस तरह किसी बच्चे का कोई सामान चोरी नहीं होगा, कोई भी चोरी करने से डरेगा.

- अगर कभी किसी छात्र के साथ कोई अनहोनी हो जाती है, तो उसकी छानबीन में आसानी होगी.

- कैमरों की मदद से लड़कियों के साथ होने वाली छेड़छाड़ से भी छुटकारा मिलेगा और छोटी बच्चियों के रेप जैसी खतरनाक वारदातों से भी आसानी से निपटा जा सकेगा.

चीन में तो स्कूल से कॉलेज तक सब जगह कैमरे

हफिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे चीन में किंडर गार्डन, स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी तक में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि बहुत से अभिभावक अपने बच्चों की क्लास में परफॉर्मेंस को देखना चाहते थे, जिसे स्कूलों और अध्यापकों ने बखूबी समझा. कैमरे इसलिए भी लगाए गए ताकि लड़ाई-झगड़े और मारपीट जैसी हरकतों पर लगाम लगाई जा सके. वहां तो कई ऐसी वेबसाइट्स भी हैं, जहां पर कोई भी जाकर किसी भी स्कूल के सीसीटीवी फुटेज देख सकता है. हालांकि, सीसीटीवी फुटेज को वेबसाइट पर सार्वजनिक करने को लेकर कई सवाल भी उठे हैं.

सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में हैं कई स्कूल

भले ही स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने से बच्चों की प्राइवेसी खत्म होने की दलील दी जा रही हो, लेकिन मेरा मानना है कि सीसीटीवी कैमरे लगाने से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी. क्या ये अच्छा नहीं रहेगा कि आप अपने मोबाइल में ही देख सकेंगे कि आपका बच्चा स्कूल में क्या कर रहा है? क्या इस कदम से बच्चों को गलत रास्ते पर जाने से रोका नहीं जा सकेगा? क्या इससे स्कूल के अध्यापकों पर निगरानी नहीं की जा सकेगी? जब हम मानते हैं कि 18 साल से कम के लोग यानी बच्चे अपना अच्छा बुरा नहीं समझ सकते, तो फिर यह कैसे मान सकते हैं कि बच्चे स्कूल में कभी कोई गलत काम नहीं करेंगे?

भले ही सीसीटीवी कैमरे से कुछ लोगों को दिक्कत हो रही हो, लेकिन इससे कम से कम हमारे बच्चे स्कूलों में सुरक्षित तो रहेंगे. जिन्हें लगता है कि इससे बच्चे जेल जैसा या फिर जासूसी जैसा अनुभव करेंगे, उन्हें यह भी जान लेना चाहिए कि बच्चों के साथ अधिकतर समय कोई न कोई अध्यापक रहते ही हैं और बच्चों की उम्र में किसी अध्यापक के कक्षा में होने की स्थिति में भी बच्चे यही सोचते हैं कि वह जेल में हैं, क्योंकि वह हर वक्त अध्यापक की नजर में रहते हैं. सजा का डर ही किसी को अपराध करने से रोकता है और सीसीटीवी कैमरे के डर से बच्चे भी कोई गलत काम करने से डरेंगे.

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