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सियासत
| बड़ा आर्टिकल
मृगांक शेखर
@msTalkiesHindi
मोदी के रोड शो के बाद गुजरात में डर के आगे बीजेपी की जीत पक्की मान लें
बीजेपी (BJP) की गाड़ी जब भी फंसती है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो (Modi Road Show) का कार्यक्रम बना दिया जाता है - पहले की तरह गुजरात चुनाव (Gujarat Election 2022) में भी ऐसा ही हुआ है, तो क्या मान कर चला जाये कि सत्ता वापसी निश्चित है?
संस्कृति
| 4-मिनट में पढ़ें
निधिकान्त पाण्डेय
@1nidhikant
पटाखे और दिए की बातचीत हुई, सवाल जितने मजेदार थे, जवाब उतने ही जबरदस्त
भारत में आतिशबाजी का इतिहास पुराना है. भारत जब आजाद हुआ था तब भी तो जोरदार आतिशबाजी हुई थी. तब मेरे दादा-परदादाओं ने आकाश में रंग और फुलझड़ियां बिखेरी थीं, आवाज से वातावरण को गुंजाया था, तब दिये मेरे दोस्त, तुम्हारे पूर्वजों ने भी तो नए भारत के स्वागत में दिये की लड़ियों से पूरा समां रोशन कर दिया था.
सिनेमा
| 4-मिनट में पढ़ें
Mormukut Goyal
@1203823200460755
Adipurush: रामकथा के विभिन्न संस्करणों और हमारी स्मृतियों में रावण कैसा है?
बचपन में कस्बे की रामलीला के मंचन, विभिन्न धार्मिक पुस्तकों के चित्रों में दस शीश वाला रावण ही देखते थे यही दस शीश हमारे लिए रावण की पहचान बन गए थे, इसके बाद दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले 'जय हनुमान' और रामानन्द सागर की रामायण का जब पुनः प्रसारण हुआ तो रावण एक साधारण मनुष्य की तरह एक शीश वाला नजर आया.
सिनेमा
| 3-मिनट में पढ़ें
अनु रॉय
@anu.roy.31
आदिपुरुष का रावण घटिया सस्ता कॉपी के सिवा कुछ नहीं है
सैफ़ का लुक तो मैंने बाद में नोटिस किया पहले तो रावण के पुष्पक विमान को नोटिस किया जो Game of Thrones के ड्रैगन की विकृत कॉपी है. आँखों में कोई रोग हो जाए अगर ये पूरी फ़िल्म देख लूँ तो. और हाँ सैफ़ अली खान रावण तो किसी भी ऐंगल से नहीं लग रहें, बल्कि ख़िलजी बने रणवीर सिंह और दूसरे मुस्लिम शासक जैसे दिख रहे हैं.
सिनेमा
| 6-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
ओम के तर्क बचकाने हैं, आदिपुरुष सिर्फ स्पाइडरमैन-आयरन मैन का दीवाना युवा नहीं देखेगा!
एक ऐसे समय में जब तथ्यों से छेड़छाड़ करने के कारण आदिपुरुष आलोचकों के निशाने पर है. फिल्म और मच रहे बवाल पर अपना पक्ष रखने के लिए निर्देशक ओम राउत सामने आए हैं. ओम ने अपनी गलती को जस्टिफाई करने की नाकाम कोशिश करते हुए फिल्म की तुलना स्पाइडर मैन और आयरन मैन से की है.
समाज
| 1-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
रावण की इतनी प्रशंसा क्यों हो रही है?
रावण (Ravan) विद्वान था, महाप्रतापी था, महातपस्वी था, आदि-आदि... सब मान लिया है. यह सब पीढि़यों से कहा जा रहा है. शायद इसलिए कि बुरे व्यक्ति से हम सबक लें कि एक बुराई तमाम अच्छाइयों को शून्य कर देती है. लेकिन, सोशल मीडिया पर इन दिनों अलग ही चरस बोई जा रही है. रावण को इतना भला कह दिया जा रहा है कि उसने कभी कोई पाप किया ही नहीं!
सिनेमा
| 7-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
'बायकॉट बॉलीवुड' असल में हिंदी फिल्म दर्शकों का रावण-दहन ही है
जहां भी अधर्म, अन्याय की मनमानी सत्ता होगी, अहंकार होगा- समूहिक हित में राम की सेना उसका नाश करेगी ही. किसी भी दौर में. बॉलीवुड में भी मनमानी चीजें हैं और बायकॉट ट्रेंड उसी रावणी अहंकार को ख़त्म का करने का सबसे लोकतांत्रिक तरीका है.
समाज
|
एक अलग नज़रिया
| 3-मिनट में पढ़ें
ज्योति गुप्ता
@jyoti.gupta.01
एक रामलीला ऐसी जिसमें सभी किरदार महिलाएं निभा रही हैं, तारीफ तो बनती है
महिलाओं की यह रामलीला पंजाब के जीरकपुर में हो रही है. राम से लेकर रावण तक के किरदारों को निभाने वाली सभी महिलाएं पढ़ी-लिखी और कामकाजी हैं. उन्होंने 20 दिनों में रिहर्सल कर रामलीला के लिए खुद को तैयार किया है.
समाज
| बड़ा आर्टिकल
निधिकान्त पाण्डेय
@1nidhikant
रावण को क्या मोक्ष मिला? क्या रावण मोक्ष चाहते हैं?
रावण को बुराई का प्रतीक माना जाता है और हमारे अंदर की बुराई को जब तक हम मार नहीं डालते तब तक हम अपना ऐसा राम कहां से लाएंगे जो रावण का संहार कर सके. सवाल ये है कि जब हर साल मरना ही है तो फिर हर साल क्यों जिंदा होकर हमारे सामने आता है रावण.