कैसे 1993 मुंबई धमाकों की याद दिलाते हैं श्रीलंका के धमाके
जिस तरह से श्रीलंका में सिलसिलेवार धमाके हुए हैं वो मुंबई बम धमाकों की याद दिलाते हैं. आतंकवाद का दंश किस तरह से दोनों देशों में एक जैसा था वो सोचने वाली है.
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श्रीलंका में लोग जश्न की तैयारी में थे. कई लोग छुट्टियां मना रहे थे. गर्मी की इस सुबह लोग अपने आराध्य को याद कर रहे थे और उसी वक्त श्रीलंका को धमाकों की आवाज़ ने दहला दिया. ईस्टर के दिन श्रीलंका में जिस तरह निंदनीय घटना हुई है उसे देखकर किसी भी इंसान का मन अशांत हो सकता है. श्रीलंका में जो हमला हुआ है उसे अंजाम देने के लिए सुसाइड बॉम्बर्स ने बड़े ही शातिर तरीके से तब विस्फोटक का इस्तेमाल किया जब लोग सबसे ज्यादा साथ में हों. शांग्री-ला होटल में हमलावर ने तब तक इंतजार किया जब तक कई लोग नाश्ता करने नहीं आ गए और हॉल भर नहीं गया. चर्च में उस वक्त हमला हुआ जब लोग ईस्टर की प्रार्थना सभा में हिस्सा ले रहे थे.
श्रीलंका धमाकों ने कुछ मामलों में भारत में हुए मुंबई बम धमाकों की याद दिला दी. 1993 की वो सुबह जब मुंबई में सिलसिलेवार ब्लास्ट हुए थे. एक के बाद एक हज़ारों लोग इन धमाकों से आहत हुए थे. श्रीलंका ब्लास्ट का दर्द भी उन्हीं धमाकों जैसा है.
एक नहीं कई मामलों में श्रीलंका ब्लास्ट है मुंबई धमाकों जैसा...
श्रीलंका हमले की जितनी भी निंदा की जाए वो कम ही है. ठीक उस तरह जिस तरह मुंबई बम धमाकों के साथ हुआ था.
ठीक मुंबई बम धमाकों की तरह श्रीलंका ब्लास्ट में भी बेगुनाहों को ही मारा गया है.
- दोनों ही हमलों में ऐसा वक्त चुना गया जब सबसे ज्यादा लोगों को तकलीफ पहुंचे.
- मुंबई ब्लास्ट में मरने वालों की संख्या 257 थी (हालांकि, कुछ सूत्रों के मुताबिक 317 लोगों की मौत हुई थी.) और श्रीलंका के हमले में 290 लोगों की मौत हुई है (ये आंकड़ा आधिकारिक नहीं है.).
- मुंबई बम धमाकों में 12 सिलसिलेवार ब्लास्ट हुए थे और श्रीलंका में 8 ब्लास्ट हुए हैं और 9वें ब्लास्ट को रोक लिया गया जब कोलंबो के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से एक IED को डिफ्यूज किया गया. ये दोनों ही सीरियल ब्लास्ट थे.
- मुंबई बम धमाकों में तीन होटलों को निशाना बनाया गया था, होटल सी-रॉक, होटल जूहू सेन्टॉर और होटल एयरपोर्ट सेन्टॉर, श्रीलंका हमले में भी तीन होटलों में ब्लास्ट हुआ है होटल शांग्री-ला, सिनामोन ग्रैंड और किंग्सबरी.
- मुंबई बम धमाकों को गुजरात दंगों में मुसलमानों की हत्या का बदला माना जा रहा था और श्रीलंका बम धमाकों को न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में दो मस्जिदों में हुई मुसलमानों की हत्या का बदला माना जा रहा है. शक है कि इसी वजह से चर्च को चुना गया जहां लोग प्रार्थना कर रहे थे.
