स्विगी बैग वाली महिला ने साबित किया, जब बात बच्चों की हो तो मां से शक्तिशाली कोई नहीं
स्विगी बैग के साथ बुर्के में दिखने वाली इस महिला का नाम रिजवाना है. जो बेहद गरीब परिवार से है. उसकी शादी 23 साल पहले हुई थी. पति के जाने के बाद रिजवाना ने हार नहीं मानी और अपने बच्चों के लिए जीने की ठानी. उसने सोचा कि कितनी भी मुश्किल क्यों ना आए वह अपने बच्चों का सहारा बनेगी. अब वह अकेले ही अपने बच्चों को पाल रही है.
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सोशल मीडिया पर एक महिला की तस्वीर वायरल हो रही है. जिसने बुर्का (Burqa) पहना है और अपनी पीठ पर स्विगी (swiggy) का सिग्नेचर डिलीवरी बैग लेकर पैदल चल रही है. वेब पोर्टल 'द मूकनायक' ने इस महिला के बारे में जानकारी शेयर की है. जिसकी रिपोर्ट के अनुसार, महिला का नाम रिजवाना है जो लखनऊ के जगत नारायण रोड चौक पर जनता नगरी कॉलोनी के पास एक संकरी गली में रहती है. वह तीन सालों से अकेले अपने चार बच्चों की देखभाल कर रही है. वह अकेले अपने बच्चों का खर्चा चलाती है.
रिजवाना बेहद गरीब परिवार से है. उसकी शादी 23 साल पहले हुई थी. उसका पति ऑटो रिक्शा चलाता था लेकिन रिक्शा चोरी हो गया. वह रिक्शा की उनकी आजीविका का साधन था. रिजवाना का कहना है कि इसके बाद पति ने भीख मांगना शुरु कर दिया. वे बहुत तनाव में रहते थे और यह नहीं जानते थे कि क्या करें? एक दिन वे घर से चले गए और नहीं लौटे. तीन हो गए हमने उन्हें देखा भी नहीं है. यह भी नहीं पता कि वे जिंदा हैं या नहीं?
सोशल मीडिया पर इस महिला की तस्वीर वायरल हो रही है
पति के जाने के बाद रिजवाना ने हार नहीं मानी और बच्चों के लिए जीने की ठानी. उसने सोचा कि कितनी भी मुश्किल क्यों ना आए वह अपने बच्चों का सहारा बनेगी. दो साल पहले जैसे-तैसे उसने अपनी बड़ी बेटी लुबना की शादी करा दी. अब वह 19 साल की बुशरा, 7 साल की नशरा और 11 साल के बेटे यासीन के साथ 10x10 के कमरे में गुजारा करती है.
अपने पति के साथ रिजवाना
वह पढ़ी-लिखी नहीं है. भला उसे काम कैसे मिलता? उसे अपने बच्चों का पेट पालने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है. वह पूरे दिन काम करती है. वह एकाध घरों में सुबह-शाम घर का काम करती है. इससे उसे हर महीने 1500 रूपए मिल जाते हैं. एक्ट्रा इनकम के लिए वह चाय और कॉफी की दुकानों पर कप और ग्लास स्प्लाई करती है. वह कहती है कि हर पैकेट से मैं 2-3 रूपए कमाती हूं. जिससे महीने का 5,6 हजार हो जाता है. रिजवाना कहती है कि पैसे बचाने के लिए मैं रोजाना 20-25 कीलोमीटर पैदल चलकर रेहड़ी-पटरी वालों को सामान बेचती हूं. मैं चाहती हूं कि मैं अधिक से अधिक पैसे बचा सकूं.
The social media is touched by a picture of a woman in Hijab, walking on the street with Swiggy's signature delivery bag on her back. The Mooknayak team tracked down the woman walking in a burqa with a Swiggy bag .Full Report in Thread: 1/Nhttps://t.co/KwF9XLCeSv pic.twitter.com/j2yQT9pTZ5
— The Mooknayak English (@TheMooknayakEng) January 16, 2023
वायरल तस्वीर पर वह कहती है कि मेरा स्विगी से कोई लेना-देना नहीं है. मैं उनके लिए काम नहीं करती हूं. मुझे सामान रखने के लिए एक मजबूत बैग की जरूरत थी इसलिए मैंने गली की एक दुकान वाले से इसे 50 रूपए में खरीदा था.
अपने बच्चे को खाना खिलाती रिजवाना
दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जिनकी कहानी रिजवाना की तरह है या इससे भी बुरी है. असल में कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है. पता नहीं क्यूं हमारे यहां किसी महिला के काम करने को बेचारी नजरों से देखा जाता है.
रिजवाना को लोग सैल्यूट कर रहे हैं क्योंकि वह अपना पेट भरने के लिए भीख नहीं मांग रही, बल्कि मेहनत कर रही है. भले ही वह दूसरों के घर में झाड़ू-पोछा लगाती हो या सड़कों पर डिस्पोजेबल कप, गिलास बेचती हो मगर वह काम कर रही है.
जिंदगी ऐसी ही है, पता नहीं कौन किस संघर्ष से गुजर रहा है. हर इंसान की अपनी कहानी है, मगर लोग चलते रहते हैं काम करते रहते हैं. क्योंकि जिंदगी इसी का नाम है.
अपने तीन बच्चों के साथ रिजवाना
रिजवाना ने एक मजबूत उदाहरण जरूर पेश किया है, कि जिंदगी तू भले ही कितनी मुसीबत दे दे मगर मैं भी हर मुश्किल का अपने बल बूते सामना करूंगी. सच में जब बात बच्चों की आती है तो मां चट्टान बनकर उनकी रक्षा करती है. ऐसे में इस महिला का संघर्ष और धैर्य की जितनी तारीफ की जाए कम है.
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