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Updated: 14 फरवरी, 2018 03:22 PM
अबयज़ खान
अबयज़ खान
  @abyaz.khan
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प्यार का कोई इतिहास तो नहीं है, लेकिन इसका दर्द हमेशा एक जैसा ही है. शीरी-फरहाद का इश्क़ हो या रोमियो-जूलियट की कहानी. लैला-मजनूं का दर्द हो या सलीम-अनारकली के किस्से, इश्क़ ने किसी दौर में भी झुकना नहीं सीखा. नवंबर की गुलाबी सर्दी हो या बसन्त का इश्किया मौसम हो, इश्क़ के परिंदे प्यार की तलाश में शाखों पर बसेरा खोजना शुरु कर देते हैं. नज़र से नज़र मिली और दिल दीवाना हुआ जाता है. इश्क़ की कैफियत ही ऐसी है कि ये हर किसी को दीवाना बना देता है, फिर न उम्र की कोई सीमा होती है, न मजहब की दीवारें और न जात का कोई बन्धन.

प्यार, वैलेंटाइन डे, समाज, कपलप्यार के बारे में मशहूर है कि ये कभी भी किसी से भी हो सकता है

तमाम बन्दिशों को तोड़ते हुए इश्क़ कब बेड़ियों से निकलकर आज़ाद हो जाता है, पता ही नहीं चलता. जब आपको प्यार का एहसास होता है, तब दिल में एक अजीब से हलचल होती है. कभी-कभी सपनों में किसी की छुअन महसूस सी होती है. कभी लगता है कि दुनिया में इसके सिवा कुछ भी नहीं है, दुनिया में सबसे हसीन अगर कुछ है, तो सिर्फ़ आपका महबूब और आपका प्यार है. इश्क़ के सामने फिर ज़माने की परवाह किसे होती है. आपका प्यार आपसे जितना दूर जाता है, उससे अपनेपन का एहसास और भी बढ़ जाता है.

बदलते मौसम के साथ पल-पल प्यार के रंग भी बदलते हैं. दुनिया और सपनीली हो जाती है. मन में कुछ-कुछ होता है, कई बार लगता है कि ये ज़मीन और आसमान एक क्यों नहीं हो जाते, कई बार दिल चाहता है कि सारा जहान झुककर आपके कदमों में आ गिरे. इश्क का रोग कब किसे लग जाए, किसी को नहीं पता. नज़रों ने नज़रों से गुजारिश की और दिल की रज़ामन्दी के साथ ही प्यार परवान चढ़ जाता है. ये दिल कब किस पर मचल जाए, कौन जानता है.

प्यार की फुलवारी में खिलने वाले इश्किया फूलों की खुशबू आपको धीरे धीरे मदहोश करने लगती है. आपकी जिन्दगी में अचानक से ख्वाबों का बसेरा हो जाता है. रात के तारे, चांदनी रातें, लंबी-लंबी बातें, बेवजह के किस्से, कॉफ़ी हाऊस की शामें, पुराने गाने, उसके हाथ का खाना, साथ में सिनेमा, उसके हर काम में हाथ बंटाना, खुद से ज्यादा उसकी फिक्र, देर रात सोना, सुबह जाग जाना, दोस्तों को उसके नाम से चिढ़ाना.. एकदम से कितना कुछ बदल जाता है. खुशियां इश्क़ के रास्ते आपकी जिन्दगी में आहिस्ता से दाखिल हो जाती हैं.

प्यार, वैलेंटाइन डे, समाज, कपलप्यार एक ऐसी अनुभूति है जहां व्यक्ति को सब कुछ अच्छा लगता है

मगर ये प्यार भी हर किसी से यूं ही नहीं हो जाता. इस कम्बख्त इश्क की पहचान भी बड़ी अजीब होती, अगर आपको किसी से प्यार हो जाए, तो आप कुछ-कुछ बहक से जाते हैं. दिल में कुछ-कुछ होने लगता है. रातें करवटें बदल-बदल कर कटती हैं, जब ज़िंदगी आपको बहुत खूबसूरत लगने लगती है. उर्दू समझ में न आने के बावजूद आपको गज़ल बहुत अच्छी लगती हो. आपका हर रास्ता महबूब की गली से गुज़रता हो. दिन में बार-बार उसका फोन मिलाकर काट देते हों, तो समझिये आपको प्यार हो गया है. आप भी इश्क के उस चक्कर में पड़ गये हैं, जिसमें अच्छे-अच्छे घनचक्कर हो जाते हैं.

इश्क़ की निशानियाँ जितनी बढ़ती हैं, बेचैनियां आपको अपनी गिरफ्त में लेती जाती हैं. उसकी महक से सारा जहान महकने लगता है. उसके आने से ही हवाएं मदमस्त होकर चलने लगती हैं. उसके आने की ख़बर से घर महकने लगता है, ज़िंदगी फूल की पत्तियों की तरह और खूबसूरत हो जाती है. दिन पहले से ज्यादा बड़े हो जाते हैं. इंतज़ार और भी बेहतरीन लगने लगता है.  वक्त की जैसे इफ़रात हो जाती है. तमाम उम्र भी कम लगने लगती है. उसके आने की ख़बर से ही दिल बेकरार हो जाता है, उसके जाने की ख़बर से बेचैनियां बढ़ जाती हैं.

जनाब इतना ही काफ़ी नहीं है, अभी तो इश्क की पहचान बहुत सी और भी हैं, जो आपको दीवाना साबित कर सकती है. जब कभी महबूब का नाम सामने आये, और आपका चेहरा गुलाबी पड़ जाए, तो समझिये आपको इश्किया बुखार हो गया है. उसकी हर पसंद आपकी पसंद बन जाए, उसके भगवान आपके खुदा बन जाएं, तो समझिये ये दिल आवारा हो चुका है. जब उसकी गली से गुज़रने पर आपका दिल धड़कने लगे, उससे सच बोलने पर आपकी ज़ुबान लरज़ने लगे, तो समझ लीजिए कि आपको प्रेम रोग हो गया है. तभी तो दुनिया कहती है. हां यही प्यार है...

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अबयज़ खान अबयज़ खान @abyaz.khan

लेखक पत्रकार हैं

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