इंस्पेक्टर साहब! ज़रा बताइए, इन दोषी गधों पर 'थर्ड डिग्री' इस्तेमाल हुई या नहीं
लचर कानून व्यवस्था और अपराधियों पर नकेल कसने में नाकाम उत्तर प्रदेश पुलिस ने कुछ ऐसा हैरतंगेज कारनामा किया है जिसके चलते वो हंसी का पात्र बन गयी है और अब अपनी सफाई देती फिर रही है.
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गधे स्वाभाव से शांत और बड़े सज्जन होते हैं. इतिहास में ऐसा शायद ही देखने को मिला हो कि ये कभी उग्र हुए हों. मतलब ये इतने सज्जन हैं कि, चाहे आप काम दीजिये या न दीजिये इन्हें कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा और इनके चेहरे के हाव भाव एक जैसे रहेंगे. ये गधे की सज्जनता ही माना जाएगा कि इसने आज तक तमाम तरह के जुल्म ओ सितम से तंग आकर कभी चूं तक नहीं किया और अपना शोषण सहता रहा. कह सकते हैं कि अगर गधे की जगह कोई और जानवर होता तो विद्रोह हो जाता, हालात नियंत्रण से बाहर होते, सारे जानवर सड़क पर आ जाते, मामला थाना पुलिस, कोर्ट कचहरी तक पहुंच जाता.
फिर से एक बार उत्तर प्रदेश में गधे चर्चा का विषय बन गए हैं
उत्तर प्रदेश चुनाव वाले "गुजरात के गधों के बाद, गधा एक बार फिर चर्चा में. गधों के चर्चा में आने की वजह कुछ ऐसी है जिसको सुनकर हंसते-हंसते आपके पेट में बल पड़ जाएगा मगर आप ये सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि वाकई हमारा तंत्र और कानून व्यवस्था अपनी आखिरी सांसें गिन रही है. खबर योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश से है, जहां उत्तर प्रदेश की कर्मठ पुलिस द्वारा गधों को बंधक बनाया गया और 4 दिन तक कारागार में रखने के बाद उन्हें रिहा किया गया. जी हां आपको विचलित होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है. ये एक सच्ची खबर है. बात आगे होगी मगर पहले आपको खबर से अवगत करा दें.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक मामला उत्तर प्रदेश के जालौन जिले का है जहां पुलिस के द्वारा गधों के एक समूह को हिरासत में लिया गया था. प्राप्त जानकारी के अनुसार उरई में हिरासत में लिए गए इन गधों का दोष बस इतना था कि इन्होंने जिला जेल के बाहर लगे महंगे पेड़ों को नुकसान पहुंचाया था. जिसके बाद पुलिस महकमा इन्हें पकड़कर थाने में ले आया और इनपर जरूरी कार्यवाही की.
Jalaun(UP): Police release a herd of donkeys from Urai district jail. They had been detained for destroying plants outside jail and were released after four days pic.twitter.com/Wl5UJrU2tT
— ANI UP (@ANINewsUP) November 27, 2017
इस अहम धर पकड़ के विषय में उरई जिला जेल के हेड कॉन्स्टेबल आरके मिश्रा ने कहा कि, इन गधों ने जेल के बाहर रखे कई महंगे पेड़ों को नुकसान पहुंचाया था. मिश्रा के अनुसार डिपार्टमेंट द्वारा इन गधों के मालिक को चेतावनी दी गई थी कि वह इन्हें खुले में ना छोड़े लेकिन जब उसने ये बात नहीं सुनी तो पुलिस विभाग इन्हें पकड़कर थाने ले आया और इन्हें 4 दिन तक हिरासत में रखा.
खैर ये कोई पहला मामला नहीं है जब राज्य / देश की पुलिस द्वारा जानवरों को अभियुक्त बनाकर गिरफ्तार किया गया हो. देश विदेश में हम पूर्व में ऐसे कई मामले देख चुके हैं जहां न सिर्फ जानवरों को दोषी पाते हुए गिरफ्तार किया गया बल्कि उन्हें जेल तक में रखा गया. जानवरों और पुलिस के संबंधों पर चर्चा करें तो जानवरों को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस तक सुर्ख़ियों में आई थी जब पूर्व की समाजवादी सरकार में राज्य के कद्दावर नेताओं में शुमार आज़म खान की भैसें चोरी हुई थीं और पुलिस विभाग द्वारा तत्काल उचित कार्यवाही करते हुए उन्हें ढूंढ लिया गया था.
गधों को पकड़कर उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपनी लगन का परिचय दिया है
बहरहाल, इस खबर के बाद ये कहना हमारे लिए अतिश्योक्ति न होगा कि समूचे प्रदेश में लचर कानून व्यवस्था की जिंदा मिसाल बन चुकी उत्तर प्रदेश की पुलिस ने एक ऐतिहासिक काम किया है और इस काम के लिए आने वाली 26 जनवरी को उन्हें प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति द्वारा प्रशस्ति पत्र और मेडल देना चाहिए ताकि इमानदारी से काम करने के प्रति उनका समर्पण बना रहे और अन्य राज्यों की पुलिस के सामने ये किस्सा कर्तव्य परायणता की मिसाल बने.
अंत में बस इतना ही कि अगर गधे बोल पाते तो मैं उनसे जरूर पूछता कि पुलिस ने खाली उन्हें जेल में रखा या 4 दिनों तक लगातार इस पेड़ खाने वाले गंभीर अपराध के लिए उनपर "थर्ड डिग्री' का इस्तेमाल किया या नहीं.
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