श्रीदेवी के दिल ने उन्हें क्यों नहीं संभलने दिया
आज श्रीदेवी की Death Anniversary है. अक्सर लोग कार्डिएक अरेस्ट के बाद बच नहीं पाते, लेकिन कुछ खास तरीकों से इसे होने से रोका जा सकता है. कुछ सावधानियां इस घातक समस्या का इलाज बन सकती हैं.
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24 फरवरी 2018 की सुबह की शुरुआत श्रीदेवी के निधन की खबर से हुई थी. अब उस घटना को एक साल पूरा हो चुका है. वो मश्हूर अदाकार जिसकी खूबसूरती और एक्टिंग का जादू सभी के दिलों पर राज करता था अब इस दुनिया में नहीं रही. हैरानी इसलिए नहीं हुई कि उनको लोग इतना प्यार करते थे, लेकिन जिस तरह अचानक उनकी मौत हुई कि किसी को आभास भी नहीं हुआ. न उम्र ऐसी थी कि ये दुनिया से चली जाएं न ही कोई लंबी बीमारी जो इसका अहसास करवाए. दो दिन पहले शादी में नाचते हुए वीडियो सामने आया था फिर अचानक मौत की खबर. इनकी मौत की वजह बना कर्डिएक अरेस्ट. क्या कार्डिएक अरेस्ट इतना क्रूर होता है कि श्रीदेवी जैसी फिट महिला को भी संभलने का मौका ही नहीं दिया. क्या वाकई ये कभी भी हो सकता है?
अचानक होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा लोग कार्डिएक अरेस्ट की वजह से मरते हैं. इनके साथ एक सबसे बड़ी समस्या ये रहती है कि इसके बारे में बहुत पहले से पता नहीं किया जा सकता और कार्डिएक अरेस्ट का सर्वाइवल रेट भी काफी कम है. अमेरिकी हेल्थ असोसिएशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक कार्डिएक अरेस्ट का सर्वाइवल रेट हॉस्पिटल में ही लगभग 3% रहता है. अक्सर इसके बाद लोग बच नहीं पाते, लेकिन अगर शुरू से ही थोड़ी सी सावधानी बर्ती जाए तो ये नौबत आने से बच सकती है.
हार्ट अटैक से क्यों है अलग...
हार्ट अटैक में एक आर्टेरी (धमनी) ब्लॉक हो जाती है जिससे ऑक्सीजन वाला खून दिल के एक हिस्से तक नहीं पहुंच पाता. अगर इसे जल्दी ठीक नहीं किया गया तो दिल का वो हिस्सा मरने लगता है. ज्यादातर इसके लक्षण धीमे-धीमे शुरू होते हैं और काफी समय तक रहते हैं.
यहीं कार्डिएक अरेस्ट एकदम से होता है, बिना किसी चेतावनी के, इंसान चलता-फिरता रहता है और अचानक गिर जाता है. दिल में एक अनियमित धड़कन आती है जो दिल से खून पंप करने की हरकत को रोक देती है. इससे खून दिमाग, फेफड़ों और बाकी अंगों तक नहीं पहुंच पाता. इस केस में मौत चंद मिनटों में ही हो जाती है.
इसके लक्षण कुछ ऐसे होते हैं कि लोगों की आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है, उन्हें अचानक कमजोरी और घबराहट होती है, अक्सर बीपी की समस्या हो जाती है, लोग गिरने लगते हैं क्योंकि उनका बैलेंस गड़बड़ा जाता है, कई अंग काम नहीं करते, नब्ज नहीं मिलती. ऐसे समय में तुरंत पेशंट को सीपीआर (Cardiopulmonary resuscitation) की जरूरत होती है.
इस तरह दिया जाता है सीपीआर
क्या इसे रोका जा सकता है?
कार्डिएक अरेस्ट को रोकने का सबसे सही तरीका है सावधानी बरतना. इसके अलावा, और कोई तरीका नहीं है किसी की जान बचाने का.
- धूम्रपान करना छोड़ दें.
- परिवार में अगर किसी की दिल की बीमारी से मौत हुई है तो उसे देखें और उसके हिसाब से चेकअप करवाएं.
- अगर परिवार में दिल की बीमारी की हिस्ट्री रही है तो इसकी गुंजाइश काफी ज्यादा है कि कार्डिएक अरेस्ट या लेफ्ट वेंट्रिकुलर डिसफंक्शन (एक तरह की दिल की बीमरी जिसमें सांस लेना मुश्किल हो जाता है.) हो सकती है.
- अगर परिवार में दिल की बीमारी की हिस्ट्री रही है तो परिवार वालों को CPR और ऑटोमैटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर (एक तरह का इलेक्ट्रिक उपकरण जो खास तौर पर कार्डिएक अरेस्ट से बचने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.) के इस्तेमाल की जानकारी देनी चाहिए.
- दिल की जांच करवाने के बाद. एक उम्र के बाद इसकी जरूरत पड़ती है. ऐसे में शरीर में इंप्लांट किए जाने वाले defibrillator को लगवाया जा सकता है (अगर दिल में कोई अनियमितता समझ आती है तो).
- परिवार वालों और रिश्तेदारों को कार्डिएक अरेस्ट की जानकारी देना और उससे बचने के तरीके और ऐसे समय में तुरंत क्या करना है उसकी जानकारी देना.
- कोई एक्सिडेंट, बड़ी बीमारी या छोटे हार्ट अटैक के बाद दिल की बीमारी की समस्या हो जाती है. ऐसे में कोशिश करें कि हाई बीपी न हो. ये घातक साबित हो सकता है.
- अगर दिल की बीमारी हो गई है या लक्षण दिख रहे हैं तो जंक फूड से तौबा कर लें.
- वजन कम करें और फिट रहने की कोशिश करें.
ऐसे टेस्ट जो 50 के बाद करवा लेने चाहिएं...
50 के बाद कुछ जरूरी मेडिकल चेकअप करवा लेने चाहिए जिसके बाद उनके शरीर में हो रही समस्या का पता चल सके, दिल की समस्या हो या न हो चेकअप करवा लेने से बड़ी दुर्घटना से बचा जा सकता है.
- दिल का चेकअप (ECG)
- एनिगोग्राफी (Angiography)
- ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग
- ईकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram (echo) tests)
- इलेक्ट्रिक पल्स की जांच, कार्डिएक अरेस्ट जैसे केस के लिए (Electrophysiological studies)
ये सब तरीके सिर्फ कार्डिएक अरेस्ट ही नहीं बल्कि कई अन्य बीमारियों से रक्षा के लिए भी बनाए गए हैं और ये
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