चार धर्म, चार किस्से: आखिर क्यों गुरू 'देव' नहीं 'दैत्य' बन रहे हैं?
धार्मिक स्थानों पर बच्चों के साथ यौन शोषण की घटनाएं बहुत बढ़ गई हैं. यहां चार मामले दिए गए हैं जहां बच्चों के साथ अलग-अलग धार्मिक संस्थाओं में यौन शोषण हुआ है.
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मदरसे हों, गुरुकुल हों या चर्च जहां देखो मासूम बच्चों को यौन-शोषण का शिकार बनाया जा रहा है. और ऐसा करने वाले ही लोग हैं, जो इन प्रार्थना स्थलों में पुजारी, मौलवी, फादर या किसी और ओहदे पर तैनात हैं. बार-बार अलग-अलग धार्मिक संस्थाओं में बच्चों के साथ यौनाचार और दुष्कर्म के मामले खुल रहे हैं.
पहला मामला :
पुणे पुलिस ने शहर में मदरसे से जुड़े एक मौलवी को एक बच्चे के साथ यौन दुर्व्यवहार करने के आरोप में गिरफ्तार किया. मदरसे के दो अन्य बच्चों ने बताया कि वह हाल ही में यहां से इसलिए भाग गए थे क्योंकि संस्थान में आने वाले मौलवियों में से एक, दूसरे सहवासी के साथ यौन दुर्व्यवहार करता था. पुलिस ने बताया कि आरोपी मौलाना रहीम (21) को 27 जुलाई की शाम को गिरफ्तार किया गया. इस संबंध में बाल अधिकार कार्यकर्ता डॉ यामिनी आदबे ने पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई थी. पुलिस ने इस मदरसे से 36 बच्चों को रेस्क्यू किया है. इन बच्चों की उम्र 5 से 15 साल के बीच है. इसके अलावा कुछ राजनैतिक संगठनों में भी चिर कुंवारे पदाधिकारियों की यौन कुंठाओं के किस्से भी आपने सुने होंगे.
पिछले दिनों कई मदरसों से यौन शोषण की खबरें आई हैं
दूसरा मामला :
हरियाणा के रोहतक में एक गुरुकुल में यौन शोषण के मामले में पुलिस ने वॉर्डन और 5 नाबालिग छात्रों को गिरफ्तार कर लिया है. नाबालिग आरोपियों को सोमवार रात के समय ही किशोर न्याय बोर्ड के सामने पेश किया गया. इसके बाद उन्हें बाल सुधार गृह हिसार भेज दिया गया है. वहीं, आरोपी वॉर्डन सचिन को मंगलवार को किशोर न्याय बोर्ड के प्रिंसिपल मैजिस्ट्रेट आशीष कुमार शर्मा के सामने पेश किया गया. मैजिस्ट्रेट ने आरोपी को जेल भेज दिया. इस मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी. यह मामला तब सामने आया था, जब रक्षाबंधन के मौके पर परिजन बच्चों से मिलने के लिए पहुंचे थे.
गुरुकुल में वार्डन और छात्रों को गिरफ्तार किया गया
तीसरा मामला :
अमरीका में पेन्सिलवेनिया के सुप्रीम कोर्ट ने कैथोलिक चर्चों में यौन शोषण से जुड़ी ग्रैंड ज्यूरी की रिपोर्ट को जारी कर दिया है. इस रिपोर्ट में तीन सौ से ज़्यादा पादरियों के नाम हैं. ज्यूरी ने अपनी जांच में पाया कि बीते 70 साल के दौरान राज्य के छह केंद्रों के पादरियों ने एक हज़ार से ज़्यादा बच्चों का शोषण किया.
अधिकारियों का कहना है कि जांच में ये भी सामने आया कि चर्चों ने पादरियों के गुनाहों पर सलीके से पर्दा डालने की कोशिश की. दुनिया भर की कैथोलिक चर्चों में यौन शोषण से जुड़ी जांच के क्रम में ये सबसे ताज़ा रिपोर्ट है. केरल के एक चर्च के पादरी पर हाल ही रेप का आरोप लगा है. उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार किया है.
