Valentine Day: भारत और पाकिस्तान कितने एक जैसे हैं!
भारत और पाकिस्तान एक तरफ तो एक दूसरे को गाली देते हैं. लेकिन दकियानूसी ख्यालों को फॉलो करने में दोनों एक जैसे हैं. एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं. यकीन नहीं होता तो ये खबर पढ़ लीजिए...
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वैलेंटाइन डे आने वाला है. ये दिन वैसे तो प्रेमियों के लिए होता है, लेकिन इसे पश्चिमी सभ्यता का हिस्सा बताने वाले लोग ये जरूर कहते हैं कि इस एक दिन से हमारे देश की संस्कृति पर बहुत गहरा असर पड़ता है और उसे बिलकुल नहीं मनाना चाहिए. पर ये सिर्फ हमारे देश की दिक्कत नहीं है बल्कि ये तो हमारे आस-पड़ोस के देशों की भी दिक्कत है. पाकिस्तान, बंग्लादेश, नेपाल जैसे देशों में भी वैलेंटाइन डेट को लेकर इसी तरह का बवाल होता है.
हाल ही में एक पाकिस्तानी यूनिवर्सिटी ने वैलेंटाइनडे को 'बहनो का दिन' यानी 'Sisters Day' घोषित कर दिया है. ये अजीबोगरीब ऑर्डर या यूं कहें कि फरमान जारी किया है जफर इकबाल रंधावा ने जो फैसलाबाद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर हैं.
आखिर ऐसा क्यों किया गया? इस स्वर्ण सवाल का जवाब शायद आप अंदर ही अंदर जानते होंगे. जी हां, सही समझा आपने. धर्म की रक्षा के लिए. रंधावा साहब का कहना है कि ये इस्लामिक कायदों को बचाने के लिए किया गया है.
पाकिस्तान अब वैलेंटाइन डे पर बहन दिवस मनाएगा
अब सवाल ये है कि आखिर बहनों के इस दिन पर किया क्या जाएगा? यूनिवर्सिटी ने कहा है कि जो भी इंसान ये दिन मनाना चाहेगा वो अपनी मुंह-बोली बहनों को यानी क्लासमेट्स को स्कार्फ या आब्या (बुर्के की तरह पहना जाने वाला चोंगा. ये सऊदी अरब में काफी मश्हूर है.) गिफ्ट कर सकते हैं. अब लड़कियों को भी तो ढंके हुए रहना चाहिए न. ये गिफ्ट किसने निर्धारित किए? जनाब रंधावा ने ही.
पाकिस्तानी अखबार Dawn की रिपोर्ट के मुताबिक रंधावा साहिब को पता नहीं था कि उनका आइडिया क्लिक होगा या नहीं, लेकिन उन्हें ये जरूर लगता है कि ये इस्लाम की भलाई के लिए है. उनका मानना है कि कुछ मुसलमान पाकिस्तान में ऐसे हैं जिन्होंने इस दिन को एक खतरे के रूप में पेश किया है, लेकिन जहां खतरा होगा वहां एक मौका भी होगा उसे सही करने का.
रंधावा के अनुसार वयस्कों को वैलेंटाइन डे बहन दिवस के रूप में मनाना चाहिए क्योंकि इससे एक सॉफ्ट इमेज बनेगी, लोगों को ये अहसास होगा कि पाकिस्तान में बहनों को कितना प्यार किया जाता है. उनके हिसाब से बहन दिवस पर मनाया जाने वाला प्यार मियां और बीवी के प्यार से भी बड़ा होगा.
ये पहली बार नहीं जब पाकिस्तान में वैलेंटाइन डे को लेकर इस तरह की कोई बात कही गई हो. 2017 और 2018 में भी इस्लामाबाद कोर्ट ने सभी वैलेंटाइन डे सेलिब्रेशन पर बैन लगा दिया था. यहां तक कि मीडिया को भी कुछ भी इस तरह का प्रमोशन करने को मना कर दिया गया था.
हम भी कुछ अलग नहीं है-
एक ओर पाकिस्तान के इस फरमान को देखकर थोड़ा अजीब लग रहा होगा उसी जगह भारत में भी हमारी अपनी संस्कृति को बचाने के लिए इसी तरह के सब नियम लागू किए जाते हैं. पिछले साल राजस्थन सरकार की तरफ से एक आदेश पारित किया गया था कि वैलेंटाइन डे को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाया जाए.
स्टेट एजुकेशन डिपार्टमेंट ने 23 अप्रैल 2018 को एक ऑर्डर रिलीज किया था कि अब से हर साल 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाया जाएगा.
राजस्थान सरकार द्वारा जारी किया गया आदेश. ये 2018 वैलेंटाइन डे से पहले जारी हुआ था.
यहां भी वही बात थी कि स्टूडेंट्स को और जवानों को अपने माता-पिता के प्यार की कद्र करनी चाहिए न कि प्यार में पड़कर किसी और के बारे में सोचना चाहिए.
मतलब दक्षिणी एशियाई देशों में वैलेंटाइन डे को अपने परिवार वालों को प्यार करने के दिवस के रूप में मनाएं क्योंकि हां उन्हें साल में एक ही दिन तो प्यार दिखाना होता है. ये मेरी समझ के परे है कि आखिर इस तरह की सोच 2019 में भी लोगों को क्यों घेरे हुए है. हमारे देश की बात करें तो यहां पौराणिक कथाओं में भगवानों की लव मैरिज भी दिखाई गई है. राम-सीता, कृष्ण-राधा, शिव-पार्वती, विष्णु-लक्ष्मी सभी जोड़े एक दूसरे के प्रति आकर्षण के चलते एक साथ आए थे. हमारे देश में जहां वात्सयायन जैसे ऋषि हुए हैं उस देश में प्यार करने से रोकने को देश की संस्कृति बचाने का तरीका माना जाता है. यहां फरवरी में वैलेंटाइन डे का विरोध किया जाता है और मार्च में फागुन महीने को प्यार का प्रतीक मानकर लोग मज़े से होली खेलते हैं. सोचने वाली बात है कि एक तरफ हम पाकिस्तान को गाली देते हैं और दूसरी तरफ हम कितना उसके जैसे ही हैं.
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