क्रिकेट फैन होना, लड़कियों का खेल नहीं है!
हमारे यहां पर किसी लड़की का स्पोर्ट्स फैन होना वैसे ही दुर्लभ बात है जैसे भूत को देखना. उस पर लड़कियों से ऐसे-ऐसे बेतुके सवाल किए जाते हैं जैसे पानी में आग लग गई हो.
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मेरे अंदर स्पोर्ट्स का कीड़ा है. और सिर्फ क्रिकेट ही नहीं बल्कि मैं टेनिस, जिमनास्टिक और फुटबॉल को भी उतनी ही शिद्दत से फॉलो करती हूं जितना की कोई खेल प्रेमी करता है. लेकिन 21वीं सदी में भी मेरे दोस्तों खासकर लड़कों के लिए इस बात का भरोसा करना उतना ही मुश्किल है जितना की जंगल में नाचते मोर को देखना.
हर बार जब भी मैं क्रिकेट या फुटबॉल विश्व कप या फिर ओलंपिक के दौरान अपने दोस्तों के साथ किसी स्पोर्ट्स बार में जाती हूं, तो वो मुझे ऐसे देखते हैं जैसे मैं किसी गलत जगह आ गई हूं. मेरे स्पोर्ट्स बार में घुसते ही मेरे दोस्तों के चेहरे पर जो भाव होते हैं उसे बयान करना भी मुश्किल है. उनके चेहरे को देखकर ऐसा लगता है मानों उन्होंने कोई भूत देख लिया हो!
लड़कियां और स्पोर्ट्स! कभी नहीं
हालांकि उनके हाव-भाव से भी ज्यादा इरिटेटिंग होते हैं उनके द्वारा किए गए बेकार सवाल. जैसे ही किसी को पता चलता है कि मैं स्पोर्ट्स फ्रीक हूं और किसी विशेष खेल, टीम या फिर खिलाड़ी की प्रशंसक हूं तो उनके बेकार के सवालों की झड़ी लग जाती है. वो छह बेवकुफाना सवाल बताती हूं जिन्हें सुनकर हंसी आती है-
1- तुम्हारी फेवरेट टीम के तीसरे कैप्टेन के पहले बेटे का नाम पता है तु्म्हें?
ये सवाल तो ऐसे पूछे जाते हैं जैसे कि स्पोर्ट्स की दुनिया की विकीपिडिया हूं! और खेल जगत में होने वाली छोटी से छोटी खबर मुझे होनी ही चाहिए. मेरा मन करता है कि उनसे पूछूं- 'आप अपना मुंह बंद करने का क्या लेंगे?'
दरअसल मुझसे ऐसे सवाल इसलिए नहीं पूछे जाते क्योंकि उनलोगों को टीम या खिलाड़ी की उपलब्धियों पर चर्चा करना है, बल्कि वो लोग सिर्फ यह साबित करना चाहते हैं कि मैं बेवकूफ हूं और मुझे खेल की दुनिया का एबीसीडी भी नहीं पता. इन लोगों को मेरे खेल-ज्ञान के बारे में जानने के बदले खेल पर ध्यान करना चाहिए.
और अगर खुदा ना खास्ते आपने उन लोगों को कुछ ऐसा बता दिया जो उन्हें भी पता नहीं थी तब तो बस. वे लोग आपको 'भोकाल' मारने वाली बता देंगे!
2- ओह! जरूर तेरे पापा तुझे मैच देखने के लिए बिठा लेते होंगे?
मुझे आज तक ये समझ नहीं आया कि क्रिकेट के लिए मेरे प्यार का मेरे पिताजी के स्पोर्ट्स फ्रीक होने से क्या संबंध है? मेरे पिताजी कभी क्रिकेट नहीं देखते. इसके अलावा, मुझे लगता है कि स्पोर्ट्स फ्रीक होने का घरवालों के पसंद से कोई रिश्ता नहीं है.
3- आप निश्चित रूप से विराट कोहली को फिर से मिल जाएंगे?
खेल के लिए मेरा प्यार किसी एक खिलाड़ी तक ही सीमित नहीं है. मैं फुटबॉल या क्रिकेट देखती हूं क्योंकि मुझे इन खेलों से प्यार है. इसलिए नहीं कि जब भी विराट कोहली रन बनाए तो स्टेडियम में बैठकर मैं जोर-जोर से चिल्लाउं 'मुझसे शादी कर लो विराट'. पता नहीं क्यों लड़कों को हमेशा ये गलतफहनी होती है कि लड़कियों का इंटेरेस्ट सिर्फ लड़को में ही होता है.
4- ऑफसाइड क्या होता है जानती हो?
ये सवाल हजारों बार मुझसे पूछा गया है. वो ऐसा सोचते हैं जैसे कि मैं एक छोटी बच्ची हूं और कोई भी मैच मैं सिर्फ कूल दिखने के लिए देखती हूं. क्योंकि उन्हें लगता है कि मुझे ऑफसाइड का मतलब कैसे पता होगा ये तो रॉकेट साइंस से भी ज्यादा मुश्किल है, है ना?
5- क्या तुम लेस्बियन हो?
कम से कम मेरे मामले में उनका ये सोचना बिल्कुल सही है. मैं सच में लेस्बियन हूँ. लेकिन फिर भी खेल के लिए मेरे प्यार का इससे कोई लेना देना नहीं है. बल्कि लड़कियों के लिए मेरे प्यार के कारण ये कीड़ा मेरे अंदर कुलबुलाता है! बेहोश हो गए?
लेकिन अगर सीरियसली कहें तो मैं कई समलैंगिकों, लेस्बियन महिलाओं को जानती हूं जिनका खेल से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है. तो इसका मतलब ये हुआ कि या तो वो लोग किसी और ग्रह से आए हैं या फिर ये सवाल ही बचकाना और बेवकूफी भरा है. वैसे मुझे लगता है दूसरा वाला ऑप्शन ज्यादा सही है.
6- क्या गेम के सारे नियम बता सकती हो?
ना, ना. बिल्कुल नहीं. जिस खेल को पिछले दस सालों से मैं जिस गेम की दीवानी हूं आखिर उसके नियम मुझे कैसे पता होंगे! मैं तो पागल हूं जिसने अपना पूरा जीवन नो बॉल और वाइड बॉल की बीच का अंतर बताने में बिता दिया है.
लेकिन हे स्पोर्ट्स के ज्ञानी बंधुओं क्या आपको पता है कि स्पोर्ट्स इतने भी कॉम्प्लिकेटेड नहीं होते जितना की आपको लगता है. बल्कि वो इतने सिंपल होते हैं कि मेरे छोटे से दिमाग को भी ये समझ आ जाते हैं. तो इसलिए आगे से अपना ज्ञान अपने ही पास रखिएगा.
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