नशे के लिए ही नहीं हर काम के लिए भगवान शिव की बराबरी कीजिए
मानव दिमाग खुद मादक पदार्थों का उत्पादन करता है. इसे खुशी पाने के लिए बाहर से किसी प्रेरणा की जरुरत नहीं होती. एक रिसर्च में ये बात सामने आई है.
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पहली नज़र में मुझे देखकर आप यही सोचेंगे कि मैं एक शराबी हूं और मैं नशे में झूम रहा हूं. उसपर अगर मैं कहूं कि मैंने आजतक किसी भी तरह के नशे को हाथ नहीं लगाया तो आप मानेंगे? लेकिन सच यही है. हमें ये समझना होगा कि हम अपने शरीर में जो कुछ भी डालेंगे वो हमारे अंदर कुछ ना कुछ बदलाव तो करेगा ही. लेकिन सिर्फ वो सारे रसायन अकेले ही हमारे अंदर कोई बदलाव नहीं करते. हां उन चीज़ों की बात अलग है जो इंसान को बेहीशी की नींद के आगोश में ले जाती है. ये पदार्थ अलग तरीके से काम करते हैं.
अगर आपको पता है कि खुद को कैसे प्रेरित करना है तो आप अपार खुशी पाएंगे. सबसे खास बात ये है कि इसमें ना आपके स्वास्थ्य को कोई हानि होगी नाहि पैसे लगेंगे. इसके साथ ही आप सुपर एलर्ट रहेंगे. इतने की आप कई दिनों तक बिना सोए रह सकते हैं. इसमें कोई शक नहीं कि भगवान शिव भी नशे में रहते थे. लेकिन ऐसा क्यों ये एक अलग मुद्दा है. शिव को किसी चीज की जरुरत नहीं वो खुद में ही सम्पूर्ण हैं.
नशा नाश ही करता है, मोक्ष नहीं दिलाता
कुछ साल पहले इजराइल के वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में स्थित एक तत्व की खोज की. उसे उन्होंने 'ब्लीस मॉल्यूकूल' यानि की आनंद देने वाला तत्व कहा. इसमें उन्होंने कहा कि मनुष्य के दिमाग में स्वाभाविक तरीके से भांग मौजूद होता है. जब उन्होंने ये पता लगाया कि ऐसा क्यों है तो पाया कि कुछ मौकों पर मानव दिमाग खुद मादक पदार्थों का उत्पादन करता है. इसे खुशी पाने के लिए बाहर से किसी प्रेरणा की जरुरत नहीं होती.
शराब, ड्रग्स जैसे पदार्थ लोगों को अपना आदि बनाते हैं, स्वास्थ्य खराब करता है और उनकी जागरुकता को घटाता है. लेकिन अगर हम अपने शरीर को इतना जागृत कर लें कि हर समय हम खुद ही खुश रहें वो भी बिना हैंगओवर के तो? सच्चाई तो ये है कि ये केमिकल शरीर के लिए खुब फायदेमंद भी होता है और हमें स्वस्थ भी रखता है! इस केमिकल को वैज्ञानिकों ने 'Anandamide' नाम दिया. संस्कृत में इसे आनंद कहते हैं जिसका मतलब है खुशी.
चिलम से चैन नहीं मिलता
मान लिया कि भगवान शंकर भांग या गांजा पीते थे. हालांकि मैं इस बात को नहीं मानता लेकिन फिर भी अगर एक बार को इसबात को मान लिया जाए कि शिव जी भांग और गांजा पीते थे. अपने नशा करने के पीछे भगवान शंकर का उदाहरण देने वालों से मेरा बस एक यही सवाल है कि क्या वो शिव जी की तरह बाकी के सारे काम कर सकते हैं? शिव जी जो कुछ भी करते थे क्या वो लोग ये काम कर सकते हैं? क्या वो तीन महीने तक बिना हिले किसी एक ही जगह पर बैठे रह सकते हैं?
ये आदि शंकर के साथ हो चुका है. एक बार आदि शंकर अपने कुछ शिष्यों के साथ कहीं जा रहे थे. रास्ते में एक गांव के बाहर उन्हें शराब की एक दुकान दिखी. आदि शंकर वहां गए और शराब खरीदकर पी लिया. उनके शिष्य ये देखकर हैरान रह गए. उनमें कानाफूसी शुरु हो गई. वो बातें करने लगे कि- 'हम बेकार ही इतने दिनों से मदिरा का सेवन छोड़कर बैठे थे. गुरु जी तो खुद ही शराब पी रहे हैं.' इस मुद्दे पर बात करते करते वो लोग दूसरे गांव तक पहुंच गए.
यहां उन्हें शराब की दुकान दिखी तो सारे शिष्य टूट पड़े. सबने शराब खरीदी और जमकर पी. आदि शंकर ने कुछ नहीं कहा और चलते रहे. कुछ देर चलने के बाद एक और गांव आया. यहां आदि शंकर गांव के लोहार के पास गए. लोहार अपनी दुकान में लोहे को पिघलाकर कुछ बना रहा था. आदि शंकर ने वो पिघला हुआ लोहा उठाया और उसे पी गए. सारे शिष्यों को समझ में आ गया कि आखिर आदि शंकर क्या संदेश देना चाहते हैं.
शिव की बराबरी हर चीज में करें
लोगों को लगता है कि भांग पीने और थोड़ा नशे में रहने से वे आध्यात्मिक हो जाएंगे. लेकिन उन्हें पता ही नहीं कि धुंधला होना या मदमस्त रहना ज़िंदगी नहीं है. जब आप मरने वाले होते हैं, होश-बेहोशी के बीच में झूल रहे हों तब ज़िंदगी धुंधली होती है. लेकिन जब आप जिंदा हैं तो सबकुछ साफ होना चाहिए, बिना किसी गंदगी के. और सबकुछ साफ देख पाना अपने आप में मदमस्त करने वाला होता है. सुपर अलर्ट होने में अपना एक अलग ही मजा है.
जीवन जीने का असली तरीका भी वही है. भांग और गांजे के साथ नहीं बल्कि खुद के साथ. खुद के नशे में मदहोश होकर. आज रह कोई भांग और गांजे की बात करता है. भांग पर कई तरह के रिसर्च हुए हैं जिसके बाद पता चला है कि अगर इन्हें एक निश्चित समय तक लिया जाए तो ये मनुष्य के आईक्यू को घटा देते हैं. यही नहीं और फिर वो इंटेलीजेंस आप कभी वापस नहीं पा सकते.
आपको किसी रिसर्च की भी जरुरत नहीं. बस अपने आस-पास ऐसा करने वालों को ही देख लीजिए. वो कैसे रहते हैं यही देख लीजिए. अमूमन वो हमें शांत और एक नॉर्मल इंसान ही नज़र आएंगे पर बस उन्हें दो दिन के लिए अपने नशे से दूर करके देखिए. वो कैसे परेशान हो जाएंगे, पागलों की तरह व्यवहार करने लगेंगे. चिड़चिड़े हो जाएंगे और बात-बात पर गुस्सा करने लगेंगे. अगर हम उन्हें सामान्य रखना चाहते हैं तो उनको उनके नशे के साथ ही रखना होगा.
अगर आप नशे में हैं और सबकुछ धुंधला सा दिख रहा है तो आप शांत और खुश रहेंगे. हालांकि ये शांति किसी काम की नहीं होगी. किसी भी नशे में कोई आध्यात्म नहीं छुपा होता.
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