दुल्हन ने डीएम साहब से कन्यादान में सड़क मांगी है, ये शिक्षा की देन है- बेटी पढ़ाइये!
अलीगढ़ की बेटी ने अपनी शादी से पहले अपने गांव की सड़क निर्माण कराने के लिए जो कोशिश की है वह सबक देती हुई घटना है. ऐसी जागरूक बेटी की कोशिश को सलाम कीजिए और शिक्षा का असर देखिये.
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आपने शादी की तैयारियां हज़ार देखी होंगी, दुल्हा या दुल्हन का तोहफा मांगना भी सुना होगा, शादी के सभी इंतज़ाम से लेकर खानपान की व्यवस्था संभालते लड़की पक्ष के लोगों का जायज़ा भी लिया होगा, लेकिन उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में जो हुआ वह अपने आप में ही अनोखा है और एक बेहतरीन सबक भी है. अलीगढ़ की एक 25 वर्षीय युवती जिसका नाम करिश्मा सिंह है औऱ वह बीएड पासआउट है, 27 फरवरी को उसकी बारात आनी है. शादी की तैयारियां जोरों पर है लेकिन उसके गांव में उसके घर तक जाने वाली सड़क पिछले 25 सालों से खस्ताहाल है. टूटी-फूटी सड़कों पर बारात आने की अपनी एक अलग समस्या थी जिसे वह चाहकर भी दूर नहीं कर सकती थी. ऐसे समय में करिश्मा खुद घऱ से निकली और शहर के सबसे बड़े अधिकारी जिलाधिकारी के पास पहुंच गईं, और डीएम साहब से अपनी समस्या का ज़िक्र करते हुए कन्यादान के रूप में गांव के सड़क निर्माण की मांग कर दी.
अलीगढ़ में कुछ इस अंदाज में डीएम के पास पहुंची युवती
अलीगढ़ के डीएम चंद्रभूषण सिंह ने जैसे ही करिश्मा की इस समस्या को सुना तो फौरन ही इलाके के बीडीओ और डीआरडीए कार्यालय में फोन करके आदेश दे दिया कि करिश्मा के गांव की मुख्य सड़क करिश्मा की शादी से पहले हर हाल में बना दी जाए अन्यथा संबंधित लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई की जाएगी. डीएम साहब के फौरन लिए गए एक्शन पर करिश्मा के चेहरे पर तो खुशी आ ही गई वहां मौजूद अन्य लोग भी चहक उठे.
डीएम साहब का गुणगान करने गले. वाकई ये बेहद अच्छी तस्वीर है अच्छी घटना है लेकिन इस घटना में कई मैसेज भी छिपे हैं जिनसे सीख ली जा सकती है.
1) महिलाओं का शिक्षित होना - करिश्मा ने अपने अधिकारों को जाना और शहर के बड़े अधिकारी तक अपनी समस्या को लेकर डायरेक्ट पहुंच गई. उसे अपने इस अधिकार की जानकारी सिर्फ और सिर्फ शिक्षा की वजह से थी अन्यथा वो तमाम लोगों की तरह परेशानियों से जूझती रहती और लोकल अधिकारियों की टालमटोली का शिकार होती रहती, अगर करिश्मा शिक्षित न होती तो वह कभी भी शहर के जिलाधिकारी के पास अपनी समस्या लेकर न पहुंच पाती. इसलिए महिलाओं का अपने अधिकारों को जानने के लिए शिक्षित होना बेहद ज़रूरी है.
2) जब नीचले स्तर से काम न बने तो ऊंचे स्तर पर खुद की समस्या का जल्द निस्तारण कराना - आपने अकसर देखा होगा या खुद भी महसूस किया होगा कि लोकल अधिकारी की वजह से आपका कार्य हमेशा टाल-मटोल होता रहता है. कार्य की लेटलतीफी और लोकल स्तर पर सुनवाई न होने पर ऊपर के अधिकारियों से संपर्क साधा जा सकता है.
करिश्मा के गांव की सड़क पिछले 25 सालों से खस्ताहाल पड़ी थी क्या इस दौरान लोकल अधिकारियों या लोकल ज़िम्मेदारों तक इस बात की खबर न हुई होगी. करिश्मा की खुद उम्र 25 साल की है, लेकिन वह अब सड़क का निर्माण अपनी काबिलियत और अपनी जानकारी के आधार पर करा रही है ये काबिलेतारीफ बात है.
3) शादी में समस्याओं से जूझने की जगह उस समस्या का समाधान निकालना - अगर आप गांव में रहते होंगे या जाते होंगे तो आपने देखा होगा कि शादी हो या अन्य कोई कार्यक्रम हो, उसमें अगर कोई बाधा होता है तो उसका टेम्परेरी समाधान खोजा जाता है. जुगाड़ बना कर जैसे तैसे उस समस्या को छिपा दिया जाता है लेकिन कार्यक्रम के बाद स्थिति फिर वैसी ही हो जाती है.
करिश्मा ने बता दिया कि अगर आप कोशिश करें तो उस समस्या का पूर्णत समाधान भी निकाला जा सकता है.
4) अपने बारातियों की फिक्र और उनको परेशानियों से दूर रखना - हर लड़की पक्ष हमेशा लड़का पक्ष के लिए जान निछावर करने तक को तैयार रहता है. बारातियों को कोई परेशानी न हो इस बात की चिंता लड़की पक्ष को हर वक्त सताती रहती है ऐसे में बारातियों को बारात आने में कोई परेशानी न हो इसकी गारंटी लेने के लिए खुद करिश्मा घर से निकली और उस समस्या का निपटारा करा कर लौंटी.
अब करिश्मा जैसी शिक्षित लड़की की वजह से गांव के अन्य लोगों को भी इसका फायदा हासिल होगा.
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