मैंने शादी नहीं की, इसका मतलब ये नहीं कि मैं बुरी हूं...
जब ज़्यादा से ज़्यादा महिलाएं अविवाहित रहना चाहती हैं, तो हमारा अविवाहित होना किसी श्राप की तरह क्यों समझा जाता है? हमें अलग क्यों समझा जाता है?
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'क्या आप शादीशुदा है?'
'अभी तक कुंवारी हैं?'
'घरवाले देख नहीं रहे?'
'अभी तक कोई मिला नहीं?'
'तुम बहुत चूज़ी टाइप की हो, है न?'
'दुनिया को बताओ कि तुम्हें एक पति चाहिए.'
'अपनी ड्रीम शादी की कल्पना करो.'
'तुम्हें एक अच्छा पति चाहिए और सेहतमंद बदन'
ज़रा सोचो, दिल्ली से मीलों दूर मैं हॉस्पिटल के बड़े कमरे में नग्न खड़ी हूं. तीन दिन में तीन बार आए अस्थमा अटैक से मेरा चेहरा नीला पड़ गया है, जिसकी वजह से मुझे अचानक अपनी बैंगलोर यात्रा स्थगित करनी पड़ी. मेरे हाथ लगातार चार ड्रिप लगाने और स्टेरॉइड्स के इंजक्शन्स की वजह से सूज गए हैं. मेरी आंखें भी सूज गई हैं. सांस भी रुक-रुककर आ रही है. दो महलाएं मेरा शरीर पोंछ रही हैं- एक आया जो करीब पचास की तो होगी और एक लगभग बीस साल की मलयाली नर्स, जिसने जैतूनी रंग की यूनीफॉर्म पहनी है. वो मुझे बताती है कि वो साउदी में अपनी पति से मिलने के लिए कितनी उतावली है. मै. कुछ कर तो नहीं सकती लेकिन अपने पैतृक राज्य की कई महलाओं की बदकिस्मती के बारे में सोच सकती हूं, जिनकी शादी ऐसे मर्दों के साथ हुई है जिन्हें छुट्टियों के अलावा वो शायद ही कभी देख पाती होंगी. आया कन्नड़ है, उसका पति शराबी है और कभी-कभार एक कम उम्र की महिला के साथ भी देखा जाता है.
वो बांझ है. उन्होंने केशिश की. वो नाकाम रही.
वो दोनों मेरे शरीर को गर्म स्पॉन्ज से साफ कर रही थीं. हम बातें कर रहे थे. पूरा कमरा एंटीसेप्टिक की तेज़ महक से भर गया था. वो दोनों विश्वास नहीं कर पा रही थीं कि मैं 37 की उम्र में भी सिंगल हूं. उन्होंने मुझे जल्द से जल्द किसी ज्योतिषी से मिलने की सलाह भी दे डाली. ऐसे समय में मुझे एक पति की ज़रूरत है- मेरे बुजुर्ग पिता अब मेरी तबीयत का ख्याल नहीं रख सकते.
जब मैं घुटनों तक लम्बे गुलाबी गाउन को पहन रही थी, मैंने देखा कि वो दोनों महिलाएं आपस में बातें कर रही थीं, उनकी भौंहें दर्द से झुकी हुई थीं. उनमें से एक ने कहा,' तुम 37 की नहीं लगतीं, लेकिन एक औरत का शरीर धोखा देने के लिए ही जाना जाता है. अब और देर मत करो. बच्चा होने में भी परेशानी होगी- आया ने कहा.
डर और आंसू
क्या मेरा पति मुझे तुम्हारी तरह छोड़ देगा? ये उन लाखों महिलाओं के लिए बहुत बड़ा डर है जिनके बच्चे नहीं हैं, जो मूक विवाह में फंसी हुई हैं, जो बच्चे पैदा नहीं कर पा रहीं, और पत्नी होने का सबसे बड़ा धर्म नहीं निभा पा रहीं. हमारे भारतीय परिवार की एक ही शानदार तस्वीर है- शोर मचाते कुछ बच्चे, बूढ़े दादा दादी, पिकनिक की बास्केट्स, मैचिंग टी शर्ट्स और बैंकॉक में छुट्टियां.
'हां, वो दूर हैं, लेकिन समाज के लिए मैं शादीशुदा हूं. मेरे माता-पिता को सुकून है. मेरा ख्याल रखने वाला कोई तो है. मेरा मतलब..' नर्स ने अपने बचाव में कहा, जब मैंने मज़ाक में उससे कहा कि वो सिंगल वूमन की तरह ही तो है- मतलब उसकी एक एक्टिव सेक्स लाइफ नहीं है. जिस तरह से उसने पहले कहा था.
