Whatsapp की अफवाहों में क्या हत्यारा बनाने की ताकत है !
धुले जिले में 5 लोगों को 5 हज़ार की भीड़ ने मौत के घाट उतार दिया. महाराष्ट्र में ही मालेगांव में भी भीड़ के गुस्से का शिकार बने 4 लोग. त्रिपुरा में दो को मारा, पिछले 72 घंटों में सिर्फ यही नहीं बल्कि असम में भी तीन लिंचिंग की घटनाएं सामने आ चुकी हैं.
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असम में पिछले 72 घंटों में लिंचिंग के तीन केस सामने आ चुके हैं. यहां लोगों ने सिर्फ शक की बिनाह पर तीन लोगों को बुरी तरह पीट दिया. पहले मामले में असम की दारंग डिस्ट्रिक्ट में 1 आदमी पर चोर होने का शक था और भीड़ ने उसे अपना शिकार बना लिया. उसे तब तक मारा गया जब तक वो बेहोश नहीं हो गया. उस इंसान का नाम इमारुज़ुल हक था. एक अन्य घटना में एक महिला को असम के सोनित्पुर जिले में भीड़ ने अपने गुस्से का शिकार बनाया. ये घटना 29 जून की रात की है. इस महिला पर बच्चा चोर होने का आरोप लगाया गया था. तीसरी घटना में मुराजहर जिले में एक महिला को भीड़ ने इसलिए मारा क्योंकि वो किसी गांव वाले से प्यार करती थी.
ये तीनों किस्से असम के हैं जहां इन लोगों की जान तो बच गई, लेकिन ये तीनों विक्टिम बुरी तरह से घायल हो गए. ये तो आम बात हो गई है, लेकिन भारत में ऐसे कई मामले हैं जहां लिंचिंग ने लोगों की जान ले ली है. अगर 20 मई के बाद के किस्से ही देखें तो सिर्फ लिंचिंग के कारण भारत में 19 लोगों की जान गई है.
पिछले 72 घंटों की ही अगर बात करें तो महाराष्ट्र के धुले जिले में 5 लोगों को 5 हज़ार की भीड़ ने मौत के घाट उतार दिया. महाराष्ट्र में ही मालेगांव में भी भीड़ के गुस्से का शिकार बने 4 लोग. हालांकि, मालेगांव वाले लोगों की जान तो बच गई है, लेकिन फिर भी अभी कुछ नहीं कहा जा सकता.
धुले लिंचिंग की तस्वीरें
ऐसा ही एक मामला त्रिपुरा में भी सामने आया जहां दो लोगों को भीड़ का शिकार बनने से कोई रोक नहीं सका. कुछ दिन पहले भी त्रिपुरा में भीड़ ने एक अनाउंसर को जान से मार दिया था. ये मामला 28 जून का था. सरकार ने उस अनाउंसर को फेक वॉट्सएप मैसेज के बारे में जानकारी देने के लिए रखा था और सिर्फ 500 रुपए प्रति दिन की पगार दी जा रही थी.
जिन चारों घटनाओं में लोगों की जान गई है उनमें एक समानता है. इन चारों में ही वॉट्सएप के एक वीडियो के चक्कर में लोगों की जान गई है. वॉट्सएप पर बच्चों की किडनैपिंग का एक वीडियो वायरल हो रहा था और लोग इसी वीडियो के चक्कर में मारे गए. ये वीडियो कब का है और कहां से आया इसके बारे में कोई जानकारी नहीं, लेकिन इतना जरूर है कि ये पूरे हिंदुस्तान में लोगों को अपना शिकार बना रहा है.
कुछ आंकड़ों पर गौर करते हैं..
20 मई के बाद से 19 लोग भारत में लिंचिंग से मारे गए हैं. ये लोग सोशल मीडिया पर फैल रही खरब का शिकार हुए और लोग इन्हें बच्चा चोरी करने वाला समझ बैठे..
1. मध्यप्रदेश..
शादी के फंक्शन में सिंग्रौली में एक पुरुष जो महिला के कपड़े पहन कर डांस करने जा रहा था उसे भीड़ ने मारा. बच्चा चोर समझ कर. ये घटना 26 जून की है.
