Unnao rape कैपिटल क्यों है इसका 'जवाब' पुलिस ने अपने अंदाज में दिया!
ज्यादातर आरोपी लोग रसूखवाले हैं क्योंकि उन्हें पता है कि आगे चलकर कोई समस्या आ भी गई तो पुलिस को मैनेज करने के लिए किसे फोन मिलाना है. असल में अपराध कर ही वही रहे हैं जिन्हें बच निकलने का रस्ता पता है.
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मैंने कुछ ही दिन पहले कहा था कि देश में रेप के मामले अब इतने ज्यादा होते हैं कि अब लोग इन खबरों से चौंकते नहीं हैं, जब तक कि पीड़िता के साथ कुछ बहुत बुरा न हुआ हो. रेप और रेप की गंभीरता पर लोगों की संवेदनशीलता का जिक्र भी किया था कि हर एक रेप के साथ समाज थोड़ा संवेदनहीन हो जाता है. ये वास्तव में खतरनाक है. अफसोस की बात है कि इस समाज में पुलिस भी आती है, और रेप पर अगर पुलिस संवेदनहीन हो जाए तो ये सबसे ज्यादा खतरनाक है.
उन्नाव पीड़िता (Unnao rape victim) के साथ जब रेप हुआ तो FIR पुलिस ने दर्ज नहीं की थी. कोई सुनवाई न होने पर मामले की शिकायत अदालत में की गई, तब कार्रवाई हुई. इसके बाद आरोपी पीड़िता और उसके परिवार को केस वापस लेने के लिए परेशान कर रहे थे. Unnao police ने तब भी नहीं सुनी. और आखिरकार उस लड़की को जिंदा जला दिया गया.
रेप के आंकड़े हैरान करते हैं
उन्नाव (Unnao) में रेप स्थिति और रेप के प्रति पुलिस की संजीदगी कितनी है वो आप रेप का रिपोर्ट कार्ड देखकर समझ सकते हैं. जनवरी 2019 से नवंबर 2019 तक यानी 11 महीनों में सिर्फ उन्नाव में रेप (unnao rape) के 86 मामले दर्ज करवाए गए. यौन उत्पीड़न के 185. यानी अगर उन्नाव को उत्तर प्रदेश की 'रेप कैपिटल' कहा जाए तो गलत नहीं होगा. हालांकि अब पुलिस का कहना है कि ये आंकड़ा गलत है 11 महीनों में रेप के केवल 51 केस दर्ज हुए हैं. 51 भी हैं तो क्या ये शर्मिंदगी की बात नहीं है?
उन्नाव पुलिस की सक्रीयता की पोल खोल रहा है रेप का डाटा
पुलिस का रवैया है असली वजह
ये बात वाकई हैरान करने वाली है. उस शहर में महिलाओं की हालत क्या होगी जहां यौनशोषण और रेप के इतने मामले हैं. क्या वहां law and order काम नहीं करता? तो जवाब है नहीं. आप उन्नाव की पुलिस को भ्रष्ट कह सकते हैं. रेप के मामले में उन्नाव पुलिस क्या सोचती है वो अगर उन्नाव मामले से नहीं समझे तो खुद पुलिस के कहे वाक्य समझा देंगे.
जिस गांव में उन्नाव पीड़िता को आरोपियों ने जलाया था वो गांव है हिंदूपुर. यहां एक और महिला ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि पुलिस ने रेप के प्रयास की शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया. महिला के मुताबिक कुछ महीने पहले गांव के तीन लोगों ने उसके साथ रेप की कोशिश की. पुलिस से शिकायत करने गई तो कहा कि- 'बलात्कार का प्रयास हुआ है, हुआ तो नहीं है, होगा तो देख लेंगे.' महिला तीन महीने से थाने के चक्कर लगा रही है, लेकिन किसी ने भी मामले की सुनवाई नहीं की. पीड़िता ने कोर्ट में भी मामला दर्ज करवाया, लेकिन अब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है. अब उन्नाव पीड़िता की तरह इस महिला को भी जान से मारने की धमकी मिल रही हैं लेकिन नतीजा सिफर.
