जब अमेरिका के दबाव में आकर राजीव गांधी ने लगाया था एक पौधे पर बैन
एक ही पौधा... उसी से गांजा बनता है और भांगा भी. 1985 में कुछ ऐसा हुआ कि गांजा तो बैन हो गया लेकिन भांगा का इस्तेमाल अभी भी जोरों-शोरों से हो रहा है.
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गांजा के नाम सुनते ही भारत में एक डर बन जाता है. भारत में शराब, सिगरेट और भांग तो बैन नहीं है. लेकिन गांजा बैन है. यहां तक की होली और शिवरात्रि के दिन भांग का खूब जोर-शोर से इस्तेमाल किया जाता है. बता दें, दुनिया में सबसे ज्यादा लोग शराब नहीं पीते... चलता है तो सिर्फ गांजा. वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में 54% गांजे का सेवन होता है. एमफेटामाइन (नशे की गोली) 17%, कोकेन का 12%, हिरोइन का 12% का इस्तेमाल होता है.
वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2016 के मुताबिक
बुरी बात ये है कि दुनिया सबसे गांजे के नशे को सबसे अच्छा मानती है. लेकिन दूसरे एंगल से देखें तो सबसे ज्यादा कमाई इसी से हो रही है. भारत में ये बैन है तो सरकार इससे कुछ नहीं कमा रही, लेकिन भारत में इस्तेमाल थड़ल्ले से हो रहा है और कमाई हो रही है तो सिर्फ तस्करों की. एक ही पौधे से भांग बनती है और गांजा.
लेकिन भारत में गांजा बैन है. वो तो इसलिए क्योंकि भारत में लोगों ने भांग को भोलेनाथ का प्रसाद माना है. लेकिन आखिर क्या वजह है कि एक ही पौधे के होने के बावजूद देश में गांजे पर तो प्रतिबंध लगा है वहीं भांग का इन दिनों में खुलेआम इस्तेमाल होता है?
भारत में भांग क्यों बैन नहीं
जैसे मोक्ष मिला गया हो, लगता है जैसे वक्त रुक गया हो, सबकुछ स्लो हो गया हो, दिमाग इतना तेज हो जाता है कि मुश्किल से मुश्किल चीज आसानी से समझमें आने लगती है. लेकिन उसको खाने के बाद इंसान को पता नहीं चलता कि 1 दिन कैसे बीत गया. यानी भांज का नशा इतना तेज होता है.
कुल मिलाकर भारत में भांग पर बैन नहीं लगा है. क्योंकि इसके पीछे कल्चलर रीजन का हाथ है. महादेव के प्रसाद के नाम पर आज भी भारत में खुलेआम भांग का इस्तेमाल होता है. वहीं भांग जो उसी पौधे से बनती है जिससे गांजा बनता है.
1985 तक लीगल था. इसी गांजे को हमारे महाग्रंथ में भी सम्मान दिया गया है. हिंदू पौराणिक कथाओं में भी महादेव के साथ गांजे का जिक्र है. तो इसे बैन क्यों किया गया. 1961 में अमेरिकी प्रेशर में आकर यूएन की एक कंवेनशन में इसे सिंथेटिक ड्रग की कैटेगरी में डाल दिया गया. लेकिन भारत ने उस वक्त साइन करने से मना कर दिया. उस वक्त भारत में गांजे के पौथे से आयुर्वेदिक दवाएं बनती थीं. भारत में बैन कराने वाले यूएस के 27 राज्य में गांजा अभी भी लीगल है. यही नहीं 40 देश में गांजा लीगल है.
भारत में बैन करने के पीछे अमेरिका की बड़ी चाल
अमेरिका गांजे के पौधे से दवाईयां बनाकर हमारे देश में ज्यादा दाम पर बेंचती है. अगर भारत में गांजा लीगल होता है तो उनका धंधा चौपट हो जाएगा. वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में जिस जगह गांजा बैन नहीं है. वहां पेन किलर्स की खरीदी में कमी आई है. यही नहीं शराब भी वहां कम इस्तेमाल होती है. कुल मिलाकर अगर गांजा लीगल हो जाता है तो लिकर और टोबेको इंडस्ट्री चौपट हो सकती है.
तो क्या भारत में बिलकुल नहीं मिलता गांजा
ऐसा नहीं है कि भारत में गांजा बैन है तो ये कहीं नहीं मिलता. गांजे का ब्लेक मार्केट इससे तगड़े पैसे भी बना रहा है. हिमाचल गांजे का अड्डा बना हुआ है. वहां 60 हजार किलो गांजा अवैध बनाया जाता है. जिसमें से सिर्फ 1% पकड़ा जाता है. बाकी कहां जाता है ये तो सबको पता ही होगा.
1985 में अगर गांजा बैन नहीं होता तो...
राजीव गांधी सरकार में यानी 1985 में अगर गांजा बैन नहीं होता तो इसका सदुपयोग होता और सरकार को टैक्स भी मिलता. ऐसा नहीं है कि अगर इसे लीगल कर दिया गया तो इसका उपयोग सिर्फ नशे के लिए नहीं किया जाएगा. इसके कुछ फायदे भी हैं. भूख बढ़ाने के लिए, डायबिटीज, डायरिया, ज्वाइनडिस, पेन किलर और कैंसर के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है और जो दवाईयां हम महंगी खरीददते हैं वो काफी सस्ते दामों में हमें मिल जाती. लेकिन क्या करें, मजबूरी ऐसी है कि भारत में गांजा बैन है.
मोदी सरकार की सोच
महिला और बाल विकास विभाग की केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने पैरवी की है कि मनोवैज्ञानिक विकारों को ठीक करने के लिए मरीजुआना (गांजे) पर लगे प्रतिबंध के फैसले में आंशिक बदलाव लाया जाए. ऐसे दुनिया के बहुत से देशों ने किया है. गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने पहले इस बारे में एक ड्राफ्ट पॉलिसी तैयार की है. अब इंतजार कीजिएगा, उस दिन का जब मोदी सरकार यह आदेश जारी कर दे. कि 'आज आधी रात से देश में गांजा सिर्फ नफरत का पात्र नहीं रहा'.
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