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Updated: 21 अक्टूबर, 2018 11:54 AM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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भारत की राजधानी दिल्ली एक बार फिर कोहरे और धुंध की चादर ओढ़ने को तैयार है. बस फर्क सिर्फ इतना है कि ये चादर प्राकृतिक नहीं बल्कि मानव निर्मित है और यहां रहने वाले इंसानों के लिए बेहद नुकसानदेह. अभी पिछले हफ्ते ही नासा की तरफ से कुछ तस्वीरें आईं थीं जो बता रही थीं कि किस तरह से पंजाब और हरियाणा सरकार की लापरवाही और वहां के खेतों की आग दिल्ली को धुएं की चादर में लपेट देंगी. पंजाब के मुख्‍यमंत्री अमरिंदर सिंह और हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने कथित तौर पर अपनी-अपनी कोशिशें शुरू कर दी हैं. कहा जा रहा है कि इस बार पराली कम जलाई जाएगी, लेकिन नासा द्वारा जारी की गई तस्वीरें कुछ और ही कहानी कह रही हैं. 11 अक्टूबर से लेकर 17 अक्टूबर के बीच सिर्फ सात ही दिन में दिल्ली की आबोहवा साफ से दूषित हो गई और इन तस्वीरों में दिख रहा है कि कैसे पंजाब और हरियाणा के किसान इसके लिए जिम्मेदार हैं. 

पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार भले ही इसे जलाने के मामले 75% से 40% तक कम हों, लेकिन इसके बाद भी चैन की सांस नहीं ली जा सकती है. क्योंकि सितंबर में पंजाब और हरियाणा सहित पूरे भारत में बारिश हुई थी इसलिए किसानों की कटाई का समय भी बदल गया और ऐसा भी है कि अभी कई किसानों की फसल की कटाई ही नहीं हुई है. आशंका जताई जा रही है कि अगले 10 दिन में और समस्या बढ़ सकती है.

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दिल्ली और प्रदूषण का सिलसिला कुछ नया नहीं है और साल दर साल दिल्ली में प्रदूषण से परेशान लोगों की संख्या के साथ-साथ प्रदूषण से होने वाली बीमारियों की संख्या भी बढ़ने लगी है. WHO द्वारा किए गए दुनिया के 1600 बड़े शहरों के सर्वे में से दिल्ली प्रदूषण के मामले में सबसे खराब शहर है. भारत में पांचवा सबसे बड़ा मारक प्रदूषण ही है जिसके कारण भारत में हर साल 15 लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हो रही है. दुनिया में सबसे ज्यादा संख्या में प्रदूषण के कारण भारत में ही लोग मरते हैं और फेफड़ों, हवा और श्वास संबंधित रोगों की संख्या भी दिल्ली में सबसे ज्यादा है. दिल्ली में रहने वाले 22 लाख लोगों के फेफड़े खराब हैं और इसका कारण सिर्फ प्रदूषण ही है.

दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में टॉप 15 में से 14 भारत के हैं. इनमें कानपुर पहले नंबर पर है और दिल्ली भी पांचवे नंबर पर है. अगर सिर्फ वायु प्रदूषण की बात करें तो पूरे भारत को छोड़िए पूरे विश्व में ऐसे एक दो शहर ही हैं जो दिल्ली से मुकाबला कर पाएं. आखिर हमारा दिल्ली किसी से कम तो नहीं. बाकी मामलों में भले ही न आगे बढ़े, लेकिन प्रदूषण तो नंबर वन है. पिछले साल जब यहां स्मॉग हुआ था तो PM 2.5 की संख्या इतनी बढ़ गई थी कि यहां सांस लेना तक मुश्किल हो गया था. अब वही मामला फिर से दोहराया जाएगा.

दिल्ली में 15 अक्टूबर से इमर्जेंसी प्लान लागू कर दिया गया है. दिल्ली में बदरपुर पावर प्लांट बंद कर दिया गया है और धुंध भी गहराने लगी है. इसके अहम कारण यानी पराली जलाने को लेकर किसानों को नोटिस तो दिया गया था, लेकिन इसका कोई असर नहीं दिख रहा है और पंजाब और हरियाणा के किसान अभी भी खेत को अगली फसल के लिए तैयार करने के लिए पराली जलाना शुरू कर चुके हैं.

दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) सोमवार 15 अक्टूबर को ही 246 यानी बेहद खराब स्थिती में पहुंच गया. AQI अगर 0 से 50 होता है तभी ये अच्छा होता है यानी Good क्वालिटी, इसके 51 से 100 होने पर भी खतरा ज्यादा नहीं होता इसे Satisfactory क्वालिटी में रखा जाता है, लेकिन फिर भी ऐसे समय में बचना चाहिए. 101-200 के बीच खतरा होता है इसे Poor क्वालिटी में रखा जाता है, 201-300 के बीच खतरा बढ़ जाता है इसे Severe क्वालिटी में रखा जाता है और 301 से ऊपर हवा की स्थिती बेहद खराब हो जाती है इसके बाद Dangerous और Hazardeous क्वालिटी आती है.

अमेरिकी स्पेस संस्था नासा भारत में पराली जलाने वाली फोटोज हर बार जारी करती है और इस साल भी ऐसा ही हुआ है. नासा की वेबसाइट में साफ फोटोज देखी जा सकती हैं कि पिछले पांच दिनों में दिल्ली की हवा किस तरह बदल गई है.

11 अक्टूबर को दिल्ली के आस-पास के इलाकों में बादल थे और उन्हें देखा जा सकता है, लेकिन पराली जलाने की घटनाएं हर दिन बढ़ी हैं और दिल्ली और आस-पास की हवा में बदलाव साफ देखा जा सकता है.

अगर 10 अक्टूबर 2018 और 15 अक्टूबर 2018 के बीच ही अंतर को देखा जाए तो ये दो तस्वीरें साफ कर देंगी कि समस्या कहां है.

ये तस्वीर नासा की वेबसाइट से ली गई है.ये तस्वीर नासा की वेबसाइट से ली गई है.

ये तस्वीर नासा की वेबसाइट से ली गई है.ये तस्वीर नासा की वेबसाइट से ली गई है. साफ तौर पर पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं और ये दिल्ली की हवा पर असर डालेंगी.

नासा, खेत, आग, भूंसी, प्रदूषण, दिल्लीये सबसे ताजा तस्वीर है जो नासा की वेबसाइट पर देखी जा सकती है. पराली की संख्या कितनी बढ़ गई है ये देखा जा सकता है. 

पिछले साल और इस साल में दिल्ली की हवा में क्या आया बदलाव ये यहां पढ़ें-

जिस तरह से पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसान पराली जलाते हैं उससे ऐसा नहीं है कि सिर्फ दिल्ली में ही समस्या बढ़ रही हो. IIM स्टूडेंट्स की एक रिसर्च बताती है कि दिल्ली के अलावा धीरे-धीरे मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों की हवा भी दूषित हो रही है और जितना आम इस समस्या को समझा जा रहा है उतनी ये है नहीं.

नासा की वेबसाइट जहां से तस्वीरें ली गई हैं-

पराली जलाने को लेकर किसानों का ये कहना है कि ये हमारे लिए बहुत ही आरामदायक और सस्ता तरीका है. यकीनन किसानों को सूखी फसलों में आग लगाने के लिए सिर्फ एक माचिस की तीली ही चाहिए और इससे सस्ता तरीका शायद सरकार नहीं दे पाए.

पंजाब सरकार ने एक-एक कर ट्विटर पर वीडियो डाले हैं जिसमें सरकार के अधिकारी पंजाब के किसानों से आग्रह कर रहे हैं कि वो पराली न जलाएं.

इस तरह के वीडियो ट्विटर पर खूब शेयर किए जा रहे हैं, लेकिन अगर कहा जाए कि इनसे कोई समस्या का हल मिला है तो वो सही नहीं होगा. किसान जो शायद वैसे भी सोशल मीडिया का हिस्सा नहीं हैं उनतक अगर सरकार को पहुंचना है तो नजर बनाए रखनी होगी न कि इस तरह से सोशल मीडिया पर सिर्फ वीडियो डालकर काम चलेगा.

किसी भी स्थिती में किसानों को ऐसा तरीका देना होगा जिससे उन्हें पराली न जलानी पड़े. अगर ऐसा नहीं होता तो यकीनन समस्या बढ़ेगी और ये सिर्फ दिल्ली की नहीं बल्कि पूरे भारत की समस्या बन सकती है.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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