जब ज़्यादा से ज़्यादा महिलाएं अविवाहित रहना चाहती हैं, तो हमारा अविवाहित होना किसी श्राप की तरह क्यों समझा जाता है? हमें अलग क्यों समझा जाता है? इसे उनके माता पिता से भी जोड़ दिया जाता है, जो अपनी आखिरी जिम्मेदारी (बेटी की विदाई) निभाने में असफल रहे? जिन्होंने अखबारों में विज्ञापन नहीं दिए या मेट्रीमोनियल साइट्स पर डींगे नहीं मारीं, जो अपने पारिवारिक पंडितों से मिले और पहले अपनी बेटियों की शादी पेड़ों और कुत्तों से कराई. भगवान न करे, अगर उनकी बेटी भी मेरी तरह मांगलिक होती तो?
अंधी दौड़
आदमी की कमी को हमेशा असफलता के रूप में देखा जाता है- जैसे कि महिलाओं का जन्म अपने साथी को पाने की इस अंधी दौड़ का हिस्सा बनने के लिए हुआ हो. इससे पहले कि उनके स्तन ढीले हो जाएं, अंडाशय काम करना बंद कर दे, और त्वचा बढ़ती उम्र के संकेत देने लगे. इससे पहले कि उनकी यौनेच्छा ख़त्म हो जाए, रूढ़ीवादी समाज इस तरह की बातें करता है. किताबें और डराने वाली कॉस्मेटिक कंपनियां महिलाओं को उकसाती हैं कि वे खुद को थो़ड़ा सहेज कर रखें. उनके जवान होने के सुबूत हैं- प्रजनन क्षमता, स्त्रीत्व और कसाव. उनका जीवन मेयोनीज के एक जार की तरह है जो स्वादिष्ट तो है लेकिन एक्सपायरी डेट के साथ.
एक बार, प्लीज
'ये एक अनुभव है, तुम्हें एक बार सबकुछ करना चाहिए', एक शादीशुदा दोस्त का कहना है, जो अपने विरक्त शादीशुदा जीवन की वेदना में, अपने बेपरवाह पति जो अब मुश्किल से ही उसे नोटिस करता है, उससे बुरी तरह बहस करने के बाद अपने बच्चे को डपटकर सुलाती है.
तो क्या शादी का मतलब बंजी जंपिंग है या फिर टैटू बनवाना? या फिर अपना कौमार्य खोना. जिस तरह भारत में महिलाएं इस पर झल्लाती है, बातें बनाती हैं- जिस तरह से हम अपने हैमेन का प्रचार करते हैं.
सच्चाई ये है कि ज़्यादातर भारतीय महिलाओं ने कामोत्तेजना का अमनुभव नहीं किया है, अपने सेक्स जीवन की कड़वी सच्चाई को छुपाने के लिए सिर्फ नाटक करती हैं. साइबर सैक्स साइटों में अकसर पुरूषों के रूप में लॉगइन कर, वाट्सएप पर आभासी प्रेमियों की तलाश में- शादीशुदा मर्दों को चुनती हैं. ज़्यादातर जो बेरंग और घिसी पिटी ज़िन्दगी जी रहे हों या वो मर्द जिनकी बीवियां मोटी हों और जो कॉर्पोरेट में नौकरियां कर रहे हों, जिन्हें इस तरह के प्रयोग से कोई ऐतराज न हो. जहां आभासी नाम छापने की सुरक्षित शर्त हो.
बिना लाइसेंस के सेक्स
'क्या तुम मेरे साथ करोगी?', एक 29 साल के आदमी ने मुझसे पूछा जिसे मैं बैगलोर में अपने दोस्त के साथ मिली थी. उसने मुझसे कहा कि 'वो मुझे पसंद करता है और मुझे और अच्छी तरह जानना चाहता है'
ऐसा क्यों है कि अविवाहित होने का मतलब सेक्स के लिए बेताब होना, वन नाइट स्टैण्ड्स और कई इत्तेफाकन सैक्स, कोई फालतू टंटे नहीं होना माना जाता है?
बच्चे? क्रेच? अपनी जॉब छोड़ने की आज़ादी? पेड़ मैटरनिटी लीव? लोग क्यों हमें अब भी काल्पनिक सफलता के मीटर पर आंकते हैं? क्यों मेरा सिंगल स्टेटस बाकी सभी विवाहित लोगों के लिए खतरा है? एक साथी पाने के लिए हमेशा एक जैसा दिमाग क्यों लगाना? इमरजेंसी रूप में अकेले जाने पर क्यों उदास चेहरे दिखते हैं? जीवनभर किसी एक के ही हो जाने का क्या मतलब? जब बेवफाई कोई पाप नहीं रह गया है?
क्या हुआ जो अब तक मैं अविवाहित हूं? और निशाना बनने से इनकार करती हूं?
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