मेरठ के इस SHO ने जो किया उसके लिए सैल्यूट तो बनता है
इलाके से क्राइम रोकने के लिए योगी की पुलिस के इस अफसर ने जो किया वैसी चीजें तो शायद हमनें फिल्मों में भी न देखी हों. ऐसे अफसरों के काम करने के तरीके पर तो वाकई एक सैल्यूट बनता है.
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क्या कभी आपने ऐसा पुलिस वाला देखा है जिसने खुद के ही खिलाफ मामला तब दर्ज किया हो जब उसने अपने को अपराध रोकने में असमर्थ पाया हो. जिसे ये बात फ़िल्मी लग रही हो उसे मेरठ के एक एसएचओ से मिलना चाहिए. एसएचओ साहब इलाके में गोकशी रोकने में नाकाम थे उन्होंने खुद के ही खिलाफ मामला दर्ज कर लिया.
देश का चाहे आम हो या फिर खास नागरिक प्रायः ये देखा गया है कि लोग पुलिस के पास जाने से डरते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि लोगों के दिल में डर बसा है कि कहीं लेने का देने न पड़ जाएं. ये परिदृश्य हमारे सामने बेहद आम है कि एक्शन की बात लेकर जब फरियादी पुलिस के पास जाता है तो पुलिस अपनी नाकामी का ठीकरा फरियादी पर मढ़ते हुए उल्टा उसे ही फंसा देती है. दिल्ली, यूपी, बिहार, बंगाल, कर्नाटक राज्य कोई भी हो मगर जनता के सामने जो पुलिस की इमेज है वो कुछ ऐसी है जो सुशासन के दावों पर बट्टा लगाती है.
यूपी स्थित मेरठ के इस पुलिस वाले ने जो किया उसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो
शायद ये पुलिस की खराब इमेज ही थी जिसने मेरठ के खरखौदा थाने के एसएचओ को कुछ कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर किया. खरखौदा थाने के एसएचओ राजेंद्र त्यागी ने अपने कार्य में लापरवाही मानते हुए थाने की जनरल डायरी (जीडी) में खुद और अपने साथियों के खिलाफ तस्करा दर्ज किया है. आपको बताते चलें कि राजेंद्र त्यागी ने जब इस थाने का चार्ज लिया था तो तभी उन्होंने कुछ ऐसे नियम बना दिए थे जिसमें पुलिसवालों की जिम्मेदारी तय की गयी थी.
जी हां ये बिल्कुल सच है. बात एसएचओ के नियमों की चल रही है तो आपको बताते चलें कि एसएचओ राजेंद्र त्यागी ने नियम बनाया था कि यदि क्षेत्र में कोई भी चोरी होती है तो उसकी जिम्मेदारी बीट कॉन्सटेबल की होगी. अगर लूट होती है तो इसकी जिम्मेदारी इलाके के चौकी इंचार्ज (दारोगा) की होगी और अगर डकैती, गोकशी या हत्या जैसे जघन्य अपराध होते हैं तो इसकी जिम्मेदारी बीट कॉन्सटेबल के साथ-साथ चौकी इंचार्ज और खुद थानाध्यक्ष यानी एसएचओ की होगी.
गौरतलब है कि त्यागी ने नियम बना रखा था कि किसी भी मामले में विभाग से जुड़े जिस भी व्यक्ति का दोष होगा उसके खिलाफ थाने के विशेष रिकॉर्ड जीडी में तस्करा दर्ज किया जाएगा. एसएचओ त्यागी अपनी कही बात के कितने पक्के हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके नियम के अनुसार यदि विभाग के किसी भी व्यक्ति ने अपनी लापरवाही को दोहराया तो उसकी शिकायत आला अधिकारियों तक की जाएगी भले ही वह खुद एसएचओ ही क्यों ना हो.
अपनी काम की स्टाइल पर एसएचओ राजेन्द्र त्यागी के तर्क अपने आप में दिलचस्प हैं. एसएचओ राजेन्द्र त्यागी का कहना है कि जब से उन्होंने थाने का भार अपने कन्धों पर लिया तब से उनके क्षेत्र में 6 छोटी-छोटी चोरियां हो चुकी हैं और इसपर एक्शन लेते हुए उन्होंने 6 कॉन्सेटबलों के खिलाफ जीडी में तस्करा दर्ज किया. लेकिन, बीते दिनों ही उनके क्षेत्र में गोकशी हुई और उनके द्वारा तय किए गए नियमानुसार इस मामले में वो खुद दोषी हैं.
इस पूरी खबर को जानकर और इंस्पेक्टर राजेंद्र त्यागी का स्टाइल देखकर ये कहना गलत नहीं है कि ये और इनका तरीका उन तमाम पुलिस वालों के लिए एक नजीर है जो अब तक अपनी खराब छवि के कारण लगातार लोगों की आलोचना का शिकार हो रहे हैं. इस पूरे मामले को देखकर हम बस ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि अगर देश के आधे बल्कि एक चौथाई पुलिस वाले ऐसे हो जाएं तो निश्चित तौर पर देश के हर एक कोने से अपराध समाप्त हो जाएगा और लोग सुकून से रह सकेंगे. चूंकि एसएचओ त्यागी इस कहानी के हीरो हैं तो उनके लिए बस इतना ही कि इन्होंने जो किया है उसके लिए इनके सम्मान में सैल्यूट के लिए हाथ अपने आप उठ जाएगा.
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