आखिर क्या है वजह, इस शहर में हर शख्श बीमार सा क्यों है?
दिल्ली पर प्रदूषण का कहर शुरू हो गया है. दिल्ली में प्रदूषण पिछले 17 साल के सबसे खतरनाक स्तर पर है. मानो कोहरे और प्रदूषण ने शहर पर अटैक कर दिया हो. दिल्ली जैसे गैस चैम्बर में तब्दील हो गया हो.
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दिल्ली पर प्रदूषण का कहर शुरू हो गया है. दिल्ली में प्रदूषण पिछले 17 साल के सबसे खतरनाक स्तर पर है. मानो कोहरे और प्रदूषण ने शहर पर अटैक कर दिया हो. दिल्ली जैसे गैस चैम्बर में तब्दील हो गया हो. बच्चों से लेकर बुजुर्गों और सेहतमंद लोगों से लेकर अस्थमा के मरीजों तक सभी को दिक्कत हो रही है. देश की राजधानी दिल्ली की हवा में प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है. बच्चों के स्वास्थ्य पर इसके असर को देखते हुए नौबत अब स्कूल बंद करवाने तक पहुंच गई.
प्रदूषण की वजह...
राजधानी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता हाल के वर्षों में लगातार खराब होती रही है. इसकी एक बड़ी वजह तेजी से बढ़ते शहरीकरण को माना जाता रहा है, जिससे डीजल इंजन, कोयला चालित विद्युत इकाई और औद्योगिक उत्सर्जन में इजाफा हुआ है. इसकी एक वजह खेतों में फसलों की पराली जलाने और लकड़ी या कोयले के चूल्हों से निकलने वाले धुएं को भी माना जाता है.
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सड़कों की धूल...
सड़कों की धूल से सबसे ज्यादा 38 प्रतिशत प्रदूषण फैलता है. आईआईटी कानपुर के अनुसार, मलबा-धूल पीएम 2.5 और पीएम 10 प्रदूषण के बड़े वाहक हैं.
वाहनों का धुआं...
दिल्ली में लगभग 90 लाख से अधिक वाहन पंजीकृत हैं जबकि रात 10 बजे के बाद एक लाख से अधिक ट्रक राजधानी में प्रवेश करते हैं और इनसे ज्यादा धुआं निकलने से प्रदूषण ज्यादा फैलता है. ये वाहन करीब 25 प्रतिशत प्रदूषण फैलाते हैं.
पुआल-कचरे को जलाना...
हरियाणा और पंजाब के किसान अक्टूबर के मध्य में धान की कटाई के बाद उनके डंठल को खेत में ही जला देते हैं जिसके कारण 26 प्रतिशत प्रदूषण लेवल ज्यादा बढ़ जाता है. आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट के अनुसार, इसके कारण पीएम 2.5 कई गुना ज्यादा हो जाता है.
पटाखे...
दिवाली पर पटाखे फोड़ने के कारण वातावरण में जहरीली गैसों की मात्र बहुत बढ़ जाती है. पटाखे वातावरण में करीब 11 प्रतिशत प्रदूषण फैलाती है. दिवाली के दिन पीएम 2.5 का स्तर अपने तय मानक 60 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर से 42 बार अधिक दर्ज किया गया था. प्रदूषण के दो मानक होते हैं पीएम 2.5 और पीएम 10. पीएम 10 सामान्य 100 होता है जबकि पीएम 2.5 60.
सांकेतिक फोटो |
चीन से भारत क्यों नहीं लेता सबक?
जब 2013 में विकास के कई बरसों के दौरान बीजिंग में गगनचुंबी इमारतों के साथ सड़कों पर गाड़ियों की भरमार हो गई तब कार के धुएं और बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन की धूल से बीजिंग की हवा में जहर घुल गया, आकाश में धुंध छाने लगे और लोगों को चेहरे पर मास्क चढ़ गए, तब जाकर चीन की नींद खुली. तब जाकर कहीं चीन प्रदूषण पर कंट्रोल करना शुरू किया.सबसे पहले चीन 2013 में प्रदूषण को लेकर एक वार्निंग सिस्टम लेकर आया इसके बाद वहां की सरकार ने ऐसे कई उपाय किए जिससे बीजिंग के प्रदूषण को कम करने में मदद मिली. 2015 में चीन में प्रदूषण को लेकर हाई अलर्ट रहा, स्कूलों को बंद रखा गया, कंस्ट्रक्शन पर रोक लगाई गई और ऑड-इवेन फॉर्मूले के तहत सड़कों पर से गाड़ियों को कम किया गया. इसके कारण वहां का प्रदूषण लेवल को काफी कंट्रोल कर लिया गया.
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इस तरह खुद को जहरीली हवा से रखें महफूज
- बाहर निकलते समय मास्क पहनें
- कंस्ट्रक्शन साइट से दूर रहें
- एयर प्यूरिफायर यूज़ करें
- अपने घर के आस-पास की सड़क को साफ रखें
- पेड़ लगाएं
- ठीक तरह से खाना खाएं
बढ़ता प्रदूषण वर्तमान समय की एक सबसे बड़ी समस्या है, जो आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत समाज में तेजी से बढ़ रहा है. लेकिन अब समय की मांग है कि हम सभी लोग मिलकर इस समस्या से निपटने का हर सम्भव कोशिश करें ताकि कम से कम हमारे बच्चों का स्वास्थ्य ठीक रहे.
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