2. गुजरात..
एक 40 साल की महिला की हत्या कर दी गई और तीन अन्य महिलाएं भी घायल हुईं. अहमदाबाद की ये घटना है. ये घटना भी 26 जून की है.
3. महाराष्ट्र..
धुले लिंचिंग, मालेगांव लिंचिंग, औरंगाबाद लिंचिंग. धुले में 5 लोगों की मौत, औरंगाबाद में 2 लोगों की मौत और मालेगांव में 4 लोगों को जख्मी किया गया. ये सब बच्चा चोरों की अफवाह के कारण. औरंगाबाद वाली घटना 8 जून की है, धुले और माले गांव वाली घटना एकदम ताज़ा हैं.
4. कर्नाटक..
राजस्थान के 24 साल के मजदूर को 24 मई को मार डाला गया. बच्चा चोर होने का आरोप लगाया था.
5. असम..
निलोत्पल दास और अभीजीत नाथ को गुवाहाटी में मार दिया गया था. जून 8 की ये घटना है. दोनों सिर्फ झरना देखने गए थे और भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला.
6. त्रिपुरा..
28 जून की लिंचिंग में 2 लोग मारे गए. ये दो अलग-अलग जगह हुई लिंचिंग थी जिसमें दो अलग अलग लोगों की मौत हुई.
7. बंगाल..
13 से 23 जून के बीच दो लोगों को बच्चा चोर कहकर भीड़ ने पीटा. ऐसे कई हादसे होते रहे.
8. ओड़ीसा..
24 मई के बाद से 15 बार लिंचिंग हुई और 28 लोग घायल हुए.
9. तेलांगना..
अलग-अलग घटनाओं में दो लोगों की मौत एक मौत 22 मई को. इसके अलावा, एक अन्य घटना में 9 मजदूरों को घायल कर दिया गया.
10. आंध्रप्रदेश..
20 मई को 12 लोगों की लिंचिंग, एक की मौत. दूसरी घटना में दो भिखारियों को मारा जिसमें से एक की मौत.
ये सब घटनाएं सोशल मीडिया और फेक न्यूज से जुड़ी हुई हैं और इन सभी में एक फेक न्यूज ने इतने इंसानों को मौत के घाट उतार दिया. ये वो लोग हैं जो आम दिनों की तरह अपने काम में लगे हुए थे और इनमें से किसी पर भी ये इल्जाम साबित नहीं हुआ कि इन्होंने लिंचिंग की है.
कुल मिलाकर हालात ये हैं कि लोग सोशल मीडिया की खबरों पर इस तरह भरोसा कर रहे हैं कि उन्हें ये मालूम ही नहीं कि सच क्या है और झूठ क्या.
जब से धुले लिंचिंग की घटना सामने आई है तब से ही सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है. ट्विटर पर लोग वॉट्सएप बैन करने की मांग कर रहे हैं. कुछ ट्वीट्स इसका सबूत हैं.
लोग क्या कह रहे हैं?
No #whatsapp messages do not lead to mob lynching's its organized murder committed under the smokescreen of #SocialMedia myths. #Police need to be proactive in #India and bust these myths.
