वनमंत्री की 'दया' से मैं डर गया हूं ; एक टाइगर की चिंता
नरभक्षी होने के आरोप में रणथंबौर के टाइगर टी24 यानी उस्ताद को मई 2015 से कैद करके रखा गया है. अचानक आए उसकी रिहाई के आदेश को उसके ही मन से समझा जा सकता है.
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मैं सोच रहा हूं कि न तो कोई चुनाव है और न हीं मैं वोटर हूं पर वनमंत्री जी को ये क्या हुआ जो कहने लगे कि उस्ताद को वापस उसके घर रणथंभौर लाया जाएगा. सच कहूं इन नेताओं की बात पर हमें भरोसा नही होता है. ये जब भी कहते हैं अमन और शांति होनी चाहिए, मन में डर सा लगता है कि हो-न-हो कहीं किसी खून खराबे की साजिश रच कर आए हों.
मैं उस्ताद हूं, क्या आप मुझे भूल गए हैं. रणथंभौर के टाइगर रिजर्व का टी-24 टाइगर. वही उस्ताद जिसे आदमखोर करार देकर 400 किलोमीटर उदयपुर के सज्जनगढ़ के चिड़ियाघर में कैद कर दिया है. मुझे याद है 16 मई की वो रात जब 7 फीट लंबे और 4 फीट चौड़े पिंजड़े में मुझे कैद कर यहां लाया गया था. मुझे आज भी मई 2015 का महीना याद है जब मुझ पर नरभक्षी होने का आरोप लगा था. रणथंभौर का फौरेस्ट गार्ड जंगल में मृत मिला था और मेरे ऊपर नरभक्षी होने का आरोप लगने लगा. सबने हमें इंसानियत के लिए खतरा बताते हुए यहां से हटाकर किसी चिड़ियाघर में कैद कर दिया.
2015 में उस्ताद पर नरभक्षी होने का आरोप लगा था |
लेकिन इल्जाम तो इल्जाम है, दिल दुखता है. 10 जनवरी 2017 को एक बार खबर आई है कि फतेह यानी टी-42 टाइगर ने एक किसान पर हमलाकर उसे बुरी तरह से घायल कर दिया है. मैं पूछ पाता तो जरुर पूछता कि पिछले पांच सालों के दौरान रणथंभौर में हुए सारे हमलों के लिए मुझे जिम्मेदार ठहराया था. अब तो मैं नही हूं तो फिर अब क्यों हो रहे हैं हमले. लेकिन ये सोचकर चुप रह जाता हूं कि किससे पुछूं, समरथ को नहीं दोष गुसाईं.
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मैं अपनी बेगुनाही का सुबूत न राजस्थान हाईकोर्ट में दे पाया और न ही सुप्रीम कोर्ट में बोल पाया. बस सजज्नगढ़ के चिड़ियाघर में पांच दिनों तक बिना खाए-पीए रहकर राष्ट्रपिता बापू के अहिंसात्मक सविनय अवज्ञा भूख हड़ताल के जरिए ये बताने की कोशिश की कि मैं हिंसक नहीं हूं. अगर मैं हिंसक रहता तो मेरे इलाके में सबसे ज्यादा टूरिस्ट से भरी गाड़ियां दिनभर रेलमपेल किए रहते हैं, क्या कभी हमने कभी कोई गुस्ताखी की. अलग-अलग अंदाज में फोटो के लिए पोज देता रहा और सबका मन बहलाता रहा. नरभक्षी और मैनईटर नाम तो दे दिया मगर क्या ये जानने की कोशिश की कि क्या मैंने मरनेवाले फौरेस्ट गार्ड का एक टुकड़ा भी खाया था. अगर खाया नहीं तो नरभक्षी कैसे बना. खैर, सबने बिसरा दिया और मैंने भी नियति से समझौता कर सजज्नगढ के इनक्लोजर में अपनी जिंदगी ये सोचते हुए गुजारनी शुरु कर दी कि बादशाह शाहजहां ने भी तो औरंगजेब से कैद होने पर जिंगदी कैदखाने में गुजारी थी. जब हिंदुस्तान का बादशाह वक्त से समझौता कर सकता है तो मैं क्या, मैं तो ठहरा जंगल का राजा.