ISIS says Sri Lanka jihad massacres were revenge for strikes on Muslims: Everything devout Islamic jihadis do, they claim is in retaliation for the evils of the kuffar. https://t.co/ph9gGanNSm pic.twitter.com/eRe44ezdJh
— Pamela Geller (@PamelaGeller) April 21, 2019
श्रीलंका बम ब्लास्ट में सुबह 8 बजे से लेकर 8.45 तक 6 धमाके हो चुके थे और अन्य दोपहर दो बजे से 3.20 के दौरान हुए हैं. मुंबई बम धमाकों में पहला ब्लास्ट 1.30 बजे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में हुआ था और अंतिम ब्लास्ट 3.40 मिनट पर हुआ था. मुंबई धमाकों में घायलों की संख्या 700 का आंकड़ा पार कर गई थी और श्रीलंका धमाकों में घायलों की संख्या 500 का आंकड़ा पार कर गई है. इतनी बड़ी तादात में लोगों को तकलीफ हुई है.
मुंबई बम धमाकों के कई आरोपी अभी भी फरार हैं. ये वो केस था जिसमें 200 से ज्यादा लोगों पर मुकदमे चले थे और श्रीलंका में अभी 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. सिर्फ 1993 बम ब्लास्ट ही नहीं बल्कि मुंबई 2006 में हुए लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट भी कुछ ऐसे ही थे. जहां 206 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी और 500 से ज्यादा घायल हुए थे.
#SriLanka serial bom-blasts remind us of 26/11 & serial Mumbai blasts! I pray for people of Srilanka!
— Chowkidar Meera Singh (@meeraremi11) April 21, 2019
उन धमाकों में भी 7 बम ब्लास्ट हुए थे और मुंबई को एक बार फिर से आतंकवाद का वो दंश झेलना पड़ा था जो शायद कभी भुलाया नहीं जा सकता. लोग वहां भी हताहत हुए हैं और यहां भी हुए थे. इंसानियत पर हमला तो दोनों ही जगह हुआ है.
न जाने कितनी कहानियां सामने आएंगे इस हमले की जो तबाही का मंजर दिखाएंगी.
ये दोनों ही धमाके इंसानियत के मुंह पर तमाचे की तरह ही हैं क्योंकि दोनों ही जगह बदला उन लोगों से लिया गया जो बेगुनाह थे. जिन्हें ये पता भी नहीं था कि उन्हें क्यों मारा जा रहा है. जो हर रोज़ की तरह अपना दिन शांति से बिताने के बारे में सोच रहे थे. इनमें से कई खुश होंगे एक नई सुबह के लिए, कई अपनी आंखों में सपने लिए निकले होंगे, किसी ने घर पर वापस आने का वादा किया होगा, किसी पिता ने अपने बच्चे को बाज़ार से कुछ लाने का वादा किया हो, किसी की बेटी हमेशा के लिए बिदा हो गई हो.
मुंबई में जिस तरह का दर्द भारत ने झेला उसी तरह का दर्द श्रीलंका भी झेल रहा है. बस फर्क सिर्फ इतना है कि यहां अलग धर्म के लोगों को निशाना बनाया गया था और वहां अलग धर्म के लोगों को बनाया गया है. पर मसला सिर्फ एक ही है.
धर्म के नाम पर होने वाले आतंकी हमले किस बिनाह पर किए जाते हैं शायद ये समझना मेरे जैसे इंसानों के लिए नामुमकिन है. अपने धर्म को किसी और के धर्म से ज्यादा बड़ा बताना या समझना और उसके कारण लोगों की मौत का कारण बनना ये इंसानियत तो नहीं हो सकती.
श्रीलंका ब्लास्ट के बारे में धीरे-धीरे जानकारी सामने आएगी और साथ ही सामने आएंगी वो कहानियां जिन्होंने हमेशा के लिए दम तोड़ दिया. मुंबई हमले के कई शिकार आज भी उसी घाव को लिए बैठे हैं और इसी तरह से श्रीलंका के हमले में भी लोगों का हाल होगा. आज ही भारतीय श्रीलंका हमले में मारे गए 5 भारतीयों की चिंता कर रहे हैं, ठीक उसी तरह श्रीलंका के कई परिवार अपनों की चिंता में होंगे.
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