यानी पुलिस की नजर में रेप की कोशिश तो कोई मामला है ही नहीं. यहां तक कि रेप की रिपोर्ट भी पुलिस अपनी मर्जी पर ही दर्ज करेगी. तभी तो पीड़ित अदालत में शिकायत दर्ज करवाने को मजबूर हैं.
उन्नाव से ही दो आवाजें निकलीं जो इस तरफ इशारा करती हैं-
'उन्नाव में पुलिस का पूरी तरह से राजनीतिकरण हो चुका है. राजनीति के आकाओं की मर्जी के बिना वह एक इंच भी कदम आगे नहीं बढ़ाते हैं. यह बात अपराधियों का मनोबल बढ़ाती है.'
'यहां अपराध को राजनीति से बढ़ावा मिलता है. नेता अपराध को राजनीतिक दुश्मनी के लिए इस्तेमाल करते हैं और पुलिस उनकी कठपुतलियों की तरह काम करती है. एक भी ऐसा मामला नहीं है जिसमें पुलिस ने सख्त रवैया अपनाया हो.'
उन्नाव में गांववालों का कहना है कि शिकायत करने वालों की कोई सुनवाई नहीं होती
आपको बता दें कि उन्नाव से कई बड़े-बड़े नेता ताल्लुक रखते हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा के स्पीकर हृदयनारायण दीक्षित, यूपी के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक और बीजेपी सांसद साक्षी महाराज कुछ उदाहरण हैं. और कुलदीप सिंह सेंगर जो खुद रेप के आरोप में जेल में बंद हैं. सभी को पता है कि कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ FIR दर्ज करवाने में ही पीड़िता ने कितने लोगों को खोया.
पुलिस का रवैया ऐसा क्यों है इसकी एक वजह बड़ी साफ है. असल में रसूखदार लोगों का दबदबा इतना है पुलिस वहां कुछ नहीं करती. ज्यादातर रेप के मामलों में पीड़ित निजली जाति से होते हैं और शोषण करने वाले बड़े लोग. इन बड़े लोगों को डर इसलिए नहीं है क्योंकि पहचान प्रशासन तक है तो पुलिस उनकी जेब में है. दरअसल लोगों को पुलिस को अपने हिसाब से मैनेज करना आता है. ज्यादातर आरोपी लोग रसूखवाले हैं क्योंकि उन्हें पता है कि आगे चलकर कोई समस्या आ भी गई तो पुलिस को मैनेज करने के लिए किसे फोन मिलाना है. असल में अपराध कर ही वही रहे हैं जिन्हें बच निकलने का रस्ता पता है. इसीलिए अपराध बेलगाम हैं क्योंकि लगाम लगाने वाली पुलिस ऐसे ही खुश है.
'पुलिस का ये कहना कि रेप की कोशिश हुई है, रेप नहीं...रेप हो तब देखा जाएगा.' ये वाक्य लोगों को डराने के लिए काफी है. उन्नाव की वो बेटी जो आज मर चुकी है, न जाने उसने कितना कुछ झेला होगा. ये सब सुनकर तो यही लगता है कि उन्नाव पीड़िता को बचाया जा सकता था अगर पुलिस वाले संवेनशीलता दिखाते. फिलहाल तो इस केस से जुड़ी उन्नाव पुलिस के 7 कर्मचारियों को योगी सरकार ने निलंबित कर दिया है. लेकिन ये सिर्फ उन्नाव की ही बात होती तो सब्र किया जा सकता था. Hyderabad Unnao rape case के बाद भी बलात्कार की खबरों का आना बदस्तूर जारी है. और उसपर पुलिस की भूमिका सिर्फ निराश करती है.
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