— #TimesUp (@AmiFromIndia) July 2, 2018
Knock Knock!!5 people were beaten to death over a WhatsApp rumour. Lynching & public outrage is increasing.. Any words for them?? No?Minor girls are brutally raped, Accused tried to kill that girl.... Sad? No?We voted you to power to see India first, But Tu #Firangi Nikla. https://t.co/bwD3k5DjpI
— Vikash Kumar Kedia (@VickyKedia) July 2, 2018
This msg of @narendramodi gives a sense tht He s happy what their young frnds (troll/online Goons) do. He nvr speak up against trolls, online threats, hatred msg, fake whatsapp msg causing lynching..he nvr condemns troll even @SushmaSwaraj tolerated this
— Raj Gupta (@RajGupta201007) July 2, 2018
Innocent people mob lynching because of Whatsapp rumoursBan Whatsapp Ban Whatsapp Ban Whatsapp Ban Whatsapp Ban Whatsapp Ban Whatsapp Ban Whatsapp Ban Whatsapp Ban Whatsapp Ban Whatsapp Ban Whatsapp Ban Whatsapp Ban Whatsapp Ban Whatsapp@narendramodi @rajnathsingh
— Rohan (@RohanSh48) July 2, 2018
It's strange, our compulsively talkative #PM .@narendramodi & the angry young man .@RahulGandhi have maintained a strategic silence on the loss of lives of innocents on #WhatsApp rumours. Dont' these leaders value our innocent lives? #Lynching
— RR (@RichieRego) July 1, 2018
Here is a theory. Aren't we seeing more whatsapp related rumour lynching? I think there is going to be a major policing of govt on whatsapp. They r just throwing these lynching at us and someone is going to file a PIL in SC and SC is going to direct the govt to ctrl msgs. https://t.co/vw1L27QPe2
— Office of Karthick (@karthickk) July 1, 2018
@pbhushan1 @attorneybharti @KapilSibal @DrAMSinghvi Can anyone file a PIL in SC to ban @WhatsApp in India? All mob lynchings are a product of fake news/pictures being shared on WhatsApp groups. Before India turns into a mob lynching nation, it has to be stopped here.
— Visça Barça! (@Sohanbansode) July 1, 2018
@rashtrapatibhvn @narendramodi @PMOIndia @SushmaSwaraj Please ban @WhatsApp in India. People are misusing it to spread rumors and to justify mob lynching. Better ban it now before India turns into a barbaric nation on a killing spree due to rumors and fake posts. Do it now.
— Visça Barça! (@Sohanbansode) July 1, 2018
ये सारी ट्वीट इस ओर इशारा कर रही हैं कि लोग वॉट्सएप को बैन करने के बारे में सोच रहे हैं या कम से कम ये चाह रहे हैं कि सरकार इस वॉट्सएप का कुछ करे. पर क्या सिर्फ वॉट्सएप पर शिकंजा कसने से कुछ होगा? क्या वाकई सरकार का हमारी निजी जिंदगी में दख्ल देना हमें बर्दाश्त होगा?
क्यों आसान है वॉट्सएप के जरिए अफवाह फैलाना?
- सबसे पहले तो ये कि वॉट्सएप के जरिए किसी मैसेज का कोई सोर्स नहीं पता किया जा सकता. कोई भी आसानी से मैसेज वायरल कर सकता है.
- वॉट्सएप की पहुंच हमारे देश में सबसे ज्यादा है. आसानी से किसी गली, नुक्कड़ तक कोई बात पहुंचाई जा सकती है.
- किसी भरोसेमंद इंसान की तरफ से आया वॉट्सएप मैसेज हमेशा सच्चा लगता है और इसपर शक नहीं किया जा सकता.
अब सोचने वाली बात ये है कि लोग कह रहे हैं कि वॉट्सएप को बैन कर दिया जाए पर क्या इससे समस्या हल हो जाएगी? हमारा ऐसा देश है कि यहां सरकार की नीतियां या विकास तो गांव-गांव नहीं पहुंच पाता है, लेकिन अगर अफवाह की बात करें तो वो जंगल की आग की तरह फैल जाती है. ऐसे में सिर्फ वॉट्सएप बैन करना कोई सुझाव नहीं होगा.
सरकार अगर कुछ करना चाहती है तो वो फेक न्यूज को कंट्रोल करने के बारे में सोचे. वॉट्सएप और फेसबुक पर सरकार की नजर से बात नहीं बनने वाली. ऐसे तरीके खोजने होंगे जिससे लोगों की निजी जिंदगी में भी कोई दख्ल न हो और न ही इस तरह की फेक न्यूज फैले. सबसे पहले तो लोगों की जागरुकता के बारे में सोचना चाहिए जो बहुत आसानी से किसी भी वॉट्सएप की फेक न्यूज पर यकीन कर लेते हैं.
ये है 2018 का भारत, ये है मोदी सरकार का भारत, ये है तकनीक के साथ विकास करता भारत है जहां एक वॉट्सएप मैसेज किसी को मारने के लिए काफी है.
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