New

होम -> समाज

 |  7-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 22 अक्टूबर, 2018 09:55 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
  • Total Shares

दिवाली आने वाली है, लेकिन इस त्योहार पर आतिशबाजी से पहले सुप्रीम कोर्ट में पटाखों पर एक अहम फैसले के रूप में बड़ा धमाका हो सकता है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इस मुद्दे से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जिनके जरिए कोर्ट के सामने पूरे देश में पटाखे बेचने पर बैन लगाने का प्रस्ताव रखा गया है. पिछली बार सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में तो पटाखों की बिक्री पर बैन लगा दिया था, लेकिन इस बार पूरे देश में बैन लगाने पर विचार हो रहा है. अब सवाल ये है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में पटाखों की बिक्री पर बैन लगा दिया तो क्‍या होगा? दिवाली पर पटाखे जलाना सिर्फ जश्न ही नहीं, बल्कि इस त्‍योहार को मनाने एक हिंदू प्रतीक भी बन चुका है. ऐसे में अगर बैन लगता है तो इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं भी आहत हो सकती हैं. पिछली साल लगे बैन पर ऐसे ऐतराज सामने आए थे.

धार्मिक चश्मे से देखा गया सुप्रीम कोर्ट का फैसला!

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने 9 अक्टूबर 2017 को दिल्ली-एनसीआर में पटाखे बेचने पर रोक लगा दी थी. यह रोक 1 नवंबर 2017 तक के लिए थी. डॉक्टरों और स्वयंसेवी संस्थाओं की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में धुएं की मोटी परतें दिखने लगी थीं, जिसके चलते बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में दिक्कत की बात कही गई थी. भले ही सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण से लोगों को बचाने के लिए पटाखों पर बैन लगाया, लेकिन बहुत से लोगों ने इसे धार्मिक चश्मे से देखा. मशहूर लेखक चेतन भगत ने ट्वीट किया था कि आखिर हिंदुओं के त्योहारों पर ही बैन क्यों लगाए जाते हैं? मुस्लिम त्योहारों पर बैन क्यों नहीं लगते? वहीं दूसरी ओर त्रिपुरा के गवर्नर तथागत रॉय ने कहा था कि कल कुछ लोग हिंदुओं द्वारा चिता जलाने के खिलाफ भी अदालत में जा सकते हैं. आपको बता दें कि लोगों की इस तरह की टिप्पणियों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लोगों को प्रदूषण से बचाने के लिए जारी किए गए आदेश को धार्मिक रंग देने से सुप्रीम कोर्ट आहत हुआ है.

सुप्रीम कोर्ट, पटाखे, दिल्लीअगर सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में पटाखों की बिक्री पर बैन लगा दिया तो क्‍या होगा?

बच्चों ने की है पटाखा बैन करने की गुजारिश

पिछले साल दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर लगी रोक के पीछे तीन बच्चे थे. उनके नाम पर उनके माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. अर्जुन गोपाल, अर्नव भंडारी और जोया राव भसीन नामक ये बच्चे उस दौरान 6 से 14 महीने की उम्र के थे. पूरे देश में पटाखा बेचने पर बैन लगाने की गुजारिश भी इन्हीं बच्चों की तरफ से की गई है और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिकादायर की है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सिकरी और अशोष भूषण की बेंच ने केंद्र सरकार और पटाखा निर्माताओं की एसोसिएशन को नोटिस भेजकर बच्चे की याचिका पर उनकी राय मांगी थी. याचिका में कहा गया है- 'पटाखों से कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे खतरनाक तत्वों के अलावा पर्टिकुलेट मैटर भी निकलता है, जिसके हवा प्रदूषित होती है. इसकी वजह से फेफड़ों को बहुत नुकसान होता है और अस्थमा जैसी बीमारियां हो सकती हैं. अगर प्रदूषण से निपटा नहीं गया तो बच्चों और बुजुर्गों को स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियां हो सकती हैं.'

सुप्रीम कोर्ट द्वारा भेजे गए नोटिस पर केंद्र सरकार ने अपना विरोध दर्ज किया है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सलाह दी है कि सुप्रीम कोर्ट को तेज धमाके वाले पटाखों को लेकर नियम बनाने चाहिए. अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल ए नंदकर्णी ने कहा है कि राज्यों में पटाखे फोड़ने के लिए एक अलग स्थान का चुनाव किया जाना चाहिए. पूरे देश में पटाखों पर बैन लगाने की याचिका को लेकर तमिलनाडु सरकार भी केंद्र की बात से सहमत है.

