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Updated: 11 नवम्बर, 2016 07:56 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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'मेरिटल रेप' रेप नहीं है ! मैरिटल के आगे रेप क्यों लगा दिया?? अरे..मैरिटल का मतलब तो वैवाहिक, दांपत्य और शादी होता है न, तो फिर ये रेप कैसे हुआ. रेप न हो इसलिए ही तो शादी कराते हैं, फिर शादी के बाद जो भी हो वो सब पवित्र होता है...' शायद कुछ लोग ऐसा ही सोचते हैं. ये बाते अगर मर्द कहें तो भी समझ आती हैं, लेकिन जब ऐसी सोच किसी महिला की हो तो हैरानी होती है.

आरएसएस की महिला शाखा की महासचिव सीता आनंदम की बातों ने तो मैरिटल रेप के खिलाफ उठने वाली तमाम आवाजों और पीड़ित महिलाओं के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है. इनका कहना है कि- 'समाज में मैरिटल रेप जैसी कोई चीज नहीं होती. शादी तो पवित्र बंधन है. एक साथ रहते हुए सुख का अनुभव करना चाहिए. अगर हम सब इस सुख का सार समझ लें तो परेशानियां खत्म हो जाएंगी और सबकुछ अच्छा होता जाएगा.'

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 आरएसएस की महिला शाखा की महासचिव सीता आनंदम

सरकार ने भी यही कहते हुए मैरिटल रेप को कानूनन अपराध बनाने से इनकार कर दिया था कि- भारत में मैरिटल रेप की कोई अवधारणा लागू नहीं की जा सकती, क्योंकि यहां विवाह को पवित्र माना जाता है.

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अब इनकी मानें तो इंसान की जिंदगी में शादी पवित्रता में लिपटा हुआ वो कार्यक्रम है जिसके बाद पतियों को खुशी खुशी पत्नियों के साथ कभी भी शारीरिक संबंध बनाने का पूरा अधिकार मिल जाता है. एक बात और, इस पवित्र रिश्ते में पत्नी की इच्छा या सहमति का कोई जिक्र नहीं किया जाता. यानि पति, पत्नी की इच्छा के विरुद्ध, जबरदस्ती भी संबंध बनाने का हकदार है. शादी के बाद तो वो संस्कारी बन जाता है, वो रेप नहीं उसका अधिकार है. पर संविधान ये कहता है कि किसी भी स्त्री के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध संबंध बनाना बलात्कार होता है. लेकिन विवाह के बाद किया जाने वाला बलात्कार, बलात्कार होता ही नहीं...क्या बात है.

उन्होंने महिलाओं संबधी कई और भी मुद्दों पर बात की, उनके मुताबिक ''महिलाओं से जुड़ी सबसे बड़ी समस्याएं हैं उनकी सुरक्षा, दहेज, शोषण, घूंघट और कन्या भ्रूण हत्या. घर में शराब पीने वाले पुरुष भी चिंता का विषय हैं. आदमी घरों में शराब पीकर आते हैं और वो घर की जिम्मेदारी नहीं उठा सकते, जिससे सारी जिम्मेदारियां महिलाओं पर आ जाती हैं. इसलिए पूरे देश में शराब पर बैन लगाना चाहिए. हम समाज में संस्कारों का प्रचार करने के लिए काम कर रहे हैं”

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आरएसएस की महिला शाखा “राष्ट्र सेविका समिति” अपना स्थापना दिवस मना रही थी. इस समिति ने 80 साल पूरे कर लिए. अब तक तो आरएसएस की विचारधारा से परिचित थे ही, अब इनकी महिला शाखा को भी जान लिया. आश्चर्य है कि संस्कारों का झण्डा बुलंद किए हुए इन लोगों को महिलाओं से जुड़ी और कोई परेशानी, परेशानी लगती ही नहीं है, वही घिसी पिटी लाइनें बोलकर इन्होंने महिला मंडल की जय जय कर दी बस. अरे मैडम जी, अब तो देश भी बदल रहा है, आप कब बदलोगे??

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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