चर्च में भी बच्चों के यौन शोषण की घटनाएं होती हैं
चौथा मामला :
बिहार के बोधगया में बौद्ध चिंतन केंद्र के प्रमुख को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. केंद्र प्रमुख पर असमिया मूल के दर्जन भर से ज्यादा नाबालिग बच्चों के यौन शोषण का आरोप लगाया गया है. ये सभी बच्चे यहां रहकर शिक्षा प्राप्त करने आए थे. पीड़ित बच्चों की उम्र छह से 12 साल के बीच की है.
बच्चों ने पुलिस को बताया कि संघ प्रिय सुजोय, उन्हें अपने बेडरूम में बुलाता था और यौन उत्पीड़न किया करता था. उन्होंने ये भी कहा कि उनके साथ मारपीट भी की जाती थी अगर वह उनके साथ यौन उत्पीड़न में सहयोग करने से इंकार कर देती थी. अधिकारियों ने निजी तौर पर बच्चों से शिकायत दर्ज करवाने के बाद बात की थी. मामला 29 अगस्त का है.
चार अलग अलग धर्म. चार अलग अलग संस्कृतियां लेकिन चारों धर्मों के इन आचार्यों, गुरुओं, मौलवियों, बाबाओं का एक ही कर्म है बच्चों के साथ कुकर्म. इन घटनाओं के बारे में जानकर आपको गुस्सा भी आया होगा, उन्हें कड़ी सज़ा देने की इच्छा भी आपने जाहिर की होगी. लेकिन क्या आपने सोचा कि इस समस्या का हल कैसे निकलेगा? क्या सज़ा ही इसका एक मात्र उपाय है या कुछ और...
लेकिन सिर्फ कुकर्म ही समानता नहीं है. इन सभी और इन जैसे मामलों में कुछ और भी कॉमन फैक्टर होते हैं जैसे सभी आरोपियों का कुंवारा या घर से अलग होना. उनका चिर कुंवारे रहने का धार्मिक संकल्प और असहाय बच्चों का उनके हाथों में पड़ जाना.
लेकिन आप एक बार भी उन हालात पर सोचते ही नहीं है जो इन बच्चों को शिकार बनाता है. हो सकता है कि यौन ज़रूरतों को आप भूख जैसी आवश्यक आवश्यकता न मानें लेकिन मनुष्य की ये जरूरत भूख से कम भी नहीं है. कल्पना कीजिए कि एक शिकारी कुत्ते को पहले आप कई दिन तक भूखा रखें और फिर उसके सामने किसी निसहाय खरगोश को डाल दें.
दूसरे शब्दों में राम रहीम आश्रम जैसे बलात्कार और बच्चों के यौन शोषण की परिस्थितियां पैदा कौन करता है. क्या इसके लिए धर्म और धर्म के वो प्रावधान जिम्मेदार नहीं है जो ऐसी परिस्थितियों में लोगों को रखते हैं? क्या धर्म इस मामले में पाप नहीं करता है.
धर्म का पहला पाप ये है कि वो अप्राकृतिक स्थितियों में परिवार और नैसर्गिक ज़रूरतों से दूर इन लोगों को रखता है. हो सकता है कि वो जबरदस्ती नहीं रखे जाते लेकिन लगातार धार्मिक मान्यताओं के ज़रिए लोगों का ब्रेन वॉश करके ही तो उन्हें इस तरह रखा जाता है.
दूसरी अहम बात ये कि बच्चों को मां बाप की देख रेख से हटाना. उन चरणों से दूर करना जो स्वर्ग माने जाते हैं और अलग अलग दरिदंगी भरी परिस्थितियों और गुरुकुल, मदरसों वगैरह में भेज देना क्या पाप से कम है.
मेरी राय में हर मनुष्य को अधिकार है कि उसकी शारीरिक और मानसिक मूलभूत ज़रूरतें पूरी हों. कोई इसमें खलल डालता है या उन्हें इससे दूर करता है तो वो मनुष्यता का दुश्मन है चाहे वो धर्म हो या समाज.
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