यदि पटाखे पर बैन लगा तो वह 'गुटखा बैन' जैसा न बन जाए

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2015-16 में ही गुटखा और चबाने वाले तंबाकू उत्पादों की बिक्री और भंडारण पर रोक लगा दी थी. दिल्ली सरकार ने इसे लेकर नोटिफिकेशन तो जारी किया, लेकिन अदालत के आदेश को सख्ती से लागू नहीं किया गया. गुटखा और तंबाकू कंपनियां कानून को चकमा देकर अलग-अलग पाउच में उत्पाद बेच रही हैं. हर साल लाखों लोग तंबाकू उत्पादों के सेवन से मरते हैं, लेकिन दिल्ली में इनकी बिक्री धड़ल्ले से होती देखी जा सकती है. गुटखा बैन को लेकर तो एक याचिका भी हाईकोर्ट में दायर की गई थी, जिस पर हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को तलब भी किया था. अब सवाल ये है कि कहीं पटाखे पर लगाए जाने वाले बैन का हाल भी गुटखे पर लगे बैन जैसा ना हो जाए.

पिछली बार तो ठेंगा दिखा दिया था लोगों ने

सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर पिछले साल भी बैन लगाया था. इरादा यही था कि लोगों को प्रदूषण से बचाया जा सके. दिल्ली की हवा को जहरीला बनाने से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भले ही पटाखों की बिक्री पर बैन लगाया था, लेकिन दिवाली की रात हर ओर हो रही आतिशबाजी खुलेआम सुप्रीम कोर्ट को ठेंगा दिखा रही थी. सिर्फ एक रात में इतना प्रदूषण हुआ था कि दिल्ली हवा करीब 10 गुना अधिक प्रदूषित हो गई थी.

सुप्रीम कोर्ट, पटाखे, दिल्लीपिछली बार दिवाली की रात के अगले दिन दिल्ली की हवा 10 गुना अधिक प्रदूषित हो गई थी.

एक नजर, दिल्ली के मौजूदा हाल पर

अगर अभी दिल्ली की हवा में फैले प्रदूषण पर नजर डालें तो तस्वीर काफी डरावनी है, जबकि दिवाली अभी आई भी नहीं. रविवार यानी 21 अक्टूबर को दिल्ली की हवा बेहद खराब कैटेगरी में रही. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के डेटा के मुताबिक दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) कुल मिलकार 301 दर्ज किया गया, जो 'बहुत खराब' की श्रेणी में आता है. दरअसल, अक्टूबर-नवंबर के दौरान पंजाब-हरियाणा के किसान पराली जलाते हैं, जिससे दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है. दिवाली के बाद तो प्रदूषण 10 गुना तक बढ़ जाता है और इस बार दिवाली से पहले ही दिल्ली की हवा बेहद खराब की कैटेगरी में पहुंच चुकी है.

अब इस बार अगर सुप्रीम कोर्ट पटाखों की बिक्री पर बैन लगा भी देता है तो लोग मानेंगे या नहीं, ये तो दिवाली की रात ही बताएगी. हालांकि, पूरे देश में पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह से बैन लगाना कोई समाधान नहीं है, बल्कि इसे नियंत्रित करने की जरूरत है. पटाखों की फैक्ट्रियों में ही इसे लेकर काम होना चाहिए और ऐसे पटाखे बनाने चाहिए, जिनसे कम से कम प्रदूषण हो. अधिक आवाज और ज्यादा बारूद वाले पटाखों पर बेशक बैन लगाया जाना चाहिए. अगर एक ही बार में पूरे देश में बैन लगेगा तो भारत जैसे देश में इसे धार्मिक चश्मे से देखा जाना लाजमी है. साथ ही, अब दिवाली आने वाली है. फैक्ट्रियों ने पटाखे बना लिए होंगे. व्यापारियों ने लाइसेंस रीन्यू करवा लिए होंगे और हो सकता है कि पटाखे भी खरीद लिए हों. अब ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट अचानक पूरे देश में पटाखे बैन कर दे तो इससे व्यापारियों को आर्थिक नुकसान तो होगा ही, साथ ही कालाबाजारी भी बढ़ेगी, क्योंकि व्यापारी कम से कम अपनी लागत को तो किसी भी तरीके से निकालने की कोशिश करेंगे. ऐसे में पूरे देश में पटाखों की बिक्री पर रोक लगना मुमकिन नहीं लगता, लेकिन दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक लगने के पूरे आसार हैं.

ये भी पढ़ें-

जागो पंजाब-हरियाणा के सीएम: सिर्फ 7 दिन में शुद्ध से दूषित हो गई दिल्ली की हवा

रोका जा सकता था अमृतसर रेल हादसा

अमृतसर हादसा दुखद है, लेकिन इसमें ट्रेन की कोई गलती नहीं

#सुप्रीम कोर्ट, #पटाखे, #दिल्ली, Supreme Court, Firecrackers, Pan India Firecrackers Ban

लेखक

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय