इंसानों को मारने के लिए 3 शेरों को आजीवन कारावास की सजा, असली दोषी कौन?
क्या आपने कभी शेरों को आजीवन कारावास की सजा दिए जाने का मामला सुना है, गुजरात में तीन शेरों को मिली इंसानों को मारने के लिए आजीवन कारावास की सजा, जानिए वजह.
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आपने किसी की हत्या के मामले में किसी आदमी को आजीवन कारावास की सजा दिए जाने के बहुत से मामले सुने होंगे. लेकिन क्या आपने कभी किसी इंसान की हत्या का दोषी पाए जाने पर शेरों को आजीवन कारावास की सजा दिए जाने की बात सुनी है?
चौंकिए नहीं, ये बिल्कुल सच है, गुजरात के गिर नेशनल पार्क के तीन शेरों को तीन इंसानों को मारने का दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. इन इंसानों की हत्या के मामले में 17 शेर शक के दायरे में थे लेकिन जांच के बाद तीन शेरों (शेर और दो शेरनियां) को दोषी पाया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. लेकिन अगर आप गहराई से पूरे मामले को देखेंगे तो आपको नजर आएगा कि इंसानों को मारे जाने के असली दोषी शायद शेर नहीं बल्कि खुद इंसान ही हैं. जानिए क्या है पूरा मामला.
इंसानों को मारने वाले तीन शेरों को मिली आजीवन कारावास की सजाः
गुजरात स्थित गिर नेशनल पार्क एशियाई शेरों के दुनिया के सबसे बड़े ठिकानों में से एक है. यहां के तीन शेरों ने गिर के पास स्थित गांवों के तीन इंसानों को अपना निवाला बना लिया. इनका सबसे आखिरी शिकार बना 14 साल का एक लड़का, जो रात में अपने बिस्तर गायब हो गया. यह इस साल अप्रैल से लड़का इन आदमखोर शेरों का निवाला बनने वाला तीसरा इंसान था. इसके बाद गांववालों के विरोध के बाद इन आदमखोरों की तलाश शुरू हई. शक की सूई 17 शेरों पर घूमी और सबकी जांच की गई.
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दोषी शेर की पहचान के लिए वैज्ञानिक जांच पद्धति अपनाई गई और जहां पर शिकार हुआ था, वहां शेरों के पदचिन्ह लिए गए. उन पदचिन्हों का मिलान निगरानी में रखे गए शेरों से की गई. साथ ही सात दिनों तक इन शेरों के मल की भी जांच की गई.
इन शेरों के पद्चिन्हों और उनके जबड़ों की जांच के बाद दोषी शेरों की पहचान हो गई. दरअसल आदमखोर शेर का व्यवहार बहुत ही आक्रामक हो जाता है. इन शेरों के मल में भी के मानव अवशेष मिले. माना जा रहा है कि शेर ने ही इंसानों पर हमला करके उन्हें खाया जबकि दोनों शेरनियों ने उनके शरीर के बाकी बचे हिस्सों को खाया.
गिर नेशनल पार्क में 270 शेरों की रहने की क्षमता है लेकिन वहां 500 से ज्यादा शेर हो गए हैं |
दोषी शेरों की पहचान होने के बाद बाकी के शेरों को छोड़ दिया गया जबकि इन तीनों शेरों के व्यवहार को खतरनाक मानते हुए इन्हें आजीवन कैद में रखा जाएगा. दरअसल इन्हें जेल नहीं भेजा जाएगा, बल्कि इन्हें पिंजड़ों में कैद करके रखा जाएगा. शेर को जूनागढ़ स्थित सक्करबाग चिड़ियाघर के पिंजड़े में उम्र भर कैद रखा जाएगा. इस चिड़ियाघर में पहले से ही ऐसे 17 आदमखोर शेर बंद हैं, जबकि दोनों शेरनियों को वन विभाग के रेस्क्यू सेंटर के बाड़े में कैद रखा जाएगा.
वन विभाग के नियमों के मुताबिक अगर जंगल में बसने वाला शेर इंसान का शिकार करता है तो उससे जंगल में रहने का अधिकार छीन लिया जाता है.
राज्य सरकार का रवैया भी हैरान करने वालाः
शेरों के आदमखोर बनने की बड़ी वजह गिर नेशनल पार्क में उनकी बढ़ती हुई आबादी और उनके लिए शिकार की कमी होना है. विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ते हुए अवैध खनन और जंगलों के कटते चले जाने से इन शेरों के लिए शिकार की समस्या पैदा हो गई है. गिर नेशनल पार्क में 270 शेरों को रखने की क्षमता है लेकिन वर्तमान में इनकी संख्या बढ़कर 523 हो गई है. यानी करीब आधे से ज्यादा शेर इस अभयारण्य के बाहर रह रहे हैं. यही शेर शिकार के अभाव में पास के स्थित गांवों में जाते हैं और इंसानों पर हमला करते हैं.
इसी को देखते हुए 2013 में सुप्रीम कोर्ट भी गुजरात सरकार को किसी भी बीमारी या दुर्घटना से बचने के लिए इन शेरों को दूसरे राज्यों में स्थानांतरित किए जाने का आदेश दे चुकी है, लेकिन गुजरात सरकार का कहना है कि वह ऐसा इसलिए नहीं कर सकती क्योंकि उसे शेरों की सुरक्षा के मामले में बाकी के राज्यों पर भरोसा नहीं है.
तो अब आप समझ ही गए होंगे कि इंसानों को मारने के असली दोषी दरअसल इंसान ही खुद हैं!
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