इलाके में आए टूरिस्टों को पोज देता था उस्ताद |
लेकिन इंसानों की फितरत है कि न खुद चैन से बैठते हैं और न दूसरों का सुख देखा जाता है. फिर से राजस्थान सरकार ने फैसला लिया है कि उस्ताद को अपने घर लाया जाएगा. मैंने आप से कहा था न कि नेताओं की घोषणाओं से मुझे डर लगता है. मैं यूं ही इल्जाम नहीं लगा रहा हूं. न तो मैं कैद किए जाने की वजह से गुस्से में बोल रहा हूं. मैं कैसे भूल सकता हूं राजस्थान के वन मंत्री रहे राजकुमार रीणवा को जब फौरेस्ट गार्ड की मौत के बाद कहा था कि उस्ताद गुस्सैल जरुर है मगर हिंसक नहीं है और मैन ईटर तो बिल्कुल हीं नही है. उस्ताद हमारी शान है और उसे कहीं शिफ्ट नहीं किया जाएगा. जिस दिन मेरी बेगुनाही के साथ सूबे को वनमंत्री खड़े थे उसी रात तो मुझे बेहोश कर कैद में उदयपुर लाया गया था. तब तो एनटीसीए यानी नेशनल टाइगर कंजर्वेशन आथिरिटी आफ इंडिया और सीजेडीए यानी सेंट्रल जू आथिरिटी ने इसका विरोध किया था लेकिन सरकार नहीं मानी.
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लेकिन मैंने सुना है कि अब नए वनमंत्री आए हैं. गजेंद्र सिंह खिवसर जो मेरी रिहाई चाहते हैं. उन्होने हीं जयपुर जू के डा. अरविंथ माथुर को भेजा था जो मुझे ट्रांक्यूलाईज कर मेरा ब्लड सैंपल ले गए हैं, सैंपल को बरेली और देहरादून में टेस्टिंग के लिए भेजा जाएगा और उसके बाद शिफ्ट करने को लेकर रिपोर्ट देंगे. देहरादून से आए टाइगर एक्सपर्ट ने तो पहले ही मेरी जांच कर जंगल में छोड़े जाने लायाक बता दिया है.
जंगल में वापस जाने की तैयारी |
आप सोच रहे होंगे की मैं खुश हूं क्योंकि मैं वापस अपने घर जा रहा हूं. आप सच सोच रहे हैं घर जाने की खुशी किसे नहीं होती है. लेकिन घर जाने की मेरी खुशी भी कुछ उसी तरह की है जिस तरह कि नोटबंदी के बाद घर लौट रहे है मजदूरों की है. आप इन नेताओं की नीति पर मत जाया करो इनकी नियत तो कुछ और होती है. दुनिया भर में मेरे चाहने वालों ने जो आरोप उस वक्त सरकार और होटल लाबी पर लगाए थे वो सच सा लगने लगा है. कहा जा रहा है कि रणथंभौर के पास हीं एक अलग से एरिया बनाकर सॉफ्ट रिलीज करेंगे. कैद और रिहाई के बीच ये शब्द आया है सॉफ्ट रिलीज. यही तो हमारे चाहनेवालों ने कोर्ट में भी कहा था कि रणथंभौर से सटे मावली में नेताओं और टूरिस्ट माफियाओं ने भारी तादाद में जमीनें खरीद कर रिजॉर्ट बनाना शुरु कर दिया है. और उस्ताद को मावली में एक सीमित क्षेत्र में रखा जाएगा.इसीलिए सबने मिलकर ये साजिश रची है. तब तो किसी ने विश्वास नहीं किया था, मगर जिस तेजी से मेरी रिहाई की कोशिशें तेज हुई हैं, लगने लगा है कि चुनाव में 15 महीने ही बचे हैं और तब तक नया टूरिस्ट रीजन बनाना है.
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मावली को नया टाइगर एरिया बनाने के पीछे कहा जा रहा है कि रणथंभौर के 10,400 वर्ग किमी के क्षेत्र में जरुरत से ज्यादा टाइगर हो गए हैं. 60 से 70 तो व्यस्क हैं और 17 बच्चे हैं. इसी वजह से टाइगर बाहर जाकर लोगों पर हमला करने लगे हैं और खुद भी आपस में लड़कर घायल होने लगे हैं. मैं भी अपनी बेगुनाही के लिए यही तर्क दिया था तब किसी ने नहीं सुना था. अजीब विडंबना है, अब भी मेरी रिहाई इसी दलील से हो रही है. मेरी घर वापसी के जश्न के शोर में सब कुछ भुला दिया जाएगा...जो कुछ हमने भुगता और जो भुगतूंगा.
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