रावण की इतनी प्रशंसा क्यों हो रही है?
रावण (Ravan) विद्वान था, महाप्रतापी था, महातपस्वी था, आदि-आदि... सब मान लिया है. यह सब पीढि़यों से कहा जा रहा है. शायद इसलिए कि बुरे व्यक्ति से हम सबक लें कि एक बुराई तमाम अच्छाइयों को शून्य कर देती है. लेकिन, सोशल मीडिया पर इन दिनों अलग ही चरस बोई जा रही है. रावण को इतना भला कह दिया जा रहा है कि उसने कभी कोई पाप किया ही नहीं!
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रावण (Ravan) विद्वान था, महाप्रतापी था, महातपस्वी था, आदि-आदि... सब मान लिया है. यह सब पीढि़यों से कहा जा रहा है. शायद इसलिए कि बुरे व्यक्ति से हम सबक लें कि एक बुराई तमाम अच्छाइयों को शून्य कर देती है. लेकिन, सोशल मीडिया पर इन दिनों अलग ही चरस बोई जा रही है. रावण को इतना भला कह दिया जा रहा है कि उसने कभी कोई पाप किया ही नहीं!
एक से बढ़कर एक कहानियां परोसी जा रही हैं. किसी में सीता को रावण की बेटी तक बता दिया जा रहा है. लंबे अरसे से एक तबका राम को नीचा दिखाने में लगा हुआ है. वह कभी सीता के परित्याग को मुद्दा बनाता है, तो कभी शंबूक वध की भ्रमित करने वाली कहानी पर बहस कराने की कोशिश करता है. इस तबके का रावण-प्रेम दिलचस्प है.
त्योहार के खिलाफ जाने वाले लोग जिस तरह अलग-अलग कारण गिनाते हैं. उसी तरह कल को अगर कोई यह कह दे कि रावण का दहन नहीं होना चाहिए, इससे पॉल्यूशन बढ़ता है तो आश्चर्य में मत आइएगा. रावण के नाम के साथ उसके ज्ञानी होने का इतना राग अलाप दिया जाएगा कि एक समय के बाद कुछ लोगों को वह दोषी नहीं लगेगा. ऐसे लोग रावण पर दया कर उसका पुतला जलाये जाने का भी विरोध भी कर सकते हैं.
मगर सच तो यही है कि रावण एक बुरा इंसान था. वह अंहकारी था और इसी कारण प्रभु राम के हाथों उसका सर्वनाश हुआ. सोशल मीडिया पर रावण की गाथा लिखने से पहले कम से कम उसके बारे में जान तो लेते. आपके दिल में रावण के लिए सॉफ्ट कॉर्नर रखने का जो चस्का है वह, यकीनन वह खत्म हो जाएगा.
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