दादरी का शर्म और महात्मा के सपनों की नाकामी
दादरी की घटना दिखाती है कि यह चुप रहने का समय नहीं है. जो हुआ वह निश्चित तौर पर दोबारा भी हो सकता है, जब तक कि हम लोग तुरंत कार्रवाई की मांग करते हुए एकजुट नहीं होते हैं....
-
Total Shares
इस बात को लगभग एक हफ्ते हो गए हैं जब उत्तर प्रदेश के दादरी में एक व्यक्ति (पति और पिता) की निर्मम हत्या कर दी गई. उसके परिवार के सामने ही उसे घसीटकर घर से बाहर लाया गया, और भीड़ ने पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी. उसका बेटा गंभीर हालत में है, डॉक्टर उसे बचाने के लिए अभी भी संघर्ष कर रहे हैं. उसकी पत्नी और बेटी शायद कभी भी इस घटना से उबर नहीं पाएंगी.
कारणः यह कि उसके बारे में अफवाह थी कि उसने बीफ को रखा/या खाया था. इस बात को दोहराता हूं. उसके बारे में अफवाह थी कि उसने बीफ को रखा/या खाया था.
कहा जा सकता है कि जिन्होंने ये अपराध किया वे पागल हैं. उनके पास सोचने की कोई क्षमता नहीं है. उनके जीवन का कोई उद्देश्य नहीं है और इसलिए वे सबसे कमजोर कारणों से चिपके हुए हैं. या फिर ज्यादा स्पष्ट तरीके से कहें तो अपने खुद के अस्तित्व को अर्थपूर्ण साबित करने के लिए यह सबसे तुच्छ बहाना है.
उन्हें सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए ताकि यह संदेश दिया जा सके कि इस तरह के बर्बरतापूर्ण न्याय की हमारे देश में अनुमति नहीं दी जाएगी.
लेकिन क्या ऐसा होगा?
घटना के बाद राजनीतिक नेताओं के अंसवेदनशील बयान आ रहे हैं, कुछ लोग पीड़ित के खाने की आदत को दोषी ठहरा रहे हैं. दूसरे लोग आरोपी को पनाह दे रहे हैं. आने वाले समय में इस घटना को क्या रंग देना है उसका खाका खींचने की शुरुआत पहले ही हो चुकी है. हम यह पहले भी देख चुके हैं. क्या हम इसे फिर से देखना चाहते हैं?
पुलिस हरकत में आई और मृतक पीड़ित के घर से मीट लेकर उसे फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया!!! क्या यह कहने की जरूरत है कि यह कहानी को मोड़ने की शुरुआत है.
इस पोस्ट का मुद्दा यह है कि यह घटना भी दिनचर्या बन जाएगी. शांति प्रिय जनता की खामोशी. यह चुप रहने का समय नहीं है. जो हुआ वह निश्चित तौर पर दोबारा भी हो सकता है, जब तक कि हम लोग तुरंत कार्रवाई की मांग करते हुए एकजुट नहीं होते हैं. यह उस सर्कस में तब्दील होने वाला है जहां सारे संदिग्ध अपना कद बढ़ाने के लिए एक दूसरे से होड़ लगाएंगे.
अगर न्याय त्वरित और सटीक न हों तो उसके गंभीर परिणाम होते हैं.
इस सप्ताह एक और गांधी जयंती बीत गई. मैं यूपी के एक परिवार को जानता हूं जो इस बात से हैरान है कि उन सिद्धांतों का क्या हुआ जिसके आधार पर उन्होंने (गांधी) इस देश का निर्माण किया.
भारतीय ही भारतीयों को मार रहे हैं. इसका सामना कीजिए..उनकी स्मृतियों को पूरी तरह से अपमानित किया गया है. दादरी जैसी घटनाओं को कभी भूलने या दोबारा होने की इजाजत नहीं देनी है. जय हिंद.